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    World Pneumonia Day: निमोनिया से 15 फीसद बच्‍चों की मौत, ठंड में बढ़ जाता है खतरा; इस तरह करें बचाव

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:10 AM (IST)

    World Pneumonia Day 2021 सर्दियों के आगमन के साथ ही शिशुओं में निमोनिया से पीड़‍ित होने की संभावना भी बढ़ने लगी है। निमोनिया छींकने या खांसने से फैलने ...और पढ़ें

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    पीसीवी के टीके लगवाएं, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को रोग से बचाएं। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    आरा, अरुण प्रसाद। सर्दियों के आगमन के साथ ही शिशुओं में निमोनिया से पीड़‍ित होने की संभावना भी बढ़ने लगी है। निमोनिया छींकने या खांसने से फैलने वाला संक्रामक रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध बताते हैं कि निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में होने वाले बच्चों की मौतों में 15 प्रतिशत केवल निमोनिया की वजह से होती हैं। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है, जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।

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    जाने क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव

    जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। वहीं बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।

    टीकाकरण के जरिए पूरी तरह खत्‍म हो सकता है खतरा

    सुखद बात यह है कि इस गंभीर रोग को  टीकाकरण द्वारा पूरी तरह से रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निश्शुल्क उपलब्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएं। पीसीवी या न्यूमोकाकल कान्जुगगेट वैक्सीनेशन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका न सिर्फ निमोनिया, बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

    रोग के लक्षण को पहचान कर हो जाएं सतर्क

    कोरोना का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। ऊपर से सर्दी भी बढ़ रही है। ऐसे में आपके शिशुओं को कई तरह के शीतजनित रोग हो सकते हैं। ध्यान रखें और यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं, जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक  हो सकती है।

    पोषण और सफाई पर दें ध्यान

    डा. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि निमोनिया एक संक्रामक रोग है। इसलिए भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टीवाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें। जरूरत पड़ने पर मास्क और सैनिटाइजर  का उपयोग करवाएं। समय-समय पर बच्चे के हाथ धुलवाएं। उन्हें प्रदूषण से  बचाएं। ताकि सांस संबंधी समस्या न रहे। रोग-प्रतिरोधक क्षमता होने से बीमारी से लड़ना आसान होता है। इसलिए छह माह तक के शिशुओं को पूर्ण रूप से स्तनपान और उससे बड़े शिशुओं को पर्याप्त पोषण दें।