Delhi Air Pollution: AQI के आंकड़ों पर सवालों के घेरे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नहीं बताता पूरी सच्चाई
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच एक्यूआई (AQI) के आंकड़ों को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) सवालों के घेरे में है। सीपीसीबी का आंकड़ा जहां 500 से नीचे बना हुआ है वहीं निजी कंपनियों के सेंसर अलग-अलग क्षेत्रों का एक्यूआई एक हजार से भी ऊपर बता रहे हैं। इस भिन्नता के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति है।
सीपीसीबी का क्या है कहना
सवालों के घेरे में बोर्ड
सवालों के घेरे में आया सीपीसीबी का आंकड़ा अभी तक एक बार भी 500 के उपर नहीं गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) भी सीपीसीबी के आंकड़ों को तो प्रामाणिक बता रहा है लेकिन अन्य कंपनियों के सेंसर द्वारा बताए जा रहे एक्यूआई को गलत भी नहीं बता रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक समस्याएं झेल रही आम जनता समझ ही नहीं पा रही कि एक्यूआई का सही आंकड़ा क्या है!अलग-अलग बताए जा रहे आंकड़े
सीपीसीबी के मुताबिक सोमवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 494 रहा। इसे 'सीवियर प्लस' यानी कि खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है। दिल्ली के सभी इलाकों का एक्यूआई भी 400 से 500 तक दर्ज किया गया। अब अगर निजी कंपनियों के सेंसर पर जाएं तो एक्यूआईसी एन डॉट ओआरजी ने शाम चार बजे जहांगीरपुरी में यह आंकड़ा 844 बताया। एक अन्य ऐप पर अपराहन 3.06 बजे नई दिल्ली का एक्यूआई 969 था। इसी तरह से एक और ऐप पर सुबह नौ बजे के लगभग मुंडका का एक्यूआई 1200 दर्ज हुआ। ऐसी ही स्थिति रविवार देर शाम एवं रात को देखी गई थी।वरिष्ठ अधिकारी ने बताई वजह
एक्यूआई की इस भिन्नता को लेकर सीपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया कि विदेशी कंपनियों के ऐप जिन सेंसर पर चलते हैं, वह सभी अमेरिका के एक्यूआई फार्मूले पर चलते हैं। भारत का एक्यूआई फार्मूला अलग है। उन्होंने बताया कि दोनों के स्वच्छ वायु गुणवत्ता के मानक भी अलग अलग ही हैं। अमेरिका में अगर पीएम 2.5 का स्तर 800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है तो वहां एक्यूआई लगभग दोगुना होता है, लेकिन भारत में इसी स्थिति में यह अधिकतम 850 होगा। अधिकारी ने यह भी बताया कि सीपीसीबी का एक्यूआई अलग अलग आठ मानकों पर कैलिब्रेशन पर आधारित होता है और 24 घंटे के औसत आधार पर जारी किया जाता है। जबकि विदेशी एप पर मुख्यतया पीएम 2.5 का आंकड़ा ही रहता है। विडंबना यह भी कि सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने भी सीपीसीबी के एक्यूआई को प्रामाणिक करार दिया। एक बयान जारी कर सीएक्यूएम ने कहा, सटीक और विश्वसनीय एक्यूआई डेटा के लिए, केवल समीर एप या सीपीसीबी की आधिकारिक वेबसाइट देखें। ये भी पढ़ें- बढ़ते प्रदूषण से सांस के मरीजों की हालत हुई बदतर, शहर छोड़ने की कर रहे तैयारी; पढ़ें क्या कह रहे दिल्लीवासीयह वायु गुणवत्ता सूचकांक को जारी करने के लिए अधिकृत प्लेटफार्म हैं। सीएक्यूएम ने यह भी कहा है कि जनता तक सही जानकारी प्रसारित हो, सुनिश्चित करने के लिए अनौपचारिक या अविश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने से बचें।लोगों को जिस तरह से सांस लेने और आंखों में जलन की शिकायत हो रही है, उसमें सीपीसीबी के एक्यूआई पर भरोसा नहीं हो रहा है। वह कुछ जानकारी छिपा रहा है। वहीं निजी एजेंसियों के एक्यूआई जरूर सेंसर आधारित है, उनमें वैरीएशन हो सकता है लेकिन सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। निजी एजेंसियां अपने एक्यूआई की गणना में पीएम 2.5 से भी छोटे कणों को शामिल करता है। इससे उसका एक्यूआई सीपीसीबी के एक्यूआई से बहुत ज्यादा प्रदर्शित होता है। फिलहाल दिल्ली की स्थिति बहुत चिंताजनक है। -विमलेंदु झा, पर्यावरणविद
ये भी पढ़ें- गैस चैंबर बनी दिल्ली: घर से बाहर निकलें तो पहनें N95 मास्क, कई इलाकों में शाम 7 बजे भी AQI 900 पारसीपीसीबी ने एक्यूआई कैलिब्रेशन का फार्मूला 2014 में बनाया था और एक्यूआई मई 2015 में जारी करना शुर किया था। 10 साल बाद भी सीपीसीबी उसी फार्मूले और सिस्टम पर चल रहा है। सीपीसीबी के मानीटरिंग स्टेशन भी अधिकतम 500 तक एक्यूआई के हिसाब से डिजाइन किए गए हैं। समय के अनुसार इसमें बदलाव होना ही चाहिए ताकि जनता में भ्रम या उलझन की स्थिति नहीं रहे। -डॉ राधा गोयल, उप निदेशक, इंडियन पल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन
नवंबर में किस किस पर तारीख पर दिल्ली में अत्यधिक रहा पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में)
तिथि एवं माह | पीएम 2.5 |
31 अक्टूबर | 199 |
17 नवंबर | 429 |
नवंबर में किस किस पर तारीख पर दिल्ली में अत्यधिक रहा पीएम 10 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में):-
तिथि एवं माह | पीएम 10 |
13 नवंबर | 512 |
17 नवंबर | 538 |