Bangladesh Crisis: आसमान पर थी बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, क्या अब बन जाएगा दूसरा पाकिस्तान?
बांग्लादेश की कमाई का सबसे बड़ा जरिया है गारमेंट एक्सपोर्ट। देश के कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 83 फीसदी है। Zara HM और Levi’s जैसे कई मशहूर अपैरल ब्रांड की मैन्युफैक्चरिंग बांग्लादेश में होती है। यह दुनिया का तीसरा सबसे क्लोदिंग एक्सपोर्टर है। यहां से सालाना तकरीबन 5 अरब डॉलर की मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट होती हैं। लेकिन हालिया हिंसा और सियासी उलट-पुलट से बांग्लादेश एक्सपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। 16 दिसंबर 1971। बांग्लादेश की तारीख का सबसे ऐतिहासिक दिन। इसी दिन पश्चिमी पाकिस्तान के जुल्मोसितम से आजाद होकर पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना। अगले पांच दशकों में बांग्लादेश ने तरक्की की नई इबारत लिखी। उसने जीडीपी ग्रोथ और प्रति व्यक्ति आय जैसे आर्थिक मोर्चों पर न सिर्फ पाकिस्तान को पीछे छोड़ा, बल्कि काफी हद तक भारत के करीब आ गया।
लेकिन, अब बांग्लादेश वापस 50 दशक पीछे जाने की राह पर है। पूरा मुल्क हिंसा की आग में झुलस रहा है। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं। इससे जाहिर होता है कि बांग्लादेश भी तरक्की की राह छोड़कर पाकिस्तान की कट्टरपंथ के रास्ते पर बढ़ रहा।
कैसा था बवाल से पहले का बांग्लादेश?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का डेटा बताता है कि 2019 में बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ 7.9 फीसदी थी। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था ये मुल्क। साल 2020 में कोरोना पीक पर था, फिर भी बांग्लादेश ने 3.4 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ दर्ज की। बांग्लादेश सरकार ने हालिया बजट में जीडीपी ग्रोथ को 6.75 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था।
बांग्लादेश की तरक्की का फायदा वहां की अवाम को भी मिला। इसने 2015 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में उस पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया, जिससे अलग होकर यह बना था। साल 2020 तक तो बांग्लादेश प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत के करीब पहुंच गया, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार बांग्लादेश के मुकाबले काफी बड़ा है।
बांग्लादेश की 2024 में भी प्रति व्यक्ति आय करीब 2650 डॉलर के आसपास ही रहने का अनुमान है। वहीं, भारत में यह 2730 डॉलर की है। बांग्लादेश को गरीबी के खिलाफ जंग में भी उल्लेखनीय सफलता मिली है। साल 2000 में बांग्लादेश में गरीबी का स्तर 48.9 फीसदी था, लेकिन शेख हसीना सरकार की नीतियों से यह 2016 तक घटकर 24.3 फीसदी पर आ गया।
दम तोड़ देगी बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था?
बांग्लादेश की कमाई का सबसे बड़ा जरिया है गारमेंट एक्सपोर्ट। देश के कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 83 फीसदी है। Zara, H&M और Levi’s जैसे कई मशहूर अपैरल ब्रांड की मैन्युफैक्चरिंग बांग्लादेश में होती है। यह दुनिया का तीसरा सबसे क्लोदिंग एक्सपोर्टर है। यहां से सालाना तकरीबन 5 अरब डॉलर की मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट होती हैं। लेकिन, हालिया हिंसा और सियासी उलट-पुलट से बांग्लादेश एक्सपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस हैं। 84 साल के युनूस नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। उन्होंने माइक्रोफाइनेंस के जरिए ग्रामीण इलाकों में हजारों बांग्लादेशियों को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला। उनके मॉडल को दुनिया के 100 से अधिक देशों ने फॉलो किया। लेकिन, युनूस के सामने अब पूरे देश को एकसाथ लेकर चलने की चुनौती रहेगी, जो उनके लिए कतई आसान नहीं होने वाला।
दूसरा पाकिस्तान बन जाएगा बांग्लादेश?
बांग्लादेश जिस अंतरिम सरकार की अगुआई कर रहे हैं, उसमें सेना और कट्टरपंथियों का पूरा दखल है। सत्ता का यही समीकरण पाकिस्तान में भी है, जो अब आर्थिक तौर पर पूरी तरह से बदहाल है। मोहम्मद युनूस अर्थव्यवस्था के कितने बड़े ही जानकार क्यों न हों, लेकिन अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर उनके लिए स्वतंत्र रूप से काम करना तकरीबन नामुमकिन है। वह अभी भी अंतरिम सरकार के मुखिया कम, कट्टरपंथियों और सेना के मुखौटा अधिक लग रहे हैं।
इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि युनूस के सत्ता संभालने के बाद भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी युनूस को बधाई संदेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही थी। इसका मतलब साफ है कि पिछले पांच दशक से भारत के करीबी सहयोगी रहे बांग्लादेश के साथ अब हमारे रिश्ते पाकिस्तान की तरह ही तल्ख हो सकते हैं।
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