भारत का बढ़ेगा आर्थिक दबदबा, तीन साल में जापान-जर्मनी से निकल सकता है आगे
भारत की अर्थव्यवस्था जल्द ही जापान और जर्मनी जैसे विकसित देशों से बड़ी हो सकती है। जी20 शेरपा अमिताभ कांत का कहना है कि भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश के जरिये भारत अगले एक दशक में वैश्विक विकास वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान देगा। उन्होंने कहा कि भारत को अगले तीन दशकों में 9-10 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से बढ़ रही है। पिछली कुछ तिमाहियों में तो इसने प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। लेकिन, यह जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। फिर भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका रहेंगे।
जी20 शेरपा अमिताभ कांत का कहना है कि भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश के जरिये भारत अगले एक दशक में वैश्विक विकास वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान देगा। जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने एआईएमए के सम्मेलन में कहा, 'अगले तीन सालों में हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। खास बात यह है कि जहां विकास के लिए दुनिया तरस रही है वहीं इस दौरान भारत एक बहुत ही लचीली शक्ति के तौर पर उभरा है।'
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आज जो हम देख रहे हैं, वह हमारी आर्थिक स्थिति में एक पीढ़ी में एक बार होने वाला बदलाव है। कुछ साल पहले हम नाजुक दौर से गुजर रहे थे और आज हम शीर्ष पांच में शामिल हैं। देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन को बदलने, उनके स्वास्थ्य में सुधार करने और पोषक मानकों को बढ़ाना होगा। भारत को भविष्य में विकास को गति देने के लिए कई विकसित प्रदेशों की जरूरत होगी।
अमिताभ कांत, जी20 शेरपा
अमिताभ कांत ने कहा, ''अगर भारत को अगले तीन दशकों में 9-10 प्रतिशत की दर से विकास करना है और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें बहुत बड़े पैमाने पर सुधार करने होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य, जो देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें बदलने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत की शीर्ष 50 प्रतिशत आबादी वास्तव में विकास और समृद्धि को बढ़ावा देती है। नीचे की 50 प्रतिशत आबादी मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और वह कृषि मजदूरी या सरकारी कल्याण योजनाओं पर निर्भर है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम निचले 50 प्रतिशत लोगों के जीवन में बदलाए लाएं।
(पीटीआई से इनपुट के साथ)