Health Insurance: सावधानी से खरीदें स्वास्थ्य बीमा, कम प्रीमियम के साथ मिलेंगे ज्यादा फायदे
Health Insurance बहुत जरूरी है। इस इंश्योरेंस से आप अपने और पूरी फैमिली को सिक्योर कर सकते हैं। इसके अलावा आप मेडिकल एक्सपेंस को भी बचा सकते हैं। कई बार महंगे प्रीमियम होने के कारण उपभोक्ता इंश्योरेंस नहीं लेते हैं। हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि आप कैसे कम प्रीमियम में हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं और इंश्योरेंस लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) खरीदने के दौरान बीमा एजेंट कई प्रकार की जानकारी उपभोक्ताओं को नहीं देते हैं। ऑनलाइन स्वास्थ्य बीमा खरीदने के दौरान भी जानकारी नहीं होने के कारण ग्राहक अपना प्रीमियम कम नहीं कर पाते हैं। कुछ वर्ष पहले तक स्वास्थ्य बीमा उत्पादों में मिलने वाली सुविधाओं में बदलाव करने का विकल्प नहीं मिलता था, लेकिन अब यह विकल्प उपलब्ध है। उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार स्वास्थ्य बीमा उत्पाद की सुविधाओं में बदलाव कर अपना प्रीमियम कम कर सकते हैं।
ऐसे कम कर सकते हैं प्रीमियम
अगर आपको लगता है कि इलाज के दौरान आप सिंगल रूम की जगह डबल रूम में या फिर जनरल वार्ड में रह सकते हैं तो आप सिंगल रूम के फीचर को बदल सकते हैं। इससे आपके प्रीमियम में 5-10 फीसदी तक की कमी आ सकती है। बीमा एजेंट से विचार-विमर्श के बाद आप कई और फीचरों में बदलाव कर प्रीमियम कम कर सकते हैं। फीचर बढ़ाने पर आपका प्रीमियम बढ़ जाएगा।
अपनी सुविधानुसार तय करें प्रीमियम की अवधि
पहले उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम एक साथ चुकाना पड़ता था। एकसाथ पैसा जाने के कारण कई लोग बीमा खरीदने से चूक जाते थे। लेकिन अब बीमा कंपनियां उपभोक्ताओं की सुविधा के अनुसार प्रीमियम भुगतान की सुविधा दे रही हैं। उपभोक्ता स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम एक साथ देने के बजाए छमाही, तिमाही या मासिक आधार पर भी दे सकते हैं।पूरी जानकारी दें
बीमा उत्पाद की खरीदारी के दौरान अपनी पुरानी बीमारी की पूरी जानकारी देनी चाहिए। अन्यथा कई बार इन कारणों से क्लेम खारिज हो जाता है। - बीपी, शुगर या हार्ट संबंधित बीमारी पहले से हैं तो उसकी जानकारी दे देनी चाहिए। इन बीमारियों के लिए तीन साल तक का वेटिंग पीरियड होता है। मतलब इन बीमारियों से जुड़े इलाज का खर्च वेटिंग पीरियड के बाद कंपनी देगी।लगातार पांच साल तक इंश्योरेंस जारी रखने के बाद कंपनी किसी बीमारी के क्लेम को खारिज नहीं कर सकती है।
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