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कैमूर में टीबी के रोगियों को दी जा रही है ये सुविधा, 2025 तक बीमारी से निजात पाने की कोशिश जारी

कैमूर के 11 प्रखंडों में टीबी की जांच की व्यवस्था हो चुकी है। लक्षण व जांच के आधार पर चिह्नित रोगियों का मशीन से सत्यापन के बाद जिले से रोगियों को पंजीकृत कर उन्हें निशुल्क दवा उपलब्ध कराने का कार्य शुरू कर दिया जा रहा है।

By Rahul KumarEdited By: Updated: Thu, 20 Jan 2022 11:09 AM (IST)
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2025 तक टीबी बीमारी को खत्म करने की तैयारी। सांकेतिक तस्वीर

जासंं, भभुआ। जिले को वर्ष 2025 तक टीबी रोग से मुक्त करने की दिशा में सकारात्मक पहल की जा रही है। सरकार के स्तर से विभाग में लगाई गई टूनेट मशीन से मैनुअल की अपेक्षा जल्द रोगियों की पहचान कर उनका इलाज शुरू कराने का कार्य आसान हो गया है। रोगियों को निशुलक दवा के साथ प्रतिमाह प्रधान मंत्री द्वारा वर्ष 2018 में चलाई गई निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत पांच सौ रुपये खाता के माध्यम से दिए जाने से अधिकांश रोगी निर्धारित छह व नौ माह तक में टीबी मुक्त हो जा रहे हैं। नियमित दवा नहीं खाने वाले मरीजों की दवा नौ माह बाद भी चलानी पड़ती है। क्याेंकि ऐसे रोगी के संपर्क में आने वाला भी रोग से प्रभावित हो जाता है।

आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से टीबी रोगियों की पहचान लक्षण के आधार पर किया जा रहा है। उन्हें इसके लिए प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान है। रोग की पहचान के लिए जांच की व्यवस्था- जिला मुख्यालय स्थित टीबी विभाग के अलावा सभी 11 प्रखंडों में रोग की जांच की व्यवस्था हो चुकी है। लक्षण व जांच के आधार पर चिह्नित रोगियों का मशीन से सत्यापन के बाद जिले से रोगियों को पंजीकृत कर उन्हें निशुल्क दवा उपलब्ध कराने का कार्य शुरू कर दिया जा रहा है। इसके साथ ही उनके आधार कार्ड व पासबुक की छाया प्रति मांग कर उनके खाते में निष्क्षय पोषण योजना की राशि डालने का क्रम भी जा रही है।

जिले में वर्ष 2021 में सभी 11 प्रखंड मिलाकर जनवरी से दिसंबर माह तक कुल 8062 लोगों की जांच की गई।इसमें 1564 टीबी रोगी पाए गए। इलाज के बाद 1400 रोगी रोग मुक्त हो गए। इसमें से पास बुक व आधार कार्ड की छाया प्रति उपलब्ध करा चुके 1250 लोगों के खाते में प्रति माह पांच सौ की दर से राशि डाली जा चुकी है। विलंब से मिले कागजात में राशि भेजने की प्रक्रिया चल रही है।क्या

इस संबंध में प्रभारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा. अशोक सिंह ने बताया कि कैमूर जिले को टीबी रोग से मुक्त करने की पहल की जा रही है। उम्मीद है वर्ष 2025 तक लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। इलाज में निशुल्क दवा की व्यवस्था के साथ पोषण राशि दिए जाने के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है। उन्होंने टीबी रोगियों से नियमित रूप से दवा सेवन करने की अपील की।

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