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    दिल्ली में विभागों ने 130 ऑडिट पैराग्राफ पर नहीं दिया विधानसभा को जवाब, स्पीकर ने जताई नाराजगी

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 03:43 AM (IST)

    दिल्ली विधानसभा के स्पीकर ने विभागों द्वारा 130 ऑडिट पैराग्राफ पर जवाब नहीं देने पर नाराजगी जताई है। विधानसभा को जवाब न मिलने से पारदर्शिता और जवाबदेह ...और पढ़ें

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    दिल्ली विधानसभा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा की सरकार आने के बाद भी सरकारी विभाग किस तरह से हीलाहवाली कर रहे हैं इसका एक उदाहरण दिल्ली विधानसभा द्वारा आडिट रिपोर्ट पर कुछ माह पहले विभिन्न विभागों से मांगे गए एक्शन नोट्स को लेकर सामने आया है।

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    विधानसभा द्वारा 2006 से लेकर अब तक के 142 आडिट पैराग्राफ पर विभिन्न विभागों से उनके एक्शन टेकन नोट्स (एटीएन) मांगे गए थे जिसमें से केवल 30 एक्शन टेकन नोट ही विधानसभा द्वारा लागू किए गए केंद्र के आडिट मानिटरिंग पोर्टल (एपीएमएस) पर अपलोड किए गए हैं। जबकि 130 आडिट पैराग्राफ पर एक्शन टेकन नोट्स प्रस्तुत नहीं किए गए।

    विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इस पर आपत्ति की है और कहा है कि ऐसी लंबित स्थिति उचित नहीं है और सार्वजनिक लेखा समिति (पीएसी) को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए समयबद्ध एवं पूर्ण प्रतिक्रियाएं अनिवार्य हैं।

    CAG रिपोर्टों पर कार्यवाही पर समीक्षा

    दरअसल विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टों पर कार्यवाही की समीक्षा के लिए सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की। गुप्ता ने कहा कि ऑडिट पैरा मॉनिटरिंग सिस्टम का अंगीकरण पारदर्शिता, प्रक्रियागत अनुशासन तथा जवाबदेह आडिट फालो-अप की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

    गुप्ता ने कहा कि दिल्ली एपीएमएस को पूर्ण रूप से लागू करने वाली देश की पहली विधानसभा बन गई है।

    बैठक में एपीएमसी की कार्यप्रणाली पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया, जिसमें बताया गया कि पोर्टल किस प्रकार आडिट पैराग्राफ के प्रत्येक चरण को दर्ज करता है, आडिट कार्यालय की टिप्पणियां, विभागीय उत्तर, विलंब की स्थिति तथा अनुपालन को वास्तविक-समय में दर्शाता है।

    ऑडिट फालो-अप की चुनौतियों पर चर्चा

    बैठक में आडिट फालो-अप की चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। जिसमें यह सामने आया कि कई विभागों द्वारा अपलोड किए गए उत्तर निर्धारित प्रारूप में नहीं थे, जिसके कारण उन्हें सार्वजनिक लेखा समिति के समक्ष नहीं रखा जा सका। कई उत्तरों पर आवश्यक हस्ताक्षर नहीं थे, कुछ में आडिट टिप्पणियों का उत्तर नहीं था और कुछ उत्तर आडिट अवलोकनों से मेल नहीं खाते थे।

    गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार की कमियां आडिट प्रक्रिया को कमजोर करती हैं और समिति द्वारा विषयों की सार्थक परीक्षा में अनावश्यक देरी उत्पन्न करती हैं। अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि अधूरे या अनौपचारिक उत्तरों को मान्य नहीं माना जाएगा और उन्हें सुधार हेतु वापस किया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि सभी विभाग तीन सप्ताह के भीतर सही प्रारूप में, विधिवत हस्ताक्षरित और आडिट टिप्पणियों का समाधान प्रस्तुत करने वाले एक्शन टेकन नोट्स जमा करें। उन्होंने विधानसभा सचिवालय को निर्देश दिया कि उत्तरों का मानक प्रारूप, हस्ताक्षर प्राधिकारी तथा टिप्पणियों के उत्तर देने की प्रक्रिया संबंधी एक समान दिशानिर्देश सभी विभागों को भेजे जाएं।

    बैठक में सार्वजनिक लेखा समिति के अध्यक्ष अजय महावर, सरकारी उपक्रम समिति के अध्यक्ष गजेंद्र दराल, भारत सरकार के महालेखाधिकारी (आडिट) अमनदीप छथा, वित्त सचिव शूरबीर सिंह आदि अधिकारी उपस्थित थे।