कैसे होते हैं ग्रह वक्री और किस तरह व्यक्ति के जीवन को करते हैं प्रभावित?
What Are Vakri Grahas जब कोई उलटी चाल चलता है तो उसे वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह कहा जाता है। ग्रह के वक्री का असर राशि के जातकों पर पड़ता है। ऐसे में आइए इस लेख में हम समझेंगे कि वक्री ग्रह क्या होते हैं कैसे ये जन्म कुंडली को प्रभावित करते हैं और जीवन में किन-किन क्षेत्रों में इनका गहरा असर देखने को मिलता है।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। जब आकाश में कोई ग्रह अपनी सामान्य दिशा के विपरीत चलता है, तो केवल खगोलशास्त्र नहीं, हमारी आत्मा भी उसे महसूस करती है। वैदिक ज्योतिष में इन्हें कहा जाता है वक्री ग्रह। ये ग्रह बाहरी दुनिया से ज़्यादा हमारे भीतर की यात्रा को प्रभावित करते हैं। इनकी चाल भले ही उल्टी लगे, लेकिन ये हमारी सोच, संघर्ष और आत्मिक प्रगति की सीधी राह बनाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं वक्री ग्रह के बारे में।
वक्री ग्रह (Retrograde Planets)
वैदिक ज्योतिष में वक्री ग्रह (What Are Vakri Grahas) उन ग्रहों को कहा जाता है जो आकाश में सामान्य गति के विपरीत यानी उल्टी दिशा में चलते हुए प्रतीत होते हैं। यह स्थिति वास्तव में एक खगोलीय दृष्टिभ्रम (optical illusion) होती है, लेकिन ज्योतिष में इसका बहुत गहरा महत्व है।
वक्री ग्रह कौन-कौन से हो सकते हैं?
सूर्य देव और चंद्र देव कभी वक्री (Retrograde Planets) नहीं होते। बाकी के पांच ग्रह बुधदेव, शुक्रदेव, मंगलदेव, बृहस्पतिदेव और शनिदेव वक्री हो सकते हैं। इनमें से बुधदेव और शुक्रदेव जल्दी-जल्दी वक्री होते हैं, जबकि शनिदेव और बृहस्पतिदेव का वक्री काल लंबा होता है।
वक्री ग्रहों की ज्योतिषीय विशेषताएं
1. ग्रह की शक्ति में वृद्धि
वक्री ग्रह सामान्य अवस्था की तुलना में अधिक बलशाली माने जाते हैं। ये ग्रह अपनी ऊर्जा को भीतर की ओर मोड़ते हैं, जिससे व्यक्ति की आंतरिक सोच, संघर्ष और कर्म में तीव्रता आती है।
2. फल देने का तरीका अलग
वक्री ग्रह अक्सर जीवन में देरी से या अप्रत्याशित रूप से फल देते हैं। इनके फल सामान्य ग्रहों की तरह सीधी रेखा में नहीं आते, बल्कि वे व्यक्ति को भीतर से विकसित करके देते हैं।
3. पूर्व जन्म का संकेत
वक्री ग्रहों को पूर्व जन्म के अधूरे कर्मों और पुराने संबंधों से भी जोड़ा जाता है। ये ग्रह उन क्षेत्रों को सक्रिय करते हैं जहां आत्मा को कुछ सीखना या सुधार करना बाकी होता है।
प्रभाव का तरीका
मंगल देव वक्री: क्रोध, ऊर्जा और निर्णय शक्ति पर असर; अंदरूनी संघर्ष बढ़ा सकते हैं।
बुध देव वक्री: संचार में रुकावटें, भ्रम, तकनीकी दिक्कतें या फैसलों में उलझन ला सकते हैं।
शुक्र देव वक्री: संबंधों, प्रेम और धन से जुड़ी परिस्थितियां पलट सकती हैं।
बृहस्पति देव वक्री: विश्वास, धर्म, शिक्षा और गुरु संबंधी अनुभवों की पुनः समीक्षा कराते हैं।
शनिदेव वक्री: कर्म, जिम्मेदारी और जीवन के पाठ कठिन तरीके से सिखाते हैं।
जन्म कुंडली में वक्री ग्रह
अगर कोई ग्रह जन्म के समय वक्री होता है, तो वह व्यक्ति के भीतर गहराई से काम करता है। ऐसे लोग उस ग्रह से जुड़े जीवन क्षेत्र में सामान्य ढर्रे से हटकर सोचते हैं। वे अक्सर भीड़ से अलग रास्ता चुनते हैं, और उनके अनुभव दूसरों से अलग, अधिक भीतर जाने वाले और आत्ममंथन से जुड़े होते हैं।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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