Delhi Blast: आतंकी उमर नबी 11 दिन तक कहां गायब रहा? सुरक्षा एजेंसियां डंप डाटा और फुटेज से नेटवर्क तलाशने में जुटीं
दिल्ली में हुए धमाके के बाद, सुरक्षा एजेंसियां आतंकी उमर नबी की तलाश में जुटी हैं। वह धमाके के बाद 11 दिनों तक गायब रहा, और एजेंसियां डंप डाटा और फुटेज की मदद से उसके नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। उमर नबी के संभावित ठिकानों पर छापेमारी जारी है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में धमाका करने वाला आतंकी डाॅ. उमर नबी बट आत्मघाती हमले से पहले करीब 11 दिनों तक गायब रहा था। आतंकी हमले की जांच में जुटी एजेंसियां इन 11 दिनों की उसकी गतिविधियों ढूंढ़ने में जुटी हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इसके लिए डंप डाटा का विश्लेषण करने के साथ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। एनआईए, सीबीआई व एनएसजी व एफएसएल की टीमें इसमें जुटी हुई हैं।
11 दिनों की तैयार कर रहे रिपोर्ट
लाल किला के बाहर आई-20 कार में हुए धमाके के मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी डा. उमर नबी बट की एनसीआर में 11 दिन की गतिविधियों का पता लगाना देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है।
29 अक्टूबर को फरीदाबाद से कार खरीदने के अगले दिन, 30 अक्टूबर की रात से लेकर 10 नवंबर की शाम धमाके से पहले तक, उमर कहां-कहां रहा, किन-किन लोगों के संपर्क में रहा, किनके जरिए उसने साजिश को अंजाम दिया। यह सब पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
पूरा नेटवर्क करेंगे उजागर
दिल्ली से फरीदाबाद के रास्तों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा चुकी है। इसके साथ कुछ अन्य स्थानों के भी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, जहां उसके पहुंचने की आशंकाएं हैं। फिलहाल एनसीआर में कई संभावित ठिकानों पर रेड और पूछताछ जारी है।
हर उस व्यक्ति को बुलाया जा रहा है जो उमर के संपर्क में आया था। अधिकारियों का कहना है। साजिश की असली जड़ें उसी 11 दिनों में छिपी हैं। उसी अवधि से पूरा नेटवर्क उजागर होगा।
स्थानीय माॅड्यूल या स्लीपर सेल के भी संपर्क में था
जांच टीमों की कोशिश है कि उमर के सभी संपर्कों का पूरा पता लगाकर यह साफ किया जाए कि क्या उसने केवल लाल किला धमाके की साजिश रची थी या उसके पीछे कोई और बड़ा षड्यंत्र था। एजेंसियों का यह भी मानना है कि इस नेटवर्क में शामिल लोग आगे किसी भी बड़े हमले में मदद कर सकते हैं।
जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, उमर बेहद प्रशिक्षित आतंकी था। वह काउंटर-ट्रैकिंग तकनीक में भी माहिर था। यही वजह है कि एनसीआर में उसकी मौजूदगी का कोई ठोस साक्ष्य अभी तक सामने नहीं आया है। शुरुआती जांच में उसके संपर्क में आए लोगों की संख्या सीमित मिली है, लेकिन एजेंसियों का मानना है कि वह किसी स्थानीय माॅड्यूल या स्लीपर सेल के भी संपर्क में था।
डिजिटल चैट की भी जांच की जा रही
दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस, यूपी एटीएस, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त टीमें उन सभी संभावित लोगों की सूची तैयार कर रही हैं, जो पिछले दिनों उमर के संपर्क में आए थे। इसमें कार बेचने वाले, स्थानीय लोग और परिवहन सपोर्ट देने वाले शामिल हैं। इसकी डिजिटल चैट की भी जांच की जा रही है।
29 अक्टूबर से 30 अक्टूबर: गायब होने की रात
29 अक्टूबर को फरीदाबाद से कार खरीदने के बाद 30 अक्टूबर की रात जैसे उसे आतंकी डा. मुजम्मिल व अन्य साथियों के पकड़ जाने की सूचना मिली उमर ने अपने दोनों मोबाइल बंद लापता हो गया।
इन 11 दिनों के दौरान उसने एनसीआर में कहां-कहां ठिकाने बदले, किन-किन लोगों से मुलाकात की और किस-किस ने उसकी मदद की इन सब सवालों का जवाब अभी तक एजेंसियों को नहीं मिला है।
जांच टीमें जम्मू कश्मीर, लखनऊ, सहारनपुर, मेरठ, गुरुग्राम, पलवल, नूंह, फरीदाबाद और दिल्ली के कई क्षेत्रों में उसकी संभावित गतिविधियों का रिकार्ड खंगाल रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि उमर ने न सिर्फ दिल्ली में रेकी की हो बल्कि संभव है कि उसने आसपास के राज्यों में भी संभावित ठिकानों की पहचान की हो।
इंटरनेट मीडिया पर भी पुलिस की नजर
उमर के डिजिटल उपकरणों (दो मोबाइल नंबर) से सीमित डाटा रिकवर किया गया है, जिसमें एन्क्रिप्टेड चैट और इंटरनेट काल्स के मिले हैं। इसके साथ इंटरनेट मीडिया को भी खंगाला जा रहा है। इसमें उमर से सहानुभूति रखने वालों पर नजर रखी जा रही है।
जांच एजेंसियों का मानना है कि वह अकेला नहीं था बल्कि वह कई एक्टिव नेटवर्क के संपर्क में था। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अगर उमर की 11 दिनों की मूवमेंट को समय रहते ट्रैक और मैप नहीं किया गया, तो यह भविष्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।

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