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    दयालपुर फायरिंग मामले में जांच अधिकारी पर झूठी रिपोर्ट का आरोप, कोर्ट ने दिया कार्रवाई का आदेश

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 05:58 AM (IST)

    एक अदालत ने झूठी रिपोर्ट पेश करने के मामले में एक जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारियों को निष्पक्ष और सटीक रिपोर्ट पेश करनी चाहिए। झूठी रिपोर्ट पेश करने से न्याय मिलने में बाधा आ सकती है। यह फैसला न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को दर्शाता है।

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    एक अदालत ने झूठी रिपोर्ट पेश करने के मामले में एक जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। दयालपुर फायरिंग मामले में एक आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज करते हुए कड़कड़डूमा कोर्ट ने जाँच अधिकारी के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि जाँच अधिकारी ने अदालत को गुमराह करने के लिए झूठी रिपोर्ट पेश की और निष्पक्ष जाँच करने में विफल रहे।

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    कड़ा रुख अपनाते हुए, कोर्ट ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को जाँच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 3 नवंबर को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। साथ ही, निगरानी में चूक के लिए थाना प्रभारी और संबंधित एसीपी के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

    आरोपी मुस्तकीम की ज़मानत पर सुनवाई के दौरान, उसके वकील ने दलील दी कि 10 अक्टूबर को छह से सात हथियारबंद लोगों ने उसके मुवक्किल और उसके परिवार पर एक कब्रिस्तान के बाहर हमला किया था। इसके बाद, आरोपी के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

    इसके बावजूद, पुलिस ने उसके और उसके परिवार के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। वकील ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने थाने में हथियार रखे थे। सीसीटीवी फुटेज से साबित होता है कि आरोपी खुद थाने गया था, न कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।

    अदालत ने पाया कि आरोपी वास्तव में खुद पुलिस स्टेशन गया था, जबकि जाँच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसे एक गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ करने पर, जाँच अधिकारी ने यह बात स्वीकार की। अदालत ने इसे एक गंभीर चूक माना और कहा कि जाँच निष्पक्ष नहीं थी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के पिता को गंभीर चोटें आई थीं, लेकिन उनकी शिकायत के आधार पर दर्ज की गई प्राथमिकी में उचित धाराएँ शामिल नहीं की गईं।

    हालाँकि, अदालत ने माना कि जाँच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत वीडियो में आरोपी एक देसी पिस्तौल लेकर भागता हुआ दिखाई दे रहा है और एक अन्य व्यक्ति भी हथियार लेकर भाग रहा है। इसके आधार पर, अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए ज़मानत याचिका खारिज कर दी।