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Economic growth: भारत की मजबूत बुनियाद को बताता है आर्थिक वृद्धि परिदृश्य

गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के अनुमानों से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति घटकर 2024-25 में 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत हो सकती है। यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने अगस्त में आरबीआई के चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से नीचे 3.65 प्रतिशत पर रही।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 13 Sep 2024 09:30 PM (IST)
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जुलाई में यह पांच साल के निचले स्तर 3.60 प्रतिशत पर थी।
एजेंसी, नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत का आर्थिक वृद्धि परिदृश्य देश के वृहद आर्थिक बुनियाद की मजबूती को बताता है। उन्होंने कहा कि इसमें निजी उपभोग और निवेश जैसे घरेलू तत्व प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने ब्रेटन वुड्स कमेटी, सिंगापुर द्वारा आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024 में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण आए गंभीर संकट से उबर गई और इसकी 2021-24 के दौरान औसत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रही।

चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए आरबीआई ने वास्तविक जीडीपी यानी आधार मूल्य पर वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। दास ने मुद्रास्फीति के बारे में कहा कि यह अप्रैल, 2022 के 7.8 प्रतिशत के उच्च स्तर से घटकर दो से छह प्रतिशत के संतोषजनक दायरे में आ गई है, लेकिन 'हमें अभी भी एक दूरी तय करनी है और हम दूसरी तरफ देखने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के अनुमानों से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति घटकर 2024-25 में 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत हो सकती है। यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, 'उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने अगस्त में आरबीआई के चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से नीचे 3.65 प्रतिशत पर रही। जुलाई में यह पांच साल के निचले स्तर 3.60 प्रतिशत पर थी।

मध्यम अवधि में सार्वजनिक ऋण का स्तर घट रहा

उन्होंने कहा, 'राजकोषीय मजबूती जारी है और मध्यम अवधि में सार्वजनिक ऋण का स्तर घट रहा है। कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, जिससे उनके कर्ज में कमी आई है और लाभ के कारण मजबूत वृद्धि संभव हुई है।' गवर्नर ने कहा कि आरबीआई द्वारा विनियमित बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का बहीखाता भी मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा हमारे परीक्षणों से पता चलता है कि ये वित्तीय इकाइयां गंभीर तनाव परि²श्यों में भी नियामकीय पूंजी और नकदी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगी।'

अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर देता है भारत का दृष्टिकोण दास ने कहा कि वैश्विक प्रगति के बारे में भारत का दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर देता है जो लोगों पर केंद्रित, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक है। उन्होंने कहा कि साल 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता और उसके बाद उसका निरंतर योगदान नयी दिल्ली के विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' बनाने के दृष्टिकोण को बताता है।

दास ने कहा, 'इन प्राथमिकताओं में 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) को मजबूत करना, डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देना, निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए ऋण का समाधान और भविष्य के शहरों का वित्तपोषण करना आदि शामिल है।