देश में पहली बार अब अस्पताल से मां के डिस्चार्ज होने से पहले ही मिलेगा बर्थ सर्टिफिकेट, दिल्ली में यहां हुआ शुरू
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्रसव के बाद मां को डिस्चार्ज से पहले ही बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र मिलेगा जो केंद्र सरकार के अस्पतालों में पहली बार हो रहा है। इसके साथ ही अस्पताल में बाल हृदय रोग विशेषज्ञता का कोर्स भी शुरू किया जा रहा है जिससे उत्तर भारत में हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी दूर होगी और गरीब मरीजों को सस्ता इलाज मिल सकेगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल अब नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के सहयोग से एक अनूठी सेवा शुरू करने जा रहा है। अस्पताल में प्रसव के बाद मां को डिस्चार्ज से पहले ही बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। यह पहल केंद्र सरकार के अस्पतालों में पहली बार लागू होगी।
अस्पताल निदेशक प्रोफेसर अशोक कुमार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। जागरूकता कार्यक्रम के जरिए लोगों को बताया जाएगा कि यह सेवा कैसे काम करेगी। इसका उद्देश्य है कि परिवारों को जन्म प्रमाण पत्र के लिए भटकना न पड़े और शिशु का आधिकारिक दस्तावेज समय पर उपलब्ध हो जाए।
देश में नवजात और बच्चों में हृदय रोग की बढ़ती जटिलताओं के बीच अब राजधानी को एक नई सौगात मिलने जा रही है। डा. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में डीएम (पीडियाट्रिक कार्डियोलाजी) कोर्स की शुरुआत होने जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान के सहयोग से शुरू हो रहा यह कोर्स गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त होगा।
इस पहल से उत्तर भारत को हर साल नए बाल हृदय रोग विशेषज्ञ मिलेंगे। अभी तक देश में यह सुपर स्पेशलिटी कोर्स केवल पीजीआइ चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली में उपलब्ध था। आरएमएल इस क्षेत्र में तीसरा बड़ा संस्थान बन जाएगा। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से अनुमोदन मिलने के बाद 2025-26 सत्र से दो सीटों पर प्रवेश की अनुमति दी गई है। परास्नातक कर छात्र इसमें प्रवेश ले पाएंगे।
आरएमएल अस्पताल के बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. दिनेश कुमार के अनुसार, इस कदम से बच्चों में जन्मजात हृदय रोग और जटिलताओं के इलाज में बड़ी राहत मिलेगी। अस्पताल में पहले से ही बच्चों के लिए इकोकार्डियोग्राफी (2010 से), कैथ लेब (2019 से) और कार्डियक आईसीयू जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
अब सुपर स्पेशलिटी कोर्स शुरू होने से यहां प्रशिक्षित विशेषज्ञ तैयार होंगे और गरीब मरीजों को महंगे कार्पोरेट अस्पतालों का रुख नहीं करना पड़ेगा। जहां लाखों रुपए खर्च होते हैं, वहीं सरकारी अस्पताल में यह उपचार लगभग निशुल्क उपलब्ध रहेगा। बाल हृदय रोग की चुनौती देश की आबादी और बढ़ते जन्म दर को देखते हुए बाल हृदय रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है।
हर साल हजारों बच्चे जन्मजात हृदय रोग (दिल में छेद, वाल्व की सिकुड़न, नसों की संरचना में गड़बड़ी) से पीड़ित पैदा होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आरएमएल में शुरू होने वाला यह कोर्स न केवल डाक्टर तैयार करेगा, बल्कि उत्तर भारत में बच्चों के लिए हृदय रोग उपचार का नया केंद्र भी बनेगा।
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