Bihar Election Result 2025: खेसारी लाल के साथ छोटी कुमारी ने किया 'खेला', करिश्मा ने भी कर दिया कमाल
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों में खेसारी लाल यादव को छोटी कुमारी से कड़ी टक्कर मिली और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। करिश्मा ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे चुनावी समीकरण बदल गए। छोटी कुमारी की रणनीति और करिश्मा की लोकप्रियता ने मिलकर खेसारी लाल की हार सुनिश्चित की।

जागरण संवाददाता, छपरा। सारण की राजनीतिक धरती ने इस बार महिला सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी है। विधानसभा चुनाव परिणामों में जिले की तीन महिला प्रत्याशियों में से दो ने विजय हासिल कर यह साबित कर दिया कि राजनीति के मैदान में अब महिलाएं केवल सहभागी नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
भाजपा ने छपरा विधानसभा क्षेत्र से छोटी कुमारी को, जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने बनियापुर से चांदनी कुमारी और परसा से करिश्मा कुमारी को टिकट दिया था। इनमें से दो महिलाओं ने जीत दर्ज की, बल्कि पुरुष दिग्गजों को कड़े मुकाबले में पछाड़कर एक मजबूत राजनीतिक संदेश भी दिया है।
करिश्मा कुमारी की शानदार जीत:
परसा विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी करिश्मा कुमारी ने जदयू के अनुभवी नेता व निवर्तमान विधायक छोटेलाल राय को हराकर बड़ा उलटफेर किया है। चुनाव मैदान में उन्हें शुरुआत से ही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, लेकिन जनता का भरोसा और युवाओं का समर्थन उनके पक्ष में निर्णायक साबित हुआ।
करिश्मा कुमारी की जीत केवल राजनीतिक परिणाम नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की राजनीति में महिलाओं की सक्रियता और नेतृत्व क्षमता का उदाहरण भी है।
छोटी कुमारी ने खेसारी लाल यादव को दी कड़ी मात:
छपरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी छोटी कुमारी ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित स्टार और राजद के उम्मीदवार खेसारी लाल यादव को हराकर सबको चौंका दिया। यह मुकाबला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना रहा।
एक तरफ भोजपुरी सिनेमा का बड़ा नाम, दूसरी तरफ संगठन की मजबूत महिला कार्यकर्ता इस संघर्ष में छोटी कुमारी की जीत ने यह संदेश दिया कि जनता प्रदर्शन और लोकप्रियता से ज्यादा ईमानदार जनसेवा और जमीन से जुड़े मुद्दों को महत्व देती है।
छोटी कुमारी की यह जीत प्रदेश की राजनीति में महिलाओं के बढ़ते प्रभाव का स्पष्ट प्रमाण है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मुहल्लों तक महिला मतदाताओं ने जिस तरह समर्थन दिया, उसने परिणामों की दिशा ही बदल दी।
चांदनी देवी को कड़ा मुकाबला, लेकिन नहीं मिला जनादेश:
बनियापुर सीट से राजद प्रत्याशी चांदनी देवी भले ही जीत नहीं सकीं, लेकिन उनके चुनाव प्रचार और संघर्ष ने महिला नेतृत्व के विस्तार को नई दिशा दी है। कड़े मुकाबले में जनता ने उन्हें अंतिम समय तक मजबूत दावेदार बनाए रखा। भले ही परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए, पर उनकी उपस्थिति ने यह स्थापित किया कि अब हर दल में महिलाओं की दावेदारी मजबूती से उभर रही है।
महिलाओं की जीत में महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका:
इस चुनाव में महिलाओं के बढ़े हुए मतदान प्रतिशत ने भी महिला प्रत्याशियों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की लंबी कतारें और राजनीतिक रुझान ने यह संकेत दिया कि वे अब केवल घरेलू मुद्दों तक सीमित नहीं, बल्कि शासन, सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा और रोज़गार जैसे व्यापक विषयों पर खुलकर निर्णय ले रही हैं।
सारण में महिला नेतृत्व का उभार:
यह चुनाव परिणाम केवल दो महिलाओं की जीत का आंकड़ा नहीं, बल्कि बदलते सामाजिक परिवेश का प्रतिबिंब है। सारण के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर है जब इतनी अधिक संख्या में महिलाओं को प्रमुख पार्टियों ने टिकट दिया और उनमें से दो ने पुरुष प्रतिद्वंद्वियों को हराकर बड़ी जीत दर्ज की। यह संदेश सिर्फ सारण ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है कि महिलाएं अब निर्णायक शक्ति बन चुकी हैं।
आगे की राजनीति में महिलाओं की भूमिका और मजबूत होगी:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सारण में महिलाओं की यह सफलता आने वाले चुनावों में राजनीतिक दलों को भी अपने टिकट वितरण में व्यापक बदलाव करने को प्रेरित करेगी। महिलाओं की जीत से उनके सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण का दायरा और विस्तृत होगा। सारण की यह चुनावी तस्वीर इस बात की गवाही देती है कि राजनीति में महिलाएं अब पीछे नहीं,बल्कि नेतृत्व की मुख्य धारा में तेज कदमों के साथ आगे बढ़ रही हैं।

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