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Delhi Pollution: इस साल दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण का खतरा, सामने आई बड़ी वजह

इस साल राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए प्रदूषण मुसीबत बन सकती है। विशेषज्ञों ने प्रदूषण को लेकर बड़ी संभावनाएं जताई हैं। उन्होंने कहा कि नदी में प्रदूषण और जल आपूर्ति की समस्या बढ़ने की संभावना है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून में यमुना में प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहा है। पढ़ें दिल्ली वालों को इस साल सांस लेने में कैसे कठिनाई होगी।

By Santosh Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 03 Oct 2024 08:52 AM (IST)
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Delhi News: विशेषज्ञ ने प्रदूषण होने का बताया कारण। फाइल फोटो

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। इस वर्ष मानसून में एक बार भी यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर को पार नहीं किया। इससे दिल्लीवासियों को राहत मिली है, क्योंकि पिछले वर्ष जुलाई में यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली में कई दिनों तक बाढ़ की समस्या रही थी।

इस बार दिल्लीवासियों को बाढ़ का सामना नहीं करना पड़ा, परंतु विशेषज्ञ इस स्थिति को यमुना के उचित नहीं मान रहे हैं। इससे नदी में प्रदूषण और जल आपूर्ति की समस्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

दिल्ली में कई दिनों तक बनी रही बाढ़ जैसी स्थिति

पिछले वर्ष 13 जुलाई को दिल्ली में पुराना लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर पहुंच गया था। पहली बार यमुना का जल स्तर इतना अधिक पहुंचा था जिससे दिल्ली में कई दिनों तक बाढ़ की स्थिति रही थी। जुलाई के बाद सितंबर में भी कई दिनों तक यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर 204.5 मीटर से अधिक था।

पिछले वर्ष की परेशानी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए पूरी तैयारी की थी। परंतु, इस तरह की समस्या उत्पन्न नहीं हुई।

पिछले वर्ष हथनी कुंड से कई दिन तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था। इस वर्ष एक बार भी एक लाख क्यूसेक का आंकड़ा नहीं पार हुआ। 26 सितंबर को सुबह छह बजे अधिकतम 87,017 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।

कम पानी आने से यमुना में प्रदूषण बढ़ा

यमुना में कम पानी आने से जुलाई के अंतिम सप्ताह में यमुना में झाग उत्पन्न होने के साथ ही अमोनिया का स्तर बढ़ गया जिससे कई दिनों तक जल आपूर्ति की समस्या रही। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार भी मानसून में यमुना में प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहा।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल्स (सेनड्राप) के प्रमुख भीम सिंह रावत का कहना है कि यह स्थिति असामान्य है क्योंकि आमतौर पर मानसून के दौरान यमुना में कम से दो बार कम या मध्यम बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। कम पानी आने से यमुना में प्रदूषण बढ़ा है।

यही कारण है कि मानसून के दौरान ही ओखला बैराज के आसपास नदी में झाग की समस्या उत्पन्न हुई। बाढ़ आने से नदी में तीन से चार महीने तक प्रवाह बहाल रहता है। इस बार प्रवाह में कमी आएगी। आने वाले महीनों में यमुना में प्रदूषण का स्तर और बढ़ने वाला है।

दिल्ली में कब आई बाढ़

दिल्ली में बड़ी बाढ़ 1924, 1977, 1978, 1988, 1995, 1998, 2010, 2013, 2023 में आई थी। 1963 से 2010 तक अधिकांश समय सितंबर में यमुना का जल स्तर अधिक बढ़ा है। इस बार न जुलाई, अगस्त में यमुना का जलस्तर बढ़ा और ना ही सितंबर में।

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