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Ayushman Card: सरकारी से दोगुने आयुष्मान लाभार्थियों ने निजी अस्पतालों में कराया उपचार, जानें क्या है कारण?

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत योजना) गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। बिहार में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया है। हालांकि पटना जिले के आयुष्मान कार्डधारियों को सरकारी के बजाय निजी अस्पताल ज्यादा रास आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2018 से सितंबर माह तक जिले के दो लाख 30 हजार 317 आयुष्मान कार्डधारियों ने इलाज कराया।

By Pawan Mishra Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 07 Nov 2024 03:03 PM (IST)
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आयुष्मान कार्डधारियों को सरकारी अस्पतालों से ज्यादा निजी अस्पताल क्यों पसंद हैं?
जागरण संवाददाता, पटना। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत योजना), गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसके लाभुकों की संख्या बढ़ा दी है। इस कारण बिहार में इस योजना का नाम प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया। हालांकि, पटना जिले के आयुष्मान कार्डधारियों को सरकारी के बजाय निजी अस्पताल ज्यादा रास आ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से सितंबर माह तक जिले के दो लाख 30 हजार 317 आयुष्मान कार्डधारियों ने इलाज कराया। इनमें से 1 लाख 56 हजार 606 यानी 68 प्रतिशत आयुष्मान कार्डधारियों ने निजी अस्पतालों में इलाज कराया। इसके विपरीत 73 हजार 711 मरीजों ने ही एम्स पटना, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, एलएनजेपी, न्यू गार्डिनर, गुरु गाेविंद सिंह सदर अस्पताल, राजकीय आयुर्वेदिक कालेज, राजेंद्र नगर जैसे सरकारी अस्पतालों में उपचार कराया।

सरकारी अस्पतालों में होने वाली परेशानी से मरीज परेशान:

एम्स पटना, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच जैसे अस्पतालों ने रोगियों का विश्वास नहीं खोया पर वहां आयुष्मान लाभ लेने में होने वाली परेशानी उन्हें निजी अस्पतालों में जाने को विवश करती है। आइजीआइएमएस इमरजेंसी में भर्ती होना ही बड़ी बात है। सौभाग्य से बेड खाली हुआ तो आयुष्मान कार्ड पर भर्ती होना मुश्किल है। यहां कैश में मरीज भर्ती कराना पड़ता है। बाद में उसे कैश से डिस्चार्ज कर फिर आयुष्मान में कराना पड़ता है।

यही नहीं रोग को निर्धारित पैकेज राशि खत्म हाेने पर यदि पूरा इलाज कराना है तो फिर कैश में ट्रांसफर कराना पड़ता है। यही नहीं आयुष्मान से मिलने वाली राशि से कई गुना धन मरीज को प्रातिदिन खर्च करना पड़ता है। वहीं निजी अस्पतालों को जिन रोगों के इलाज की अनुमति प्राप्त है, उसके लिए मरीज को कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी पड़ती है।

सरकारी अस्पतालों के उत्थान के लक्ष्य में बाधा:

आयुष्मान योजना 60 प्रतिशत केंद्रांश व 40 प्रतिशत राज्यांश से संचालित की जाती है। गरीबों को पांच लाख तक निशुल्क उपचार के साथ, रोगी के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर निर्धारित राशि का 25 प्रतिशत अस्पताल की सुविधाएं बढ़ाने व 25 प्रतिशत इलाज करने वाले डाक्टर व टीम को देने का प्रविधान किया गया था। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में अधिकतर सेवाएं व दवाएं सभी के लिए पहले से ही निशुल्क हैं।

सरकारी क्षेत्र के सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल आइजीआइएमएस व एम्स पटना में सबसे अधिक गंभीर रोगियों का इलाज किया जा रहा है। मैं इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता हूं। वैसे भी यह आयुष्मान कार्डधारी की इच्छा है कि वह सरकारी अस्पताल में अपना उपचार कराए या निजी में। शशांक शेखर, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति

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