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Jehanabad News: बंधुआ मजदूर से बनीं उद्यमी, ये हैं चनाचूर वाली दीदियां; पतियों को भी परदेस से वापस बुलाया

जहानाबाद की महिलाएं उद्यमी बनकर अपनी जिंदगी बदल रही हैं। 15 साल तक बंधुआ मजदूरी करने के बाद उन्होंने जीविका समूह से ऋण लेकर चनाचूर बनाने का काम शुरू किया। अब वे महीने में 10 हजार कमाती हैं और पतियों को भी परदेस से बुला लिया है। गांव में लगभग एक दर्जन महिलाएं इस स्वरोजगार से जुड़ी हैं और उनके उत्पाद जहानाबाद से लेकर अरवल तक बेचे जा रहे हैं।

By Dheeraj kumarEdited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 22 Oct 2024 04:05 PM (IST)
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जहानाबाद की बंधुआ मजदूर बनी उद्यमी (जागरण)

राकेश कुमार, जहानाबाद। Jehanabad News: जहानाबाद जिले के सैदपुर गांव की महिलाएं उद्यम की दुनिया में हाथ आजमा रही हैं। उद्यमी बनने से पहले इनके लिए जीवन एक संघर्ष था, जो मुश्किल से कट रही थी। दूसरे के खेतों में बंधुआ मजदूरी करती थीं, पति परदेस में कमाते थे, हर दिन काम नहीं मिल पाता था। वे एक-दूसरे को मुश्किल से ही देख पाते थे। 15 साल तक बंधुआ मजदूरी के जाल में फंसी रहीं।

उम्र निकलती जा रही थी, पता नहीं था कि भविष्य में उनके लिए क्या लिखा है। वर्ष 2015 में महिलाओं ने मिलकर एक कोशिश की, जिससे जीवन में बदलाव आ गया। जीविका समूह से जुड़कर समूह से 20- 20 हजार का ऋण लेकर चनाचूर बनाने का काम शुरू की। अब कुछ घंटे काम कर ही महीने मेंं 10 हजार कमा लेती हैं। पतियों को भी परदेस से बुला लीं। पत्नियां घरों में चनाचूर बनाती हैं और पति उसे बाजार में पहुंचाते हैं।

पति-पत्नी दोनों को रोजगार मिल गया। मखदुमपुर प्रखंड के सैदपुर गांव की लक्ष्मी देवी, पिंकी देवी और सरिता देवी अब गांवों में चनाचूर वाली दीदी के नाम जानी जाती है। सैदपुर में घर-घर चनाचूर बनाने के सूक्ष्म उद्योग खुल गए। गांव की लगभग एक दर्जन महिलाएं इस स्वरोजगार से जुड़ी हैं।

महिलाएं कहती हैं कि लाभ और हानि किसी भी छोटे या बड़े स्वरोजगार का हिस्सा हैं। लेकिन शुरू करने के लिए साहस और प्रेरणा बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे बनाए उत्पाद जहानाबाद से लेकर अरवल तक बेचे जा रहे हैं।

कैसे तैयारी करती हैं चनाचूर

गांवों से सूखे चने की खरीदारी करती हैं। चना इक्ट्ठा कर उसे पानी में लगभग 10 घंटे तक रखा जाता है। फिर नमक के साथ हल्का भूनकर पापड़ के आकार का चनाचूर तैयार करती हैं। तैयार चनाचूर स्थानीय बाजार मखदुमपुर के अलावा जहानाबाद, गया और अरवल तक बिक्री के लिए पैकेट बनाकर भेजती हैं।

बिहार में महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़ रहीं आगे

बता दें कि बिहार के अन्य जिलों में भी महिलाएं आगे बढ़ रही है। व्यापार के क्षेत्र में भी वंचित महिलाएं काफी मेहनत कर रही हैं और आज के जेनरेशन की युवतियों के लिए मिसाल कायम कर रही हैं। वह दूसरी महिलाओं और पुरुषों को रोजगार देने का काम कर रही हैं और पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो रही हैं।

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