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Arvind Kejriwal कैसे चला सकते हैं जेल से सरकार, एक्सपर्ट ने बताए नियम से लेकर विकल्प तक

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें सरकार चलाने में कानूनी रूप से कोई अड़चन नहीं है अब वह न्यायिक हिरासत में हैं तो सभी कुछ अदालत पर निर्भर है। इसी को लेकर जागरण संवाददाता ने राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण से बात की और यह जानने की कोशिश की है कि सीएम के पास क्या विकल्प हैं नियम क्या कहते हैं...

By V K Shukla Edited By: Pooja Tripathi Thu, 04 Apr 2024 04:06 PM (IST)
क्या अरविंद केजरीवाल जेल से चला पाएंगे सरकार, पढ़ें एक्सपर्ट की राय। जागरण

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में चल रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। जेल जाने के बाद भी केजरीवाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। उनकी पार्टी का शुरू से ही ये स्टैंड रहा है कि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे, वह जेल से ही सरकार चलाएंगे।

हालांकि इस पर नियम और विकल्प क्या कहते हैं यह ज्यादा मायने रखता है। इसी को लेकर जागरण संवाददाता वीके शुक्ला ने राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण ने बात की और यह जानने की कोशिश की है कि दिल्ली सीएम के पास क्या विकल्प हैं और नियम क्या कहते हैं...

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें सरकार चलाने में कानूनी रूप से कोई अड़चन नहीं है, अब वह न्यायिक हिरासत में हैं तो सभी कुछ अदालत पर निर्भर है।

यह भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल के लिए आसान नहीं होगा जेल में ‘सरकार’ चलाना... सियासी संकट से कैसे निपटेगी AAP?

सब अदालत पर है निर्भर

वह जेल से सरकार चला सकते हैं या उन्हें जेल में कार्यालय मिल सकता है या वे जेल से फाइलें पढ़कर साइन कर भेज सकते हैं। अब यह सब अदालत पर निर्भर करेगा।

जेल में सुविधाओं की बात करें तो जेल में उन्हें भी अन्य कैदियों की तरह भोजन व अन्य सुविधाएं मिलेंगी। वह अदालत से अपने लिए मांग कर सकते हैं, घर का खाना आदि की मांग कर सकते हैं।

जेल मैनुअल में छूट के लिए एलजी से कर सकते हैं निवेदन

जहां तक जेल मैनुअल में उन्हें छूट की बात है तो यह सब एलजी पर निर्भर करेगा। वह एलजी से निवेदन कर सकते हैं।

अब अगर हम इस बात पर आते हैं कि ऐसी स्थिति क्‍यों खड़ी हुई है। यह साफ है कि यह देश में ही पहली बार हो रहा है कि कोई मुख्‍यमंत्री पद पर रहते हुए जेल गया है।

मेरा मानना है कि अगर किसी नेता को इस तरह के किसी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे जमानत नहीं मिलती है, तो यह बात तो साफ है कि अदालत ने उसे इस लायक नहीं माना है।

कानून नहीं कहता कि दें इस्तीफा

कुछ गड़बड़ पाई है कि जमानत नहीं दी है और जेल भेज दिया है। ऐसे में नैतिक आधार पर संबंधित व्यक्ति को इस्तीफा दे देना चाहिए, अगर ऐसा किया गया होता तो यह समस्या सामने नहीं आती।

ताजा मामला झारखंड का भी है जहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया और वहां किसी और सदस्य को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

देखिए, कानून यह नहीं कहता है कि ऐसे मामले में इस्तीफा देना चाहिए, मगर नैतिकता भी कोई चीज होती है। उसका हमें सम्मान करना चाहिए।

ये है सबसे सुविधाजनक विकल्प

राज्यसभा के पूर्व महासचिव कहते हैं कि जहां तक मौजूदा स्थिति में सरकार को चलाने की बात है तो उसका एक विकल्प यह भी है कि सरकार में एक उपमुख्यमंत्री बना दिया जाए और उनके माध्यम से फाइलें चलाई जाएं।

फाइलों को अनुमति देकर एलजी के पास भी स्वीकृति के लिए भेजा जा सकता है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं और सरकार को चलाने में भी असुविधा नहीं होगी।

सरकार की फाइलें, महत्वपूर्ण कार्य कैबिनट की बैठकें आदि आसानी से होती रहेंगी। मैं पहले ही कह चुका हूं कि जेल जाने के बाद भी मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का यह पहला मामला है।

अगर अदालत ने दी अनुमति तो...

अब यह सब अदालत पर ही निर्भर है कि वह जेल में कैबिनेट की बैठक आदि करने की अनुमति देती है या नहीं। मगर जनता के काम भी नहीं रुकने चाहिए, अगर अदालत में इस सब को करने की अनुमति नहीं मिलती है तो जाहिर सी बात है कि जनता के काम रुकेंगे, क्योंकि सरकार में अधिकारी और मंत्री तो काम करेंगे ही।

मगर फैसलों पर अंतिम मुहर नहीं लग सकेगी तो वह काम वहीं पर रुक जाएगा। इसलिए इस बारे में सोचना जरूरी है और इस समस्या का समाधान भी है।

अब इस बात पर आप सरकार कितना राजी होती है यह देखने वाली बात होगी। मेरा मानना है कि इन हालातों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए, इससे मुख्यमंत्री के जेल में रहते हुए भी समस्या का हल हो जाएगा। जहां तक राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात है तो ऐसे हालात मुझे नजर नहीं आ रहे हैं।