भोजपुर में 1.36 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती, खेतों में जल जमाव से चिंतित किसान
भोजपुर जिले में रबी विपणन वर्ष 2025-26 में 1.36 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती का लक्ष्य है। किसानों को बीज पर अनुदान दिया जा रहा है, लेकिन खेतों में जलजमाव के कारण बुआई में देरी हो रही है। चक्रवात के कारण धान की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। समय पर बुआई न होने से रबी फसल प्रभावित हो सकती है।

जागरण संवाददाता, आरा। भोजपुर जिले में रबी विपणन वर्ष 2025-26 में एक लाख दो हजार 421 हेक्टेयर में गेहूं की खेती होगी। यह पिछले वर्ष की तुलना में करीब दो हजार हेक्टेयर अधिक है। पिछले वर्ष लगभग इतना ही लक्ष्य निर्धारित था। वहीं रबी के सभी फसलों के लिए एक लाख 36 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य है।
जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि रबी फसल को लेकर किसानों के बीच कार्यशाला आयोजित कर खेती और बीज पर अनुदान की जानकारी दी गई है। अनुदानित दर पर बीजों का वितरण प्रारंभ है। इधर, किसान भी रबी फसल को लेकर तैयारी शुरू कर चुके हैं। वे धान की कटनी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन धान के खेतों में पानी जमा है। जबकि नवंबर माह का समय रबी फसल की बुआई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. पीके द्विवेदी ने बताया कि मौसम विभाग रबी फसल के लिए मौसम को अनुकूल बता रहा है। किसानों को रबी बुआई में जुट जाने का समय है, लेकिन अभी तक खेत खाली नहीं है। मोंथा चक्रवात ने किसानों की हालत पतली कर दी है। लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों के सामने अब रबी फसल की बुआई को लेकर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। आमतौर पर हर साल 15 नवंबर से गेहूं, तिलहन और आलू की बुवाई शुरू ही जाती है, लेकिन इस बार खेतों में जलजमाव और धान के गिरे फसल ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 15 से 30 नवंबर तक का समय गेहूं, तिलहन और आलू की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन इस बार धान की कटाई अधूरी है और खेतों की जुताई संभव नहीं हो पा रही।
गंगा के तटीय प्रखंडों में पानी में सड़ रही धान की फसल
शाहपुर, बड़हरा और जगदीशपुर के चार हजार से अधिक जमीन में धान की खड़ी फसल गिर गई है। कई गांवों में अब तक खेतों में पानी भरा हुआ है, जिससे बुवाई की संभावना फिलहाल दूर दिख रही है। किसानों की उम्मीद थी कि धान की फसल खराब होने के बाद समय पर गेहूं और तिलहन की बुवाई कर वे कुछ हद तक नुकसान की भरपाई कर पाएंगे, लेकिन खेतों से पानी नहीं निकलने के कारण वे दोहरी मार झेल रहे हैं। एक और खरीफ फसल का नुकसान, दूसरी और रवि की बुवाई पर संकट ने चिंता बढ़ा दी है।
जब धान की फसल पकने की स्थिति में थी, तभी एक महीने के भीतर आए दो चक्रवती तूफानों ने भारी वर्षा के साथ फसल बर्बाद कर दी। पहले अनावृष्टि से फसल की पैदावार प्रभावित हुई, फिर लगातार वर्षा ने खेतों में जलभराव कर किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
कई स्थानों पर धान की फसल अब भी पानी में सड़ रही है। किसान मौसम के सामान्य होने और खेतों से पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं। यदि समय पर खेत सूखे नहीं तो फसल की बुवाई में भारी विलंब होगा, जिससे रबी फसल के प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।

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