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    लाल किला धमाके के बाद भी नहीं सुधरे हालात, निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की कमजोर सुरक्षा बनी बड़ा खतरा

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 07:00 AM (IST)

    लाल किले में धमाके के बाद भी, देश के निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की सुरक्षा व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कमजोर सुरक्षा व्यवस्था एक गंभी ...और पढ़ें

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    निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बढ़ी सुरक्षा की चिंता।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लाल किले के बाहर कार बम धमाके की जांच में जिस अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका सामने आई, उसने देशभर में फैले निजी विश्वविद्यालयों और कालेजों की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    यह घटना स्पष्ट करती है कि देशभर में बड़ी संख्या में निजी शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जिन पर न तो नियमित निरीक्षण होता है और न ही छात्रों व स्टाफ की बैकग्राउंड जांच की कोई अनिवार्य व्यवस्था। यह पहली बार नहीं है जब कमजोर निगरानी वाले संस्थान का नाम सुरक्षा जोखिम के साथ जुड़ा हो।

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    घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में ऐसे कौन-से छेद हैं जहां से आतंकियों तक रास्ता खुल जाता है।

    लगातार बढ़ रही संख्या

    दिल्ली और आसपास निजी कालेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन निगरानी की गति और गुणवत्ता उसी अनुपात में नहीं बढ़ पाई है। यूजीसी ने वर्ष 2024 और 2025 में दो बार फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की थी, जिनमें दिल्ली समेत कई राज्यों के निजी संस्थान शामिल थे।

    हर बार सूची में देश में कम से कम 20 से 25 ऐसे विश्वविद्यालयों को फर्जी बताया गया, जिनके पास न मान्यता है, न सही ढांचा, न अकादमिक पारदर्शिता। इन सूचियों में अकेले दिल्ली के नौ निजी संस्थान हैं। इसके अलावा कई निजी कालेज ऐसे हैं जिनकी नैक ग्रेडिंग नहीं है या फिर पिछले वर्षों से पेंडिंग है।

    सबसे ज्यादा समस्या उन कालेजों में देखने को मिलती है जो अपनी स्वायत्तता को ढाल बनाकर काम करते हैं और जहां सरकारी टीमों की औचक जांच भी लगभग शून्य होती है। ढीले नियमों के कारण संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले लोग ऐसे संस्थानों में दाखिला लेकर वर्षों तक बिना जांच के रह सकते है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी व्यवस्थाएं आतंकी माड्यूल के लिए आसान ठिकाना बन जाती हैं। निजी विश्वविद्यालयों का निगरानी तंत्र गंभीर रूप से कमजोर है। यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया, तो यह न केवल शिक्षा क्षेत्र में बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।

    प्रशासनिक स्तर पर निगरानी की जिम्मेदारी

    शैक्षणिक संस्थानों पर निगरानी तीन स्तरों पर बंटी है:

    प्रशासनिक स्तर और जिम्मेदारियां
    स्तर जिम्मेदारी
    यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) विश्वविद्यालयों को मान्यता देना, फर्जी या बिना अनुमति चलने वाले संस्थानों पर कार्रवाई करना।
    एआइसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी जैसे तकनीकी कोर्स को मान्यता देना।
    राज्य सरकार और जिला प्रशासन भवन, सुरक्षा, फीस नियंत्रण, छात्रों की शिकायतों और परिसर सुरक्षा से जुड़े मामलों की निगरानी।

    निगरानी का ढांचा कमजोर

    देश में निजी विश्वविद्यालयों पर यूजीसी, एआइसीटीई, एनसीटीई और एनएमसी जैसी एजेंसियों की जिम्मेदारी होती है। यूजीसी ने वर्ष 2003 के बाद अपने नियमन में कोई ठोस सुधार नहीं किया। इसके अलावा, विश्वविद्यालयों में निगरानी और छात्र-सुरक्षा के लिए कोई मजबूत और लगातार काम करने वाला तंत्र नहीं है।

    यूजीसी एक अधिकारी ने बताया कि कई निजी कालेज बीते चार-पांच वर्ष से निरीक्षण रिपोर्ट ही अपडेट नहीं करते और जो निरीक्षण होता भी है, वह औपचारिकता बनकर रह जाता है। कई जगह पुलिस सत्यापन प्रणाली भी मांगने पर ही सक्रिय होती है। ऐसे में अगर संदिग्ध पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति फर्जी दस्तावेज के साथ प्रवेश ले ले, तो कालेज के पास असली-नकली का पता लगाने की कोई बाध्यकारी व्यवस्था नहीं होती।

    कहां है खामी

    विशेषज्ञों के अनुसार निजी कालेज सुरक्षा के लिहाज से तीन वजहों से कमजोर कड़ी बन जाते हैं। इसमें नैक ग्रेडिंग न होना, यूजीसी या एआइसीटीई की अनुमति पेंडिंग होना या अस्थायी मान्यता। इसके अलावा कई कालेजों में दाखिले के समय आधार सत्यापन, पुलिस सत्यापन, दस्तावेज की प्रामाणिकता की जांच जैसे कदम नहीं उठाए जाते हैं।

    वहीं, सीसीटीवी, प्रवेश नियंत्रण, विजिटर लागबुक, हास्टल सुरक्षा सब कागज पर रहते हैं। इसी वजह से विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कोई आतंकी संगठन अपने सदस्यों को साधारण छात्र की पहचान के साथ घुसाना चाहे, तो कम निगरानी वाले कैंपस उनके लिए आसान टारगेट बन जाते हैं। शिक्षा विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक देश में 500 से अधिक ऐसे निजी कालेज ऐसे हैं जिनकी नैक ग्रेडिंग पेंडिंग है। शैक्षणिक संस्थानों में सुधार

    शैक्षणिक संस्थानों में सुधार के प्रस्ताव

    • सभी निजी विश्वविद्यालयों के लिए वार्षिक निगरानी और सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य।
    • बिना मान्यता वाले संस्थानों में दाखिला रोका जाए।
    • आधार और पुलिस सत्यापन आधारित प्रवेश और नियुक्ति।
    • यूजीसी, एआइसीटीई और राज्य सरकारों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल जिससे हर कॉलेज की स्थिति और निरीक्षण रिपोर्ट तुरंत उपलब्ध हो।
    • बार-बार नियम तोड़ने वाले कॉलेजों की मान्यता रद्द और दाखिला रोका जाए।
    • कैंपस में सीसीटीवी और एक्सेस कंट्रोल अनिवार्य हों।

    छात्रों और अभिभावकों के लिए चेतावनी

    • कॉलेज यूजीसी या एआइसीटीई से मान्यता प्राप्त है या नहीं।
    • NAAC ग्रेडिंग और निरीक्षण रिपोर्ट देखें।
    • हॉस्टल और सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान दें।
    • फैकल्टी और स्टाफ की प्रामाणिकता जांचें।

    लाल किला बम धमाके के बाद सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि अपने क्षेत्र में आने वाले निजी शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा आडिट रिपोर्ट, वेरिफिकेशन रिकार्ड और विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम की समीक्षा करें। पुलिस हर कालेज की 24 घंटे निगरानी नहीं कर सकती, इसलिए इंस्टिट्यूट लेवल सिक्योरिटी का मजबूत होना जरूरी है।- संजय त्यागी, एडिशनल पुलिस कमिश्नर व दिल्ली पुलिस प्रवक्ता