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किसान होंगे मालामाल, मोदी सरकार ने गेहूं और चना समेत 6 फसलों पर MSP बढ़ाई

आज यूनियम कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। कैबिनेट ने किसानों को दिवाली से पहले ही तोहफा दे दिया। दरअसल कैबिनेट ने 6 फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी का एलान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी आइए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Wed, 16 Oct 2024 09:55 PM (IST)
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Union Cabinet ने गेहूं और चना समेत 6 फसलों पर MSP बढ़ाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दीवाली-छठ से पहले किसानों का ख्याल करते हुए छह रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अच्छी वृद्धि की है। यह वृद्धि न्यूनतम 130 रुपये एवं अधिकतम तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं के एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटलकी वृद्धि कर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सबसे ज्यादा वृद्धि रेपसीड और सरसों के दाम में हुई है। इसमें प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बढ़ाया गया है।

इसी तरह मसूर के दाम में 275 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। केंद्र के इस फैसले को झारखंड, महाराष्ट्र एवं दिल्ली में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। सरकारी दर पर रबी फसलों की खरीद-बिक्री का सत्र अप्रैल 2025 से शुरू होगा। विशेष उल्लेखनीय यह है कि अधिकतर फसलों की एमएसपी अब लागत के लगभग डेढ़ गुना हो चुकी है जिसकी मांग होती रही थी।

कैबिनेट ने फसलों पर कितनी एमएसपी बढ़ाई

फसल कितनी बढ़ी MSP
गेहूं 2425 रुपये प्रति क्विंटल
जौ 130 रुपये प्रति क्विंटल
चना 210 रुपये प्रति क्विंटल
मसूर  275 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों  300 रुपये प्रति क्विंटल
कुसुंभ (Safflower) 140 रुपये प्रति क्विंटल

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार का यह फैसला किसानों के कल्याण से जुड़ा है। खरीफ की तरह रबी फसलों के एमएसपी में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। देश में खरीफ धान के बाद दूसरी सबसे बड़ी रबी फसलों में गेहूं है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को मुफ्त राशन देने के लिए सरकार को प्रत्येक वर्ष लगभग चार सौ लाख टन खाद्यान्न की जरूरत पड़ती है, जिसमें धान एवं गेहूं प्रमुख फसलें हैं। खरीफ मौसम में सरकार ने धान समेत 17 फसलों के एमएसपी में वृद्धि की थी। अब रबी में गेहूं के समर्थन मूल्य को पिछले वर्ष के 2,275 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

देश में खाद्य तेलों और दालों की भारी कमी है। इसके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर रहते हैं। इन दोनों खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने 2027 तक लक्ष्य रखा है। तिलहन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से इसके दाम में सबसे अधिक वृद्धि की गई है। रैपसीड एवं सरसों के बीज का समर्थन मूल्य 300 रुपये बढ़ाकर 5,950 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

मसूर के एमएसपी को 275 रुपये बढ़ाकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि चने के एमएसपी में 210 रुपये बढ़ाते हुए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

कैसे तय किया गया रबी फसलों का एमएसपी

रबी फसलों का एमएसपी 2018-19 के केंद्रीय बजट की घोषणा के अनुरूप ही तय किया गया है। लागत का आकलन उत्पादन में आने वाले संपूर्ण खर्च है। एमएसपी इससे कम-से-कम डेढ़ गुना अधिक होगा। इसी के अनुरूप लागत की तुलना में गेहूं का एमएसपी 105 प्रतिशत है।

रैपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत, दाल के लिए 89 प्रतिशत, चना के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशतऔर कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। लागत में सभी तरह के भुगतान की राशि शामिल होती हैं। जैसे मानव एवं मशीन श्रम, पट्टे की जमीन के लिए भुगतान किया गया किराया; बीज, उर्वरक, खाद आदि की खरीदारी में खर्च रुपये, सिंचाई शुल्क, औजारों और कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेट आदि के संचालन के लिए डीजल, बिजली, विविध खर्च और पारिवारिक श्रम का मूल्य होता है।

वैष्णव ने कहा कि एमएसपी में वृद्धि से किसानों को लाभकारी मूल्य और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।

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