वैश्विक हालात की चुनौतियों पर आरबीआइ बोर्ड में चिंता, आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में भी दिखेगा असर
जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि यूक्रेन-रूस हालात के भारत की इकोनोमी पर पड़ने वाला असर सबसे बड़ी चुनौती का कारण है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इन उत्पादों की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध से जिस तरह के वैश्विक हालात बने हैं उससे भारत की इकोनोमी को बचाने के लिए किस तरह के एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है इसको लेकर आरबीआइ में लगातार विमर्श का दौर चल रहा है। शुक्रवार को आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई है। बैठक बंगलुरू में आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई जिसमें वित्त मंत्रालय के भी दो वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया है। आरबीआइ के स्तर पर पिछले कुछ दिनों के भीतर मौजूदा हालात पर बुलाई गई यह तीसरी बैठक थी। इसके पहले आरबीआइ ने बैंकों के साथ भी इस बारे में अलग से विमर्श किया था।
बताया जा रहा है कि इन बैठकों का असर अगले महीने की मौद्रिक नीति समीक्षा में देखने को मिलेगा।चालू वित्त वर्ष के दौरान आरबीआइ की गतिविधियों पर भी चर्चा हुई और अगले वित्त वर्ष के लिए आरबीआइ के बजट को भी मंजूरी दी गई है। बैठक में आरबीआइ के चारों डिप्टी गर्वनर, निदेशक बोर्ड के सारे सदस्य और वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सचिव और वित्तीय सेवा विभाग के सचिव संजय मल्होत्रा ने भी हिस्सा लिया है।आरबीआइ निदेशक बोर्ड की इस बैठक तब हो रही है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि यूक्रेन-रूस हालात के भारत की इकोनोमी पर पड़ने वाला असर सबसे बड़ी चुनौती का कारण है।
पिछले गुरुवार को आरबीआइ की तरफ से जारी मासिक रिपोर्ट में देश की इकोनोमी की जो तस्वीर दिखाई गई है उसमें कहा गया है कि घरेलू इकोनोमी की दशा काफी अच्छी है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती वैश्विक हालात और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से आती दिख रही है। पिछले कुछ दिनों में मूडीज, फिच, संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट में वर्ष 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक विकास की दर को घटा दिया गया है और इसके लिए यूक्रेन की स्थिति को ही सबसे बड़ा कारण बताया गया है।
मौद्रिक नीति तय करने वाली आरबीआइ गर्वनर की अध्यक्षता वाली समिति की 8-10 फरवरी, 2022 को हुई बैठक में कच्चे तेल, धातुओं व दूसरे उत्पादों की कीमतों में भारी वृद्धि को लेकर काफी ¨चता जताई गई थी। जबकि 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इन उत्पादों की कीमतों में और ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है।