GDP Growth: RBI ने विकास दर के अनुमान को बढ़ाया, ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में कही यह खास बात
आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश की इकोनॉमी ने जो दम दिखाया था वह चालू साल में भी जारी रहने की संभावना है। घरेलू मांग की सुखद स्थिति को देख कर ही वैश्विक तनाव की चुनौतियों को दरकिनार किया गया है। कृषि क्षेत्र की स्थिति भी अच्छी रहने की संभावना है क्योंकि देश में मानसून की स्थिति अच्छी रहने वाली है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती वित्त वर्ष के दौरान देश का विकास दर अनुमान से बेहतर रह सकता है। शुक्रवार को आरबीआई ने वर्ष 2024-25 के लिए विकास दर के अनुमान को पूर्व के सात फीसद से बढ़ाकर 7.2 फीसद कर दिया है।
वित्त वर्ष 2023-24 में भी पहले विकास दर के सात फीसद रहने की बात कही गई थी लेकिन अब जो ताजे आंकड़े आए हैं उसमें यह 8.2 फीसद दर्ज की गई है। मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआई ने विकास दर का यह अनुमान व्यक्त किया है। यह सरकार के लिए भी काफी संतोषजनक खबर है क्योंकि केंद्रीय बैंक ने कहा है कि विकास दर में अनुमान ग्रामीण क्षेत्रों में मांग की स्थिति के सुधरने और निजी उपभोग के बेहतर होने के आधार पर किया गया है।
बरकरार रहेगी इकोनॉमी की तेज रफ्तार
आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश की इकोनॉमी ने जो दम दिखाया था, वह चालू साल में भी जारी रहने की संभावना है। घरेलू मांग की सुखद स्थिति को देख कर ही वैश्विक तनाव की चुनौतियों को दरकिनार किया गया है।
डॉ. दास ने कहा है कि बैंकों की तरफ से गैर-खाद्य कर्ज देने की रफ्तार भी बढ़ रही है। ब्याज दरों में तेजी के बावजूद ऐसा हो रहा है। दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र की स्थिति भी अच्छी रहने की संभावना है क्योंकि देश में मानसून की स्थिति अच्छी रहने वाली है। देश के जलाशयों में पानी का पर्याप्त भंडार रहने से खरीफ उत्पादन के उम्मीद से बेहतर रहने की संभावना है।
मेड इन इंडिया की बढ़ेगी डिमांड
इस आधार पर आरबीआई ने वर्ष 2024-25 की चारों तिमाहियों के विकास दर के क्रमश 7.3 फीसद, 7.2 फीसद, 7.3 फीसद और 7.2 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि इसके साथ कुछ जोखिम भी है। उन्होंने कहा है कि सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्चे पर ध्यान दिए जाने और कारोबारी समुदाय में काफी सकारात्मक ऊर्जा बनी हुई है, इससे देश में निवेश का माहौल बने रहने की संभावना है। इसके अलावा वैश्विक कारोबार में भी सुधार हो रहा है जिससे भारत में निर्मित उत्पादों की मांग बढ़ने की संभावना है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि, “विकास दर और महंगाई की स्थिति अभी हमारी उम्मीदों के मुताबिक ही है। महंगाई की स्थिति पूरी दुनिया में नरम हो रही है। हालांकि भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। लेकिन दुनिया भर के केंद्रीय बैंक महंगाई को रोकने के लिए प्रयासरत हैं।''
ब्याज दरों पर ये कहा RBI ने
आरबीआई गवर्नर ने इस कयास को खारिज किया कि, आरबीआइ अमेरिका के फेडरल बैंक के आधार पर अपने यहां ब्याज दरों पर फैसला करता है। आरबीआई स्थानीय मौसम व परिस्थितियों के मुताबिक फैसला करता है। दरअसल, मौद्रिक नीति समिति की तरफ से ब्याज दरों में कटौती नहीं किये जाने को फेडरल बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) की तरफ से भी वहां दरों में कटौती नहीं किये जाने से जोड़ कर देखा जा रहा है।
डॉ. दास से जब यह पूछा गया कि ब्याज दरों में कटौती कब होगी तो उनका जबाव था कि, आगे रेपो रेट घटाने का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि हम मुख्य महंगाई दर के चार फीसद पर स्थिर रहने को लेकर कितने भरोसेमंद है। आरबीआई ने सालाना महंगाई दर को चार फीसद पर रखने को लेकर काम करता है। अभी यह पांच फीसद के करीब है।
अगर यह चार फीसद पर आ जाता है और इसी स्तर पर बना रहता है तो मौद्रिक नीत में बदलाव हो सकता है। यानी ब्याज दरों को सस्ता करने का फैसला हो सकता है।
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