पिछले आइपीएल में यश दयाल की आखिरी पांच गेंद पर पांच छक्के लगाकर केकेआर को जीत दिलाने वाले रिंकू की लोकप्रियता आसमान पर हैं, लेकिन वह अभी भी जमीन से जुड़े हुए हैं। जब उनसे पूछा गया कि इतनी लोकप्रियता के बावजूद खुद को जमीन पर कैसे रखते हैं तो उन्होंने कहा कि न कुछ लेकर आए थे, न कुछ लेकर जाओगे। अभिषेक त्रिपाठी ने रिंकू सिंह से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश
हर हर महादेव भाई...आईपीएल में गौतम गंभीर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
-इस बार हमारा आईपीएल सत्र बहुत अच्छा रहा। गौतम गंभीर सर के साथ काम कर के बहुत मजा आया। उनसे बहुत कुछ सीखा। टीम का माहौल इस बार बहुत अच्छा रहा। हम चैंपियन बन गए इससे अच्छा क्या हो सकता है। अब विश्व कप ट्रॉफी और जीत जाएं तो मजा आ जाएगा।
भारतीय टीम के अंतिम 15 में चयनित नहीं होने पर क्या बुरा लगा था? टीम चयन के बाद रोहित शर्मा ने आपसे बात की थी। क्या बातचीत हुई थी?
-हां, किसी को भी अच्छा प्रदर्शन के बावजूद चयनित नहीं होने पर थोड़ी तकलीफ तो होती ही है। वैसे टीम संयोजन के कारण इस बार चयन नहीं हो सका। कोई बात नहीं, जो भी चीज अपने हाथ में नहीं है उसके बारे में अधिक नहीं सोचना चाहिए। हां, शुरू में थोड़ा परेशान हुआ था। ठीक है जो भी हुआ। जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। रोहित भैया ने कुछ विशेष नहीं बोला। उन्होंने केवल यही कहा कि बस मेहनत करते रहना। दो वर्षों के बाद फिर विश्व कप है। अधिक परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। यही कहा था केवल उन्होंने मुझसे।
अभी भी आप टीम के रिजर्व खिलाड़ियों में हैं। अगर किसी को चोट लग गई तो आपकी जगह भी बन सकती है। आप टीम के साथ अमेरिका और वेस्टइंडीज की यात्रा तो करोगे ही तो क्या इसको लेकर आप उत्सुक हो?
-हां, जा तो रहा ही हूं। मुझे 28 को निकलना है। यही सपना कि टीम के लिए जो सहयोग कर सकता हूं वह करूं। वही मेरे लिए भी अच्छा रहेगा और टीम के लिए भी अच्छा रहेगा। हमारी टीम विश्व कप जीते, यही चाहता हूं अब। मेरा भी सपना यही है कि हम विश्व कप जीतें। विश्व कप जीतना बहुत बड़ी बात होती है। मैं जहां से आता हूं वहां से रिजर्व तक रहना भी मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। हमारी टीम इंडिया ट्रॉफी जीते और मैं उस ट्रॉफी को उठाऊं अब केवल यही सपना है। मेरे लिए तो बड़ी बात है कि मैं जिस जगह से हूं और वहां से तो रिजर्व में जगह बनाना ही बड़ी बात है।
पिछले कुछ वर्षों में आपने केकेआर के लिए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, इस बार टीम संयोजन के कारण आप नीचे बल्लेबाजी करने आए, जिसके कारण कम अवसर मिले। इसे लेकर क्या कहना चाहेंगे?
-हां, ये कह सकते हैं। टीम संयोजन की वजह से और टीम के हित में मुझे नीचे बल्लेबाजी करने के लिए रखा गया था। टीम के लिए जो अच्छा था उसे ही देखते हुए ये निर्णय लिया गया। इस बार बहुत मैचों में बल्लेबाजी आई भी तो बहुत अच्छा टीम के लिए नहीं कर पाया जो सच बात है। अब उससे फर्क नहीं पड़ता कि बल्लेबाजी आई कि नहीं आई। टीम संयोजन के कारण ही मुझे बल्लेबाजी क्रम में नीचे किया गया था। हमारा तो क्या है बल्लेबाजी तो आती ही रहती है।
आईपीएल में जहां आपकी टीम में मिशेल स्टार्क को 24.75 करोड़ रुपये मिल रहे हैं वहीं आप 50-55 लाख रुपये में भी केकेआर के साथ जुड़े हैं। अगर आप नीलामी में जाते तो आपको कोई करोड़ों में खरीदता?
-सर, 50-55 लाख भी बहुत होता है। जब शुरू किया था तब इतना भी नहीं सोचा था कि इतना कमाएंगे। उस समय बच्चे थे, तब 10-पांच रुपये भी मिल जाए तो लगता था कि कैसे भी मिल जाएं। अब 55 लाख रुपये मिल रहे हैं तो यह बहुत है, ऊपर वाला जितना दे उसी में खुश रहना चाहिए। यह मेरी सोच तो यही है। मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि मुझे इतने पैसे मिलने चाहिए थे और उतने मिलने चाहिए थे। मैं 55 लाख रुपये में भी बहुत खुश हूं। जब ये नहीं हुआ करते थे तब पता चलता था कि पैसों का मूल्य कितना होता है।
आप जब क्रीज पर उतरते हो तो दिमाग में क्या चलता है कि केवल तेजी से रन बनाने हैं या थोड़ा समय बिताना है? क्या आप केवल टी-20 और वनडे खेलना चाहते हो या टेस्ट में भी अपना करियर बनाने का लक्ष्य है?
- मैं जब भी बल्लेबाजी करने जाता हूं तो मैं मैच के अनुसार ही बल्लेबाजी करता हूं। परिस्थितियों के अनुकूल बल्लेबाजी करना ही लक्ष्य होता है। टीम के लिए जैसी बल्लेबाजी करने की आवश्यकता होती है, मेरा प्रयास उसी के अनुरूप बल्लेबाजी करने का होता है। मुझे तो सभी प्रारूप में खेलना है। हाल ही में मुझे दक्षिण अफ्रीका में वनडे खेलने का अवसर मिला। मैं मेहनत कर रहा हूं दुआ कीजिए कि मुझे टेस्ट खेलने का भी जल्द अवसर मिले। सबसे बड़ी क्रिकेट तो टेस्ट क्रिकेट ही है। टी-20 तो सभी खेल लेते हैं, टेस्ट में सभी को अवसर नहीं मिलता। मेरा लक्ष्य यही है कि मैं टेस्ट क्रिकेट खेलूं।
मैं कानपुर से, आप अलीगढ़ से और यश दयाल इलाहाबाद से हैं। तीनों उत्तर प्रदेश के। आपने उनके विरुद्ध पिछले सत्र में लगातार पांच छक्के जड़कर मैच जिताया था। इस बार यश ने आखिरी ओवर अच्छा फेंककर आरसीबी को प्लेआफ में पहुंचाया तो आपने उनके लिए स्टोरी शेयर की। पांच छक्के मारने के बाद आपकी उनसे क्या बात हुई थी?
-ऐसी कुछ विशेष बात नहीं हुई अब तक उनसे। क्रिकेट पूरा टाइम का खेल है। उस समय उसकी गेंद पर छक्के लगे और इस बार उसने इतनी मेहनत की और शानदार वापसी की। लोगों ने उसे बहुत ट्रोल किया था, लेकिन उसने इस बार खुद को साबित किया। यह समय-समय की बात है। मेरी कभी उस मैच को लेकर बात नहीं हुई क्योंकि बहुत बुरा लगता है आप वैसी स्थिति में मैच हार जाओ। हालांकि जब हम मिलते हैं तो सामान्य बात करते हैं। एक-दूसरे के बारे में बेहतर सोचते हैं। मैं चाहता हूं कि वह अपनी टीम से बहुत अच्छा करे और ऐसे ही सफल होता रहे।
रोहित शर्मा की कप्तानी को कैसे देखते हैं? विशेषकर युवाओं को लेकर उनका रुख कैसा रहता है?
-उनकी कप्तानी कितनी अच्छी है ये तो पूरी दुनिया ने देखी है। मैं अगर व्यक्तिगत रूप से अपनी बात करूं तो मैंने उनके साथ अब तक केवल एक दौरा ही किया है। मेरी उनसे अधिक बात भी नहीं हुई है। वह युवाओं का बहुत सहयोग करते हैं। वह यही चाहते हैं कि युवा अच्छा करें वह हमेशा बोलते भी हैं कि खेलो, अच्छा करो।
आप टीम इंडिया के साथ तो जा ही रहे हैं, अगर आपको शीर्ष 11 में अवसर मिल गया तो स्वयं को कैसे तैयार रखेंगे? टीम के भीतर युवाओं को लेकर माहौल कैसा रहता है?
-टीम का माहौल बहुत अच्छा रहता है। सभी लोग एक-दूसरे को जानते ही है। सभी साथ में आइपीएल खेलते ही हैं। मैंने जब पहली बार भारतीय कैंप ज्वाइन किया तो माहौल बहुत अच्छा था। मैं नया था लेकिन इसके बावजूद सभी ने मुझे बहुत सहयोग किया था। मैंने अभी खेलने के बारे में वैसे कुछ सोचा नहीं है। मेरे दिमाग में अभी केवल यही है कि जितनी मदद हो सके मुझे टीम की मदद करनी है।
पांच छक्के से पहले का रिंकू और उसके बाद के रिंकू में क्या बदलाव आया है?
-बिल्कुल, उस मैच के बाद से बहुत कुछ बदल गया। उससे पहले भी लोगों को पता चलना शुरू हो गया था, परंतु उस मैच ने सबकुछ बदलकर रख दिया। दो वर्ष पहले लखनऊ सुपरजायंट्स के विरुद्ध मैंने एक पारी खेली थी, जिसमें मैंने 15 गेंदों में 40 रन बनाए थे। तभी से लोग जानने लगे थे। अब क्या ही बताऊं, वह मैच ही ऐसा था। जब आपको गुजरात के सामने 30 रन चाहिए और पांच ही गेंद हो और आप मैच जीत जाओ। यह बहुत विरला ही होता है। उस दिन बस ऊपर वाला मेरे साथ था। उसके बाद से सबकुछ बदल गया। सभी लोग मुझे जानने लग गए। काफी अच्छा लगता है, जब लोग इतना प्यार करते हैं, जानते हैं। काफी गर्व महसूस होता है।
जब इतनी पहचान मिलने लगी तो खुद को जमीन पर रखने के लिए क्या करते हैं? कहीं आप आसमान पर न पहुंच जाएं, उसे रोकने के लिए क्या करते हैं?
-हंसते हुए, सर आज मैं सच्चाई बताऊं तो यह सब मोह माया है। न कुछ लेकर आए थे, न कुछ लेकर जाओगे। समय का कुछ नहीं पता कब बदल जाए। मैं यही कहना चाहूंगा, जैसे आए थे, वैसे ही जाना है। जमीन से जुडे़ रहिए और क्या।
अगर सोचो आपको पाकिस्तान के विरुद्ध मैच खेलने को मिल जाए तो क्या होगा?
-सर, मैं तो अभी रिजर्व में हूं इसलिए मैं अभी खेलने के बारे में सोच भी नहीं रहा हूं। पाकिस्तान के विरुद्ध खेलना और उसको हराना सबका सपना होता है लेकिन ये सब तो बाद की बातें हैं। अभी जो 15 में हैं वही खेलेंगे और मैं उससे खुश हूं।
आप छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते हो और अब टीमें इस स्थान पर आलराउंडर देखने लगी हैं। आप गेंदबाजी करते हो लेकिन अब क्या उस पर और ध्यान देंगे?
-मैं तो बहुत समय से इसी नंबर पर बल्लेबाजी कर रहा हूं। क्रिकेट में दो चीजें होती हैं बल्लेबाजी और गेंदबाजी। इस बार भी जो टीम बनी है वह इसी संयोजन के अनुसार बनी है। कौन हमें एक दो ओवर गेंदबाजी करके भी मैच जिता सकता है इसलिए ये बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। क्रिकेट में दोनों चीजें आनी बहुत जरूरी है। मैं गेंदबाजी का अभ्यास भी करता रहता हूं। अभी दक्षिण अफ्रीका में भी मुझे अवसर मिला था तो मैंने गेंदबाजी की थी। मेरे नाम अंतरराष्ट्रीय विकेट भी है। जब भी अवसर मिलता है मैं गेंदबाजी करता हूं और करता रहूंगा।
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