'फ्लाईओवर गिर गया तो कौन होगा जिम्मेदार', दिल्ली सरकार के दो विभागों के बीच फंड विवाद पर दिल्ली HC
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के दो विभागों के बीच फ्लाईओवर की मरम्मत को लेकर फंड विवाद पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस बीच फ्लाईओवर गिर गया तो कौन जिम्मेदार होगा? सुरक्षा सर्वोपरि है और मानव जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। आखिरकार इसका खर्च सरकार को ही उठाना है तो यह विवाद और देरी क्यों? जानिए पूरी खबर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फ्लाईओवर की मरम्मत के संबंध में दिल्ली सरकार के दो विभागों के बीच फंड विवाद पर नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने दोनों विभागों को कहा कि आप स्वीकार कर रहे हैं कि इस फ्लाईओवर में संरचनात्मक दोष हैं और यह जनता के लिए असुरक्षित है, तो इस मामले में किसी वित्तीय या तकनीकी मुद्दे का सवाल ही कहां उठता है? यदि इस बीच फ्लाईओवर गिर गया तो कौन जिम्मेदार होगा? अदालत ने कहा कि सुरक्षा सर्वोपरि है और मानव जीवन सबसे महत्वपूर्ण है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने टिप्पणी की कि चाहे फंड पर्यटन और परिवहन विकास निगम (टीटीडीसी) द्वारा दिया गया हो या पीडब्ल्यूडी द्वारा, इसका बोझ अंततः दिल्ली सरकार को ही उठाना था। पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि वो यह नहीं समझ पा रही है कि दिल्ली सरकार के दोनों विभाग एक-दूसरे का विरोध क्यों कर रहे हैं, खासकर तब जब यह एक स्वीकृत तथ्य है कि फ्लाईओवर जनता के लिए असुरक्षित है।
आखिरकार इसका खर्च सरकार को ही उठाना है: दिल्ली HC
पीठ ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पैसा एक जेब से आया या दूसरी जेब से। आखिरकार इसका खर्च सरकार को ही उठाना है, तो यह विवाद और देरी क्यों? पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार के पास बुनियादी ढांचे पर सुधार करने के लिए खर्च करने के लिए पैसे नहीं। वे कोई कर नहीं लेते। वे कोई पैसा खर्च नहीं करते। वे केवल दान और मुफ्त में चीजें देते हैं।पीठ ने कहा कि लोगों को इतनी असुविधा हो रही है कि वे आते हैं और सरकार के कंधे पर रोते हैं, लेकिन सरकार कुछ खास नहीं कर पा रही है क्योंकि वह पैसा जारी नहीं कर रही है। पीठ ने कहा कि वन-स्टाप सेंटरों को कोई भुगतान नहीं मिल रहा है। लोगों को सात-नौ माह तक भुगतान नहीं मिलता है।
शुरुआती भुगतान पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार को नहीं किया
पीडब्ल्यूडी के अधिवक्ता ने दलील दी कि शुरुआती निर्माण टीटीडीसी ने वर्ष 2015 में किया था, इसलिए उसे जल्द से जल्द फ्लाईओवर की मरम्मत करनी थी। दूसरी ओर, टीटीडीसी के अधिवक्ता ने दलील दी कि वह फंड के लिए पीडब्ल्यूडी पर निर्भर है और शुरुआती ठेकेदार को आठ करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था, जिसका भुगतान पीडब्ल्यूडी ने नहीं किया है।फ्लाईओवर को फिर से खोलने का निर्देश देने की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल ने कहा कि दोनों विभाग मामले में अपना दायित्व एक-दूसरे पर डाल रहे हैं, जिससे अंतत जनता को असुविधा हो रही है। भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन ने जनहित याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और उसके पीडब्ल्यूडी व टीटीडीसी को नाथू कॉलोनी चौक के पास फ्लाईओवर की मरम्मत करने और उसे फिर से खोलने का निर्देश देने की मांग की थी।
याचिका में उन्होंने कहा कि टीटीडीसी ने नाथू कॉलोनी चौक के पास एक रोड ओवर ब्रिज और एक रोड अंडर ब्रिज के लिए एक निविदा जारी की थी और परियोजना को वर्ष 2016 में सौंप दिया गया था। लेकिन निर्माण में खामियां पाई गईं और आज तक पीडब्ल्यूडी और निगम ने उन्हें ठीक नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने पिछले दो वर्षों से भारी वाहनों के लिए फ्लाईओवर बंद होने पर दुख जताया और कहा कि इससे जनता को असुविधा हो रही है।
यह भी पढ़ें- 'दिल्ली में 5.30 लाख बुजुर्गों की पेंशन फिर से शुरू, हर महीने मिलेंगे 2500 रुपये', केजरीवाल ने की घोषणा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।