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    दिल्ली में आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई धीमी, जिम्मेदार कौन? सरकार या कोई और...

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 04:40 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी दिल्ली में आवारा कुत्तों पर कार्रवाई धीमी है। दिल्ली सरकार ने भोजन केंद्र बनाने और खतरनाक कुत्तों को आश्रय में रखने के निर्देश दिए हैं लेकिन नगर निगम ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। संसाधनों की कमी और पशु प्रेमियों के विरोध के कारण खतरनाक कुत्तों को पकड़ने में भी दिक्कतें आ रही हैं।

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    आवारा कुत्तों पर सरकार जागी पर नींद में निगम। फाइल फोटो

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने के पहले आदेश को एक महीना बीत चुका है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में संशोधन किया। संशोधित आदेश जारी हुए लगभग 26 दिन हो गए हैं, लेकिन नगर निगम अभी तक नहीं जागा है।

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    हालांकि, दिल्ली सरकार ने अब नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें आवारा कुत्तों के लिए भोजन केंद्र बनाने और खतरनाक कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया गया है। हालाँकि, नगर निगम ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

    आश्रय स्थलों की स्थापना के लिए केवल दौरे किए गए हैं। जगह का चयन तो कर लिया गया है, लेकिन कोई काम शुरू नहीं हुआ है। भोजन केंद्र भी अधर में लटके हुए हैं। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एनसीआर नगर निगमों के साथ एक बैठक का वादा भी किया गया था, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

    नगर निगम के अधिकारियों का मानना ​​है कि इसका मुख्य कारण यह है कि निगम के पास सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने के लिए संसाधनों की कमी है।

    नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि निगम के पास वर्तमान में 20 नसबंदी केंद्र हैं। नसबंदी तो हो रही है, लेकिन कुत्तों को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। यहाँ तक कि खूँखार कुत्तों को भी 10 दिन से ज़्यादा नहीं रखा जाता। आमतौर पर, नसबंदी किए गए कुत्तों को चार दिन के भीतर उसी जगह वापस छोड़ दिया जाता है जहाँ से उन्हें उठाया गया था।

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू की। 11 अगस्त के अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की नगर पालिकाओं को सभी आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया था।

    हालांकि, पशु प्रेमियों की अपील पर, मुख्य न्यायाधीश ने मामले में हस्तक्षेप किया और 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश में संशोधन करते हुए केवल खूँखार कुत्तों को ही आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया।

    उन्होंने स्थानीय निकायों को भोजन केंद्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया। इसके बाद निगमों को कार्रवाई करनी थी, लेकिन जमीनी स्तर पर काम में देरी ने निवासी कल्याण संघों को निराश कर दिया है।

    नए नसबंदी केंद्र की फाइल भी अटकी

    एमसीडी ने द्वारका सेक्टर 29 में बनने वाले नए नसबंदी केंद्र की अनुमानित लागत और डिज़ाइन के लिए इंजीनियरिंग विभाग को एक फ़ाइल भेजी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

    खतरनाक कुत्तों को पकड़ने में समस्याएं

    एमसीडी को खतरनाक कुत्तों को पकड़ने में समस्या आ रही है क्योंकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि उन्हें कहां भेजा जाएगा। नाम न छापने की शर्त पर, निगम के एक अधिकारी ने बताया कि वे जनता की शिकायतों के आधार पर खतरनाक कुत्तों को पकड़ने जाते हैं, लेकिन जब वे घटनास्थल पर पहुँचते हैं, तो पशु प्रेमी उन्हें ले जाने का विरोध करते हैं क्योंकि तब तक कुत्तों का व्यवहार बदल चुका होता है।

    नतीजतन, जिन कुत्तों के बारे में शिकायत की जा रही है, उन्हें पकड़ने में भी उन्हें पशु प्रेमियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए मानक स्थापित करने की आवश्यकता है।

    ज़मीनी स्तर पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। जब तक ये लोग आश्रय गृह नहीं बनाते और इस काम में आरडब्ल्यूए को शामिल नहीं करते, तब तक कोई स्थायी समाधान नहीं होगा। आरडब्ल्यूए को भोजन केंद्र स्थापित करने में शामिल करना होगा। - अतुल गोयल, अध्यक्ष, यूनाइटेड रेजिडेंट्स जॉइंट एक्शन

    जब दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा, तो हमारा मुख्य ध्यान बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद पर था। हमने अपनी पूरी मशीनरी इसके लिए लगा दी, जिससे काम में देरी हुई। अब हम आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली सरकार के निर्देशों पर काम शुरू करेंगे।

    - राजा इकबाल सिंह, मेयर, दिल्ली

    दिल्ली में वर्तमान में 20 नसबंदी केंद्र हैं। दिल्ली नगर निगम के पास प्रतिदिन 500 कुत्तों की नसबंदी करने की क्षमता है। निगम ने 57 वार्डों में 80% नसबंदी पूरी कर ली है।

    यदि एमसीडी कुत्ते को पकड़कर किसी एनजीओ को सौंपती है, तो वर्तमान नसबंदी शुल्क ₹900 प्रति कुत्ता है; यदि एनजीओ कुत्ते को पकड़कर लाता है, तो शुल्क ₹1,000 है। मार्च से जुलाई 2025 तक 4,949 आवारा कुत्तों को रेबीज़ का टीका लगाया गया है।

    क्षेत्रवार आवारा कुत्तों का टीकाकरण

    क्षेत्र टीकाकरण
    करोल बाग 737
    शाहदरा दक्षिण 665
    केशवपुरम 430
    सिटी एसपी ज़ोन 259
    मध्य 281
    सिविल लाइंस 80
    रोहिणी 530
    शाहदरा उत्तर 444
    नजफगढ़ 209
    पश्चिम 614
    दक्षिण 517
    नरेला 183