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23 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर रोक, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ने लिया फैसला

चाय की गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 23 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर रोक लगा दी है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया का यह निर्णय बिहार और पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्र में लागू होगा जिसमें चाय उत्पादक किसानों को 23 दिसंबर तक चाय पत्ती तोड़ने का निर्देश दिया है।

By Birbal MahtoEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 04 Dec 2023 12:07 AM (IST)
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गुणवत्ता व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ने लगाई रोक। (जागरण फोटो)

संसू, ठाकुरगंज (किशनगंज)। चाय की गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 23 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर रोक लगा दी है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया का यह निर्णय बिहार और पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्र में लागू होगा, जिसमें चाय उत्पादक किसानों को 23 दिसंबर तक चाय पत्ती तोड़ने का निर्देश दिया है।

उसी तरह बिहार राज्य में संचालित ग्रीन लीफ प्रोसेसिंग करने वाले टी फैक्ट्रियों को भी 26 दिसंबर से रोक लगाई गई है, यानी वे 25 दिसम्बर तक ही टी प्रोसेसिंग कार्य कर सकते हैं।  इसके बाद चाय फैक्ट्रियां चाय की पत्तियों की खरीद नहीं कर सकेंगी।

इन राज्यों में आदेश 11 दिसंबर से लागू

वहीं, देश के अन्य चाय उत्पादित राज्य सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व दार्जिलिंग हिल्स में 11 दिसंबर से ही यह निर्देश लागू हो जाएगा।

उक्त जानकारी देते हुए टी बोर्ड ऑफ इंडिया के बिहार प्रभाग के प्रभारी टी डेवलपमेंट ऑफिसर मनोज महतो ने बताया कि टी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर छह अक्टूबर 2023 को ही यह निर्देश जारी कर दिया गया था।

ग्रोवर एप के माध्यम से दी गई सूचना

उन्होंने बताया कि इसके अलावा राज्य के चाय उत्पादक कृषकों को उनके उत्पादन का सही मूल्य, समय-समय पर सरकारी अनुदेश, सही वक्त पर मौसम की जानकारी आदि सहित अन्य कई जानकारियां देने के लिए उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर पूर्व से सुविधा उपलब्ध चाय सहयोग ग्रोवर एप के माध्यम से उक्त सुचनाएं दे दी गई है।

ग्रोवर एप से किसानों व फैक्ट्रियों के बीच पारदर्शिता

उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी विभागीय निर्देश समेत कई तरह की सूचनाएं टी बोर्ड उपलब्ध कराती है। जैसे कि चाय उत्पादक किसानों को अपने क्षेत्र अंतर्गत संचालित चाय फैक्ट्रियों में चाय पत्ती की क्या दर है, उन्हें एप के माध्यम से प्रतिदिन मालूम कराई जाती हैं। इससे चाय उत्पादक किसानों व फैक्ट्रियों के बीच पारदर्शिता बनी हुई है और किसानों को सही लाभ भी मिल पा रहा है।

एप के माध्यम से किसानों को मिलती है सही जानकारी

उन्होंने कहा कि किस मौसम में किस तरह की खाद्य व दवाओं का प्रयोग करना है, चाय की खेती के वैज्ञानिक तरीके व नुख्शें, टी बोर्ड के संचालित योजनाओं आदि उन्हें एप के द्वारा भी बताया जाता है, जिससे उन्हें चाय की खेती करने में लागत में कमी व चाय उत्पादन में बढ़ोतरी का लाभ मिलता है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया चाय उद्योग को सालाना सब्सिडी उपलब्ध कराती है। इस एप सिस्टम से जुड़ने पर टी बोर्ड चाय उत्पादक किसानों को सब्सिडी का लाभ देती है।

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