दिल्ली में खुलेआम चल रहा ये बड़ा 'खेल', सिर्फ जेब गर्म कीजिए और ले जाइए सर्टिफिकेट!
दिल्ली में वाहनों की फिटनेस जांच में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। रिश्वतखोरी के चलते अनफिट वाहन भी पास हो जाते हैं, जबकि सही वाहनों में भी कमियां निकाली जाती हैं। बुराड़ी और झुलझुली स्थित फिटनेस सेंटरों में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है। वाहन मालिक मजबूरन रिश्वत देने को विवश हैं। सरकार से इस पर लगाम लगाने की उम्मीद है।
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वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली में वाहनों की फिटनेस जांच में फर्जीवाड़ा रुक नहीं रहा है। जेब गर्म होने पर अनफिट वाहनों को भी फिटनेस जांच का सर्टिफिकेट मिल जाता है, अन्यथा सही वाहन में भी कमियां निकाल दी जाती हैं।
स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा चल रहा है। बता दें व्यावसायिक और सवारी वाहनों में शुरू में 8 साल तक 2 साल के बाद और उसके बाद प्रत्येक वर्ष फिटनेस जांच कराना अनिवार्य है।
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग में फिटनेस में भ्रष्टाचार का मुद्दा पिछले कई सालों से गर्माया हुआ है। लगातार शिकायतें आने पर पिछली सरकार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ साल पहले बुराड़ी फिटनेस सेंटर पर औचक निरीक्षण किया था। वहां जाकर काम कराने आए लोगों से बात की थी तो अधिकतर लोगों ने अधिकारियों तक के नाम लिए थे कि उनकी वजह से यहां पर भ्रष्टाचार हो रहा है। उनके काम को लटकाया जाता है। जिस पर उन्होंने उस समय एक असफर के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी लिखा था, मगर बाद में आप सरकार भी ठंडी पड़ गई थी और उसके बाद से स्थिति जस की तस बनी हुई है।
स्थिति यह है कि फिनटेस के काम में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा है कि बगैर पैसे दिए सही वाहन को भी अनफिट बता दिया जाता है, अन्यथा सेवा पानी होने पर अनफिट वाहन को भी फिटनेस दे दी जाती है, यही सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है। ऐसे सवारी या व्यावसायिक वाहन आप को भी सड़कों पर दिख जाएंगे कि जिन्हें देख कर आप को भी अहसास होगा कि ऐसे वाहन को फिटनेस कैसे मिली हाेगी।
दिल्ली में वाहनों की फिटनेस के लिए वैसे तो दो सेंटर चल रहे हैं। एक सेंटर झुलझुली में है जो आटोमेटेड है। जहां पर पूरी व्यवस्था आटोमेटेड तरीके से संचालित होती है। परिवहन विभाग के माध्यम ये इसे एक निजी कंपनी चला रही है। यहां पर फिटनेस के लिए कंपनी के कर्मचारियों और परिवहन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से खेल हाेता है। क्योंकि ऑटोमेटेड सिस्टम इतना मजबूत है कि जहा सी कमी में वाहन को फेल कर देता है। ऐसे में कर्मचारी सेवा-पानी के आधार पर अपनी सेवा देते हैं। भरा ऐसे कैसे हो सकता है परिवहन विभाग की ओर से नियुक्त किए गए अधिकारियाें की इसकी जानकारी नहीं होगी।
जानकारों की मानें तो यहां दलालों का इतना बोलबाला है कि उनकी बगैर मदद लिए भी आप का काम नहीं हो सकता है। चर्चा यहां तक है कि झुुलझुली में फिटनेस कराने के लिए दलाल बुराड़ी में ही फिटनेस सेंटर के बाहर बुकिंग लेते हैं। यहां से ही सेटिंग के आधार पर झुलझुली में फिटनेस की बुककंग हो जाती है।
वहीं दूसरी ओर बुराड़ी में फिटनेस सेंटर है जो ऑटोमेटेड नहीं है। यहां मैनुअल तरीके से फिटनेस की जाती है। लेकिन यहां भी स्थित ऐसी ही है कि यहां सेवा-पानी थोड़ा कम लगता है। मगर बगैर पैसे के फिटनेस यहां भी नहीं होती है। फर्क इतना है जिन छोटे वाहनों की फिटनेस के लिए ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में 4000 के आसपास रिश्वत होती है वही रिश्वत बुराड़ी सेंटर में 2000 ले जाती है।
मगर यहां कोई उम्मीद करे कि मैं बगैर पैसे देकर फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर जाऊंगा तो यह उसकी भूल कही जाएगी। भ्रष्टाचार जड़ों तक पहुंच चुका है उम्मीद की जा रही है कि भाजपा की सरकार इस पर कुछ अंकुश लगाएगी।
सवारी वाहनों से जुड़े एक व्यवसायी कहते हैं कि बगैर पैसे देकर दिल्ली में फिटनेस करा पाना असंभव सा है। उनके अनुसार अगर सेवा पानी नहीं करते हैं तो सभी कुछ ठीक-ठाक होने के बाद भी कर्मचारी कमियां निकाल देते हैं और फिर दोबारा बुलाया जाता है। इसमें दो तरह का नुकसान होता है एक तो उसे दिन की दिहाड़ी मारी जाती, फिटनेस नहीं होने पर जुर्माना होता है, अगली तारीख पर फिर आने का मतलब है कि उसे दिन की भी दिहाड़ी मारी जाती है।
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इसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि उस दिन भी फिटनेस हो सकेगी। ऐसे में वाहन मालिक मजबूरन पैसा देकर फिटनेस कराने को मजबूर हैं। उनकी मानें तो ऐसे में फिटनेस में फर्जीवाड़े की भी गुंजाइश रहती है। एक ऑटो के मालिक कहते हैं कि नियम यह कहता है कि जिसके नाम से ऑटो है उसके पास आधार कार्ड भी होना चाहिए, मगर बगैर आधार कार्ड वालों की भी फिटनेस हो जा रही है।

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