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Delhi Air Pollution: AQI के आंकड़ों पर सवालों के घेरे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नहीं बताता पूरी सच्चाई

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच एक्यूआई (AQI) के आंकड़ों को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) सवालों के घेरे में है। सीपीसीबी का आंकड़ा जहां 500 से नीचे बना हुआ है वहीं निजी कंपनियों के सेंसर अलग-अलग क्षेत्रों का एक्यूआई एक हजार से भी ऊपर बता रहे हैं। इस भिन्नता के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति है।

By sanjeev Gupta Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 18 Nov 2024 10:18 PM (IST)
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AQI के आंकड़ों पर सवालों के घेरे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। एनसीआर में दमघोंटू हवा चल रही है। न सिर्फ सांस लेने बल्कि देखने में भी परेशानी हो रही है। स्मॉग के कारण दृश्यता इतनी कम हो गई कि सैंकड़ों विमानों पर भी इसका असर दिखा। लेकिन यह मान कर चलिए कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एक्यूआई 500 से अधिक नहीं दिखाएगा। दरअसल सीपीसीबी ने सिद्धांत बना लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए आंकड़ा 500 के पार नहीं दिखाएंगे।

हालांकि उनके पास 999 तक मापने की क्षमता है। तो फिर यह कैसे माना जाए कि स्विस एक्यूएअर समेत कई निजी एजेंसियों को ओर से दिल्ली का जो आंकड़ा हजार के आसपास दिखाया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है। सोमवार को भी इन कंपनियों ने दिल्ली में प्रदूषण का आंकड़ा हजार के आसपास दिखाया और सीपीसी ने 494 का आंकड़ा। 

सीपीसीबी का क्या है कहना

सुप्रीम कोर्ट में भी सीपीसीबी एक्यूआर मापने के तौर तरीके पर अपना प्रजेंटेशन देगा। लेकिन फिलहाल उनकी ओर से जो दलीलें दी जा रही हैं, उससे लगता है कि वह खुद आश्वस्त नहीं है। सीपीसीबी का कहना है कि चूंकि 450 के पार को ही गंभीर स्थिति मान कर सभी उपाय उठा लिए जाते हैं, लिहाजा उससे उपर दिखाने का औचित्य नहीं है।

पहला बड़ा सवाल यही है जिसपर सीपीसीबी को कोर्ट में भी जवाब देना पड़ सकता है कि जनता तक सही जानकारी जाने से क्यों रोका जाता है। दूसरा सवाल यह भी खड़ा होता है कि सीपीसीबी अगर अपने आंकड़ों को लेकर आश्वस्त है तो फिर उन निजी कंपनियों पर रोक क्यों नहीं लगाता है जो दोगुना आंकड़ा बताता है। 

सवालों के घेरे में बोर्ड

सवालों के घेरे में आया सीपीसीबी का आंकड़ा अभी तक एक बार भी 500 के उपर नहीं गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) भी सीपीसीबी के आंकड़ों को तो प्रामाणिक बता रहा है लेकिन  अन्य कंपनियों के सेंसर द्वारा बताए जा रहे एक्यूआई को गलत भी नहीं बता रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक समस्याएं झेल रही आम जनता समझ ही नहीं पा रही कि एक्यूआई का सही आंकड़ा क्या है!

अलग-अलग बताए जा रहे आंकड़े

सीपीसीबी के मुताबिक सोमवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 494 रहा। इसे 'सीवियर प्लस' यानी कि खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है। दिल्ली के सभी इलाकों का एक्यूआई भी 400 से 500 तक दर्ज किया गया। अब अगर निजी कंपनियों के सेंसर पर जाएं तो एक्यूआईसी एन डॉट ओआरजी ने शाम चार बजे जहांगीरपुरी में यह आंकड़ा 844 बताया। एक अन्य ऐप पर अपराहन 3.06 बजे नई दिल्ली का एक्यूआई 969 था।

इसी तरह से एक और ऐप पर सुबह नौ बजे के लगभग मुंडका का एक्यूआई 1200 दर्ज हुआ। ऐसी ही स्थिति रविवार देर शाम एवं रात को देखी गई थी। 

वरिष्ठ अधिकारी ने बताई वजह

एक्यूआई की इस भिन्नता को लेकर सीपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया कि विदेशी कंपनियों के ऐप जिन सेंसर पर चलते हैं, वह सभी अमेरिका के एक्यूआई फार्मूले पर चलते हैं। भारत का एक्यूआई फार्मूला अलग है। उन्होंने बताया कि दोनों के स्वच्छ वायु गुणवत्ता के मानक भी अलग अलग ही हैं।

अमेरिका में अगर पीएम 2.5 का स्तर 800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है तो वहां एक्यूआई लगभग दोगुना होता है, लेकिन भारत में इसी स्थिति में यह अधिकतम 850 होगा। अधिकारी ने यह भी बताया कि सीपीसीबी का एक्यूआई अलग अलग आठ मानकों पर कैलिब्रेशन पर आधारित होता है और 24 घंटे के औसत आधार पर जारी किया जाता है। जबकि विदेशी एप पर मुख्यतया पीएम 2.5 का आंकड़ा ही रहता है। 

विडंबना यह भी कि सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने भी सीपीसीबी के एक्यूआई को प्रामाणिक करार दिया। एक बयान जारी कर सीएक्यूएम ने कहा, सटीक और विश्वसनीय एक्यूआई डेटा के लिए, केवल समीर एप या सीपीसीबी की आधिकारिक वेबसाइट देखें।

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यह वायु गुणवत्ता सूचकांक को जारी करने के लिए अधिकृत प्लेटफार्म हैं। सीएक्यूएम ने यह भी कहा है कि जनता तक सही जानकारी प्रसारित हो, सुनिश्चित करने के लिए अनौपचारिक या अविश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने से बचें।

लोगों को जिस तरह से सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत हो रही है, उसमें सीपीसीबी के एक्यूआई पर भरोसा नहीं हो रहा है। वह कुछ जानकारी छिपा रहा है। वहीं निजी एजेंसियों के एक्यूआई जरूर सेंसर आधारित है, उनमें वैरीएशन हो सकता है लेकिन सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। निजी एजेंसियां अपने एक्यूआई की गणना में पीएम 2.5 से भी छोटे कणों को शामिल करता है। इससे उसका एक्यूआई सीपीसीबी के एक्यूआई से बहुत ज्यादा प्रदर्शित होता है। फिलहाल दिल्ली की स्थिति बहुत चिंताजनक है। -विमलेंदु झा, पर्यावरणविद

सीपीसीबी ने एक्यूआई कैलिब्रेशन का फार्मूला 2014 में बनाया था और एक्यूआई मई 2015 में जारी करना शुर किया था। 10 साल बाद भी सीपीसीबी उसी फार्मूले और सिस्टम पर चल रहा है। सीपीसीबी के मानीटरिंग स्टेशन भी अधिकतम 500 तक एक्यूआई के हिसाब से डिजाइन किए गए हैं। समय के अनुसार इसमें बदलाव होना ही चाहिए ताकि जनता में भ्रम या उलझन की स्थिति नहीं रहे।  -डॉ राधा गोयल, उप निदेशक, इंडियन पल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन

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नवंबर में किस किस पर तारीख पर दिल्ली में अत्यधिक रहा पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में)

 तिथि एवं माह पीएम 2.5
31 अक्टूबर 199
17 नवंबर 429

नवंबर में किस किस पर तारीख पर दिल्ली में अत्यधिक रहा पीएम 10 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में):-

 तिथि एवं माह  पीएम 10
13 नवंबर 512
17 नवंबर 538
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