Delhi Blast: बहनों की शादी के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा था पंकज, दिल्ली धमाके ने छीन ली सांस
खानपुर के पंकज सहनी की दिल्ली धमाके में मौत हो गई। वह अपनी दो बहनों की शादी की तैयारी कर रहा था और परिवार का सहारा था। पंकज के पिता दिल्ली में टैक्सी चलाते हैं। पंकज भी टैक्सी चलाकर उनकी मदद करता था। हादसे में टैक्सी भी क्षतिग्रस्त हो गई। पंकज तीन भाइयों में मंझला था और उसकी दो बहनों की शादी होनी बाकी थी। घटना से गांव में मातम है।
-1762932604722.webp)
मृतक के पैतृक आवास पर शोक में डूबे दादा, चाची व अन्य। फोटो जागरण
संवाद सहयोगी, खानपुर। पंकज अपनी दो छोटी बहनों की हाथ पीले करने की तैयारी में जुटा था। पिता शुरू से ही दिल्ली में टैक्सी चला रहे थे। शाम में पिता घर आते तो पंकज टैक्सी लेकर निकल जाता। वह खूब मेहनत करता था। अभी परिवार में दो बेटी के हाथ जो पीले होने थे। अभी उसकी शादी भी नहीं हुई थी।
हम सभी उसके हाथ पीले होने का अरमान संजोए बैठे थे, लेकिन किसी को कहां पता था कि एक हादसे में हम सभी से हमारा पंकज छीन जाएगा। धमाके में हमारा सब कुछ एक झटके में खत्म हो गया। सभी अरमान पूरे होने से पहले ही टूट गए। घर में वृद्ध दादा अभी बैठे हैं।

पंकज की फाइल फोटो
उक्त बातें दिल्ली हादसे में मृत खानपुर प्रखंड के हसनपुर वार्ड सात की रूबी देवी ने बताई। वो दिल्ली हादसे में जान गंवाने वाली पंकज सहनी की चाची हैं। उन्होंने बताया कि सुबह में जब हादसे की जानकारी हुई तो जेठ को फोन किया तो पंकज की मौत की जानकारी मिली।
वे बताती हैं कि पंकज के पिता और उनके जेठ राम बालक सहनी करीब 25 वर्ष से अधिक समय पहले से दिल्ली में रह रहे। उन्होंने वहां अपना मकान भी बना रखा है। दिल्ली के उपकार विहार के पास घेबरा मोड़ में सपरिवार रहते हैं। हादसे में टैक्सी भी क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं टैक्सी भरण-पोषण का जरिया था, अब तो केवल ऊपर वाले का ही भरोसा है।
तीन भाइयों में मंझला था पंकज, एक बहन की हो चुकी है शादी
पंकज तीन भाइयों में मंझला था। बड़ा भाई संजय कुमार सहनी और छोटा भाई संजीव है। उसकी तीन बहनें भी हैं। इसमें बड़ी बहन सोनी कुमारी की शादी हो चुकी है, जबकि छोटी जुली कुमारी व दीपा कुमारी की शादी होनी है। तीन वर्ष पूर्व बड़े भाई की शादी में पंकज आखिरी बार घर आया था।
उसके बाद घर नहीं आया। जेठ और अन्य परिवार के लोग एक साल पहले यहां एक श्राद्ध कर्म में शामिल होने आए थे, लेकिन किसी कारणवश वह नहीं आ सका था। बताया गया कि उन लोगों के आने जाने का कोई निर्धारित समय नहीं था।
जब कोई कार्य प्रयोजन होता तब सभी यहां आते थे। दिल्ली में ही पूरी तरह से बसे है। पंकज का अंतिम संस्कार भी वहीं होने की उम्मीद है। जेठ ने फोन पर यहां आने आदि की कोई जानकारी नहीं दी है।
शुभचिंतकों का लगा रहा आना-जाना
उसके पैतृक आवास पर दादा, चाची और चचेरी भाई आदि सुबह खबर मिलने बाद से ही लगातार बिलख रहे। सभी का रो-रोकर बुरा हाल बना है। सुबह से किसी ने खाना पीना भी नहीं खाया था। सूचना पर शुभचिंतकों का घर पर जमावड़ा लगा रहा।
स्थानीय मुखिया संजीव कुमार चौधरी समेत कई गणमान्य लोग स्वजनों से मिलकर सांत्वना देने में जुटे रहे। बताया गया कि इस घटना से गांव में भी मातम पसरा हुआ है। सभी ने घटना की निंदा करते हुए सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग की है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।