ब्याज दरों में कब होगी कटौती, आरबीआई ने क्या दिया इशारा; जानिए एक्सपर्ट की राय
आरबीआई ने लगातार दसवीं बार नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इसका मतलब कि आपकी EMI जस की तस बनी रहेगी। आरबीआई के फैसले पर तमाम इंडस्ट्री के एक्सपर्ट ने भी अपनी राय दी है। एक्सपर्ट के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर और शेयर मार्केट पर इस फैसले का अधिक असर होगा। उन्होंने ब्याज दरों में कटौती को लेकर अपना अनुमान भी बताया है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है। हालांकि, अमेरिका में ब्याज दरों में आधा फीसदी की भारी कटौती के बाद आरबीआई से भी राहत की उम्मीद थी। लेकिन, आरबीआई का आरबीआई का जोर अभी भी महंगाई को काबू में रखने का है।
आइए जानते हैं कि आरबीआई के ब्याज दर को यथावत रखने को पर तमाम इंडस्ट्री के एक्सपर्ट का क्या कहना है और ब्याज दरों में कब तक कटौती होने की उम्मीद है।
क्या रियल एस्टेट सेक्टर की राय
क्रेडाई के अध्यक्ष और गौर ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ ने कहा, "आरबीआई द्वारा रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने की घोषणा से बाजार और खरीदारों के साथ-साथ रियल एस्टेट डेवलपर्स दोनों में उत्साह बढ़ेगा। आरबीआई ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में रेट कट हो सकता है और होम बायर्स को राहत मिल सकती है।"काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी का कहना है कि आरबीआई का रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर पहली बार घर खरीदने वालों के लिए, जो त्योहारों के मौसम में अच्छे ऑफर्स का इंतज़ार कर रहे हैं। मिसगन ग्रुप के एमडी यश मिगलानी ने आरबीआई के फैसले को मुद्रास्फीति पर काबू पाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के बीच का संतुलन बताया है।
कब ब्याज दरों में होगी कटौती
बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा का कहना है कि आरबीआई का ‘निष्पक्ष’ रूख अपनाने का फैसला भावी मौद्रिक नीति के प्रति संतुलित दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा, 'हालांकि, यह होम लोन ब्याज दरें कम होने की गारंटी नहीं है। लेकिन, अगर महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी मीटिंग में आरबीआई रेपो रेट में कमी कर दे। अगर ऐसा होता है, तो दिसंबर या 2025 की शुरूआत तक कर्ज लेने वालों की ईएमआई कम हो जाएगी।'
Angel One Wealth Ltd की चीफ मैक्रो एंड ग्लोबल स्ट्रैटजिस्ट अंकिता पाठक ने स्पष्ट किया कि आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती का फैसला क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा, 'भारत ने विकास को समर्थन देने के इरादे से मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित रखते हुए सुरक्षित रुख अपनाया है। तटस्थ रुख में बदलाव उम्मीदों के अनुरूप है और दिसंबर, 2024 में दरों में कटौती के संकेत देता है।'अंकिता ने कहा, 'RBI ने भू-राजनीति तनाव, कच्चे तेल की बढ़ी कीमत जैसे पहलुओं पर अधिक ध्यान दिया है। यही वजह है कि फेड द्वारा दरों में कटौती के बावजूद मुद्रास्फीति पर लगाम नहीं ढीली करने का फैसला किया है। वहीं, इक्विटी मार्केट के लिए यह कोई बड़ा मसला नहीं है, क्योंकि फिलहाल यह ब्याज दरों में कटौती से अधिक दूसरी घटनाओं के चलते घट-बढ़ रहा है।'