Move to Jagran APP

भारतीय टीम के हेड कोच Gautam Gambhir को मिली राहत, धोखाधड़ी मामले में आरोप मुक्त; नए सिरे से होगी जांच

Gautam Gambhir Fraud Case दिल्ली की राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी से जुड़े मामले में पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर को बड़ी राहत देते हुए। उन्हें आरोप मुक्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने ताजा जांच करने का आदेश भी दिया। खबर के माध्यम से पढ़ें क्या है भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच से संबंधित मामला।

By Vineet Tripathi Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 31 Oct 2024 02:25 PM (IST)
Hero Image
Delhi News: इस मामले में ताजा जांच का कोर्ट ने दिया आदेश। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली।Gautam Gambhir News:  फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी से जुड़े मामले में राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने भारतीय टीम के कोच व क्रिकेटर गौतम गंभीर व अन्य को आरोप में मुक्त कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को रद करते हुए नए सिरे से जांच का आदेश दिया है।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने ने कहा कि मामले में गौतम गंभीर की भूमिका की भी आगे की जांच होनी चाहिए। रियल एस्टेट फर्म रुद्र बिल्डवेल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, एच आर इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, यू एम आर्किटेक्चर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड और गंभीर के खिलाफ धोखाधड़ी गंभीर कंपनियों के संयुक्त उद्यम के निदेशक और ब्रांड एंबेसडर थे।

अदालत ने की विशेष टिप्पणी

अदालत ने कहा कि गंभीर एकमात्र आरोपित थे जिनका ब्रांड एंबेसडर के रूप में निवेशकों के साथ सीधा संपर्क था। अदालत ने कहा कि आरोपपत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या रुद्र द्वारा गंभीर को वापस भुगतान की गई रकम में कोई सांठगांठ थी या संबंधित परियोजना में निवेशकों से प्राप्त धन से प्राप्त की गई थी।

अदालत ने कहा कि आरोपों का मूल धोखाधड़ी के अपराध से संबंधित है, इसलिए यह आवश्यक था आरोपपत्र और आक्षेपित आदेश से यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या धोखाधड़ी की गई राशि का कोई हिस्सा गंभीर को मिला था।

गौतम गंभीर, फाइल फोटो।

गंभीर ने अपनी भूमिका से परे कंपनी के साथ किया लेनदेन-कोर्ट

अदालत ने पाया कि गंभीर ने ब्रांड एंबेसडर के रूप में अपनी भूमिका से परे कंपनी के साथ वित्तीय लेनदेन किया था और वह 29 जून 2011 व केके अक्टूबर 2013 के बीच एक अतिरिक्त निदेशक थे। अदालत ने रेखांकित किया कि गंभीर को पुनर्भुगतान का बड़ा हिस्सा एक अक्टूबर, 2013 को अतिरिक्त निदेशक के पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ।

ऐसे में अदालत ने मामले को मजिस्ट्रेट अदालत को वापस भेज दिया और निर्देश दिया कि अपराध और आरोप पत्र में संबंधित सुबूतों के संबंध में प्रत्येक आरोपित के खिलाफ आरोपों को निर्दिष्ट करते हुए एक विस्तृत नया आदेश पारित किया जाए।

गौतम गंभीर पर आरोप

आरोप है कि आरोपितों ने 2011 में इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में एक आगामी आवास परियोजना का संयुक्त रूप से प्रचार और विज्ञापन किया था, जिसे 2013 में "पावो रियल" नाम दिया गया था।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ताओं ने विज्ञापनों और ब्रोशरों के लालच में आकर परियोजनाओं में फ्लैट बुक किए और 6 लाख रुपये से 16 लाख रुपये के बीच विभिन्न राशि का भुगतान किया। हालांकि, भुगतान के बाद भी संबंधित भूखंड पर कोई बुनियादी ढांचागत या महत्व का अन्य विकास नहीं किया गया।

यह भी पढ़ें: Delhi Crime: दीवाली से पहले खौफनाक वारदात, मामूली कहासुनी में दो युवकों की हत्या; हादसे के बाद इलाके में सनसनी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।