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    बिहार चुनाव 2025: नतीजों से पहले राजनीतिक दफ्तरों में सन्नाटा

    By SUNIL RAAJEdited By: Vyas Chandra
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 08:27 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद अब सभी की निगाहें 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। मतदान के बाद राजनीतिक दलों के कार्यालयों में शांति छाई हुई है। नेता और कार्यकर्ता अब नतीजों का इंतजार कर रहे हैं और अपने-अपने क्षेत्रों से फीडबैक ले रहे हैं। सभी दल विश्लेषण और मनोबल बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं।

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    राजद और जदयू कार्यालय की स्‍थ‍ित‍ि। जागरण

    सुनील राज, पटना। Bihar Assembly Elections 2025 के मतदान संपन्न हो चुके हैं। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं।

    कल तक जो सियासी हलचल पूरे राज्य में गूंज रही थी, जहां नेता-कार्यकर्ता सुबह से रात तक नारे, भाषण और रणनीति में डूबे रहते थे, वहां अब एक अजीब-सी शांति छा गई है।

    बुधवार को पटना स्थित कांग्रेस, राजद, जदयू और भाजपा के प्रदेश कार्यालयों का नजारा बिल्कुल बदला हुआ मिला। मानो लंबे संघर्ष के बाद सियासी रणबांकुरों को कुछ पल की नींद नसीब हुई हो। 

    पार्टी कार्यालयों में भी नहीं दिखी भीड़

    बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के एक दिन बाद बुधवार की सुबह से लेकर दोपहर तक पार्टी दफ्तरों में न तो भीड़ दिखी, न ही रणनीतिक बैठकें।

    चाय की दुकानों पर राजनीतिक बहस की जगह अब मतदान प्रतिशत और एक्जिट पोल की चर्चाएं सिमट गई हैं। कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में जहां कुछ कार्यकर्ता अखबार के पन्नों पर झुके हुए नतीजों का अनुमान लगा रहे थे, वहीं राजद कार्यालय में माहौल अपेक्षाकृत शांति दिखी।

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    यहां कुछ निर्माण कार्य भी होते दिखे। जदयू दफ्तर में नेताओं का आना-जाना सीमित रहा। लोग कार्यालय के सामने के हिस्से में कुर्सी लगाकर धूप सेकते दिखे। 

    BJP

    उत्‍साह और जोश कुछ थमा

    भाजपा प्रदेश मुख्यालय में भी उत्साह और जोश अब कुछ थमा हुआ दिखा। नेताओं की निगाहें अब टीवी चैनलों और इंटरनेता मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर टिकी हैं।

    कई नेता अपने-अपने क्षेत्रों से मिलने वाले फीडबैक रिपोर्टों का इंतजार कर रहे हैं। पार्टी दफ्तरों में संक्षिप्त बातचीत में एक बात साफ हुई कि लंबी-लगातार भाग-दौड़ के बाद पार्टी नेता-कार्यकर्ता फिलहाल अपने क्षेत्र में परिवार के बीच समय बिता रहे हैं।

    राजनीतिक गलियारों में इस सन्नाटे को महज चुनावी थकान बताया जा रहा है। पर असल में यह 14 नवंबर के नतीजों से पहले की वह सांस है जो हर पार्टी अगले झटके या जश्न से पहले भर रही है।

    क्योंकि जिस दिन ईवीएम खुलेंगे, उसी दिन तय होगा कि कहां बहार लौटेगी और कहां सन्नाटा लंबा चलेगा। फिलहाल सभी दल अपने-अपने स्तर पर विश्लेषण, समीक्षा और मनोबल बनाए रखने की कोशिश में हैं।

    सड़कों से लेकर दफ्तरों तक हलचल थमी जरूर है, लेकिन 14 नवंबर की सुबह एक बार फिर यही दफ्तर रोशन होंगे। कहीं विजय पताका लहराएगी, तो कहीं माथे पर शिकन गहराएगी।