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Pakistan: नकदी संकट से निपटना पाकिस्तान के लिए कड़ा इम्तिहान, चुनाव से पहले ही सरकार पेश कर रही बजट

Pakistan Budget इस साल पाकिस्तान अपना बजट पेश करने वाला है। सरकार आम चुनाव से पहले ही अपना बजट पेश करेगा। पाकिस्तान के बजट पर पूरी दुनिया की नजर है। आइए जानते हैं कि इस बार पाकिस्तान कितना बजट पेश करेगी?

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 09 Jun 2023 02:21 PM (IST)
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Pak goverment to unveil budget ahead of general elections this year
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार ने वार्षिक बजट पेश करने का प्लान बनाया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को 2023-24 के बजट का पेश कर सकते हैं।

माना जा रहा है कि इस बार वो 14.5 ट्रिलियन का वार्षिक बजट पेश करेंगे। इस बार के बजट में सांसदों के बजट में 66 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान की हालत और खराब हो सकती है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में पहले से ही नकदी का संकट मौजूद है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए रिकॉर्ड 116 अरब रुपये तक पहुंच गया है।

पाकिस्तान का बजट

इस साल के अंत में पाकिस्तान में चुनाव होने वाला है। ऐसे में सरकार के राजस्व में 6 लाख करोड़ का अंतर देखने को मिल रहा है। इस कमी को सरकार बाहरी माध्यमों से भरने की कोशिश कर रही है। इस साल के बजट का परिव्यय 14.5 ट्रिलियन रुपये तक होने की उम्मीद है। सरकारी कर्मचारी को राहत भत्ते में 30 फीसदी की बढ़त के साथ ही पेंशन में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। पाकिस्तान के सरकार ने 3.5 फीसदी विकास दर का लक्ष्य रख रहा है। वहीं सरकार नए टैक्स के जरिये 700 अरब रुपये जुटाने का प्रस्ताव रख रही है।

इस बार सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 7.7 फीसदी रखा है। वहीं कर्मचारियों को चिकित्सा और वाहन भत्ते मे 100 फीसदी तक की बढ़त करने की योजना बनाई है।

पाकिस्तान के बजट पर है सबकी नजर

पाकिस्तान के बजट पर पैनी नजर रखी जा रही है। पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के राजकोषीय समायोजन सुधार एजेंडे के बीच फंसी हुई है। इसी के साथ पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा पेश किये गए बजट पर सबकी नजर है।

पाकिस्तान की स्थिति दिनों-दिन खराब हो रही है। ऐसे में सरकार चुनाव की तैयारी में लगा है और लोगों को बजट में राहत देने का दावा कर रहा है। इसी के साथ सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम से पुनरुद्धार की उपेक्षा कर रही है। भारत और पाकिस्तान के वित्तीय बजट में जमीन-आसमान का अंतर है।