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Samastipur News: समस्तीपुर में ये क्या चल रहा? न नक्शा पास, न NOC, धड़ल्ले से गंडक किनारे हो रहा अवैध निर्माण

Samastipur News समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे हो रहे अवैध निर्माण से प्रशासन की उदासीनता सामने आई है। नदी के किनारे और बांध के बीच कई बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं जिनके लिए किसी भी विभाग से अनुमति नहीं ली गई है। जल संसाधन विभाग का कहना है कि इन निर्माणों से नदी पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा।

By Abhinav Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Wed, 20 Nov 2024 03:37 PM (IST)
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समस्तीपुर में गंडक के पास अवैध निर्माण (जागरण)
 जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Samastipur News: समस्तीपुर शहर से गुजरने वाली बूढी गंडक नदी के किनारे सड़क के दाेनो तरफ अवैध बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। कुछ भवन व इमारत बनकर तैयार हो चुकी है वहीं दूसरी ओर नदी में कुछ भवनों व बहुमंजिली इमारतों का निर्माण जारी है। इन भवनों के निर्माण में किसी भी विभाग से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई। नियमों की अनदेखी कर रैयती व सरकारी जमीन पर मकान व शापिंग कांप्लेक्स का निर्माण करा लिया गया।

बिना नक्शा पास कराए बनाए गए इन भवनों में बिजली का कनेक्शन भी है। जबकि, सरकार इन सभी को अवैध मान रही है। हालांकि, इस दिशा में अब तक प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। न तो किसी को कोई रोक टोक किया गया और न ही कभी इन अवैध निर्माण की सुध ली गई। ऐसे में इन जमीन पर अवैध रूप से निर्माण कार्य करने वालों के हौसले बुलंद होते चले गए। एक-एक कर लोगों ने जमीन पर क्रमवार ढंग से अवैध निर्माण शुरू कर दिया। हद तो यह कि नगर क्षेत्र में इस तरह से बिना नक्शा पास कराए निर्माण कराया जा रहा।

कुछ वर्ष पूर्व तक उक्त जगह नगर निगम के परिसीमन के भीतर आ गया। जबकि इससे पूर्व यह क्षेत्र नगर परिषद में था लेकिन, तत्कालीन नगर परिषद या वर्तमान नगर निगम से इन भवनों व इमारतों के नक्शे भी पास नहीं कराए गए। इन जगहों से निगम को किसी तरह का कोई टैक्स भी नहीं मिल रहा है।

बावजूद निगम के अधिकारी इसकी सुधी नहीं ले रहे। केवल नगर निगम ही नहीं बल्कि इसके प्रति जिम्मेदार जल संसाधन विभाग व राजस्व विभाग भी उदासीन बना बैठा है। कुल मिलाकर यह देखा जाए तो सभी की उदासीनता से कहीं न कहीं इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। बिना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह संभव नहीं हो सकता।

जलसंसाधन विभाग ने कहा नदी पर निर्माण का नहीं पड़ेगा प्रभाव 

बांध के भीतर बनायी जा रही इन भवनों व इमारतों से जलसंसाधन विभाग ने नदी पर किसी तरह के दबाव नहीं पड़ने की बात कही। लेकिन, नियमों की अनदेखी कर बन रहे इन भवनों से कहीं न कहीं विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत प्रतीत होती है। विभाग की मानें तो यह भवन नदी व बांध के बीच बनी खाली जगह में बना है। यह नदी की पेटी से दूर है। उक्त निर्माण बांध के भीतर के हिस्से में हो रहा है। बांध के भीतर होने वाले निर्माण पूरी तरह से अवैध है। विभाग से इसको ले किसी तरह की कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दी गई। बावजूद इसका निर्माण कार्य किया गया और अब भी जारी है।

जल संसाधन विभाग ने बताया कि पक्का सरंचना का निर्माण दोनों बांध के बीच में है। यह नदी की मुख्य धारा से दूर है। इसका प्रभाव नदी की मुख्य धारा के प्रवाह पर नगण्य पड़ता है। साथ ही नदी के वाटर वे की तुलना में संरचना का आकार बहुत ही छोटा है लेकिन, यह छोटी संरचना प्रशासनिक उदासीनता से दिन ब दिन बढ़ती जा रही। निर्माण की रफ्तार को देखें तो जल्द ही नदी व बांध के बीच एक अच्छी कालोनी व बाजार बन जाने की उम्मीद की जा सकती है।

वर्तमान समय में नदी के बीच रेल पुल से ले बहादुरपुर सिनेमा हाल तक करीब पांच सौ से अधिक मकान व सैकड़ों दुकानों का जाल पसरा हुआ है। इनमें दर्जनों भवन व अन्य तरह के इमारतों का निर्माण जारी है। तीन मंजिला व चार मंजिला इमारत में मैरेज हाल, होटल, शापिंग कांप्लेक्स आदि संचालित किए जा रहे। दिन व दिन ही इन अवैध अतिक्रमण का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

दोनों तरफ के बांध किनारे शुरू हो चुका है अवैध निर्माण का खेल 

केवल शहर के एक तरफ ही नहीं बल्कि नदी के दोनों तरफ अब नगर निगम क्षेत्र में आ चुके है। नदी किनारे व बांध के बीच अवैध रूप से कब्जा करने वालों की होड़ मची हुई है। शहर की तरफ जहां धर्मपुर मोहल्ला से ले जितवारपुर तक यह खेल धड़ल्ले से जारी है वहीं मथुरापुर की तरफ भी यह जारी है। हालांकि, इस तरफ की अपेक्षा उस तरफ की रफ्तार अभी थोड़ी सी धीमी है। इन जमीनों में कुछ रैयती जमीन भी शामिल है। वैसी रैयती जमीन की खरीद बिक्री व वहां कब्जा जमाने के खेल में एक पूरा सिंडिकेट कार्य कर रहा है। दलाल खरीदारों को जमीन दिलाने के साथ ही वहां कब्जा जमाने व मकान बनवाने की गारंटी दे उसका सौदा तय करा रहे है। यह बीमारी दिन व दिन बढ़कर अब लाइलाज होती जा रही।

शहर की आबादी पर पड़ेगा असर 

बताया गया कि नदी किनारे इन अतिक्रमण का प्रभाव शहर के वातावरण पर पड़ना लाजमी है। नदी किनारे जारी इन अवैध निर्माण में शहर से सटे हरे भरे इलाके खत्म हो रहे। पेड़ आदि की कटाई जारी है। जल स्रोत पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। नदी किनारे बाढ़ का पानी कई महीनों तक फैला रहता है।

लेकिन, इन अतिक्रमण की वजह से अब उस फैलाव का दायरा दिन व दिन घटता रहा है। इससे शहर में पानी की किल्लत होनी लाजमी है। इतना ही नहीं बाढ़ के दिनों में इन घरों में रहने वाले लोगों के सामने भी खतरा गहरा जाता है। कुछ परिवार अपने मकान से निकल अपना आसरा बांध पर ले लेते है। इससे आवागमन में भी कठिनाइयां उत्पन्न हो जाती है।

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