Delhi Pollution: प्रदूषण के लिए कौन कितना जिम्मेदार, सिर्फ सर्दियों में नहीं; पूरे साल लड़नी होगी लड़ाई
Delhi Pollution Update दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार भले पिछले साल के मुकाबले इस साल प्रदूषण कम होने का दावा कर रही हो लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने बताया कि दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर अभी भी राष्ट्रीय मानकों से कहीं ज्यादा है। इस खबर के माध्यम में हम जानेंगे कि राजधानी में प्रदूषण के लिए कौन सा स्त्रोत ज्यादा जिम्मेदार है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। आप सरकार के विभिन्न दावों से इतर सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर अभी भी राष्ट्रीय मानकों से बहुत अधिक है। वर्ष 2023 में इसका सालाना औसत स्तर 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा था।
2019 की तुलना में यह महज सात प्रतिशत कम है। 2019 में पीएम 2.5 का सालाना स्तर 109 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जोकि मानकों के अनुरूप सालाना स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर एमजीसीएम से अधिक नहीं होना चाहिए। मतलब, प्रदूषण में कमी के लिए केवल सर्दियों में नहीं बल्कि साल भर प्रयास करने होंगे।
सर्दियों का औसत प्रदूषण 18 फीसदी तक बढ़ा
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में सर्दियों का अधिकतम प्रदूषण भी 2019-20 की तुलना में नौ प्रतिशत ही कम हुआ है। जबकि सर्दियों का औसत प्रदूषण 18 प्रतिशत तक बढ़ा है।रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में इस साल 12 अक्टूबर से तीन नवंबर तक 30.34 प्रतिशत प्रदूषण स्थानीय स्त्रोतों से रहा है। स्थानीय प्रदूषण में भी सर्वाधिक 51.5 प्रतिशत हिस्सेदारी गाड़ियों की, 13.2 प्रतिशत रिहायशी, 11.2 प्रतिशत औद्योगिक, 6.9 प्रतिशत निर्माण।
पराली से 8.18 प्रतिशत प्रदूषण
5.4 प्रतिशत ऊर्जा क्षेत्र, 4.7 प्रतिशत कचरा जलाने की, 3.7 प्रतिशत सड़क की धूल और 3.5 प्रतिशत अन्य क्षेत्रों की हिस्सेदारी है। वहीं दिल्ली में एनसीआर के जिलों से भी इस दौरान 34.97 प्रतिशत, अन्य जिलों से 27.94 प्रतिशत व पराली से 8.18 प्रतिशत प्रदूषण हुआ।यह रिपोर्ट बताती है कि शाम पांच से रात नौ बजे के बीच ट्रैफिक की औसत रफ्तार 15 किमी प्रति घंटे रही। वहीं दोपहर 12 से अपराहन चार बजे के बीच 21 किमी प्रति घंटे रही। दोनों समय में एनओ-2 का स्तर व्यस्ततम घंटों के समय 2.3 गुणा अधिक रहा।
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