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71 साल पहले हुई थी Queen Elizabeth की ताजपोशी, 70 साल तक किया था ब्रिटेन पर शासन

70 साल तक ब्रिटेन की महारानी रहीं एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी 2 जून 1953 को हुई थी। पिता के निधन के बाद महज 27 साल की उम्र में ही शासन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। हालांकि ब्रिटेन की संवैधानिक राजशाही में महारानी के रूप में उनकी जिम्मेदारी सांकेतिक थी। आइए इस मौके पर आपको बताते हैं इस खास दिन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Sat, 01 Jun 2024 08:27 PM (IST)
आज से 71 साल पहले हुई थी महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी (Image Source: X)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 2 जून 1953 को जब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) की ताजपोशी हुई थी, तो उस वक्त वे सिर्फ 27 साल थीं। बता दें, उन्होंने ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक शासन किया। वे 70 साल तक ब्रिटेन की महारानी रहीं, जिस दौरान उन्होंने 15 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। ताजपोशी के दिन महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप ने बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर आबे तक जाने के लिए सोने से बनी बग्घी का इस्तेमाल किया था। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें।

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टेलीविजन पर दिखाई गई पहली बड़ी घटना

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी का कार्यक्रम करीब 3 घंटे तक चला था। इस दौरान उन्हें देखने के लिए सड़कों पर करीब 30 लाख लोग जमा हो गए थे। बता दें, 6 भागों में बंटे इस कार्यक्रम में मान्यता देना, शपथ ग्रहण, अभिषेक, संस्कार क्रिया और ताज पहनाना व सिंहासनारूढ़ होना शामिल था।

महारानी की ताजपोशी टेलीविजन पर दिखाई गई पहली सबसे बड़ी घटना थी, जिसे 2 करोड़ 70 लाख लोगों ने लाइव देखा और 1 करोड़ लोगों से रेडियो पर सुना। इस दौरान 129 देशों के करीब 8251 मेहमान शामिल हुए थे।

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दो जन्मदिन मनाती थीं रानी एलिजाबेथ

क्या आप जानते हैं कि रानी एलिजाबेथ का जन्मदिन एक नहीं, बल्कि दो दिन मनाया जाता था? बता दें, कि उनका जन्म 21 अप्रैल, 1926 को हुआ था। लेकिन चूंकि उन दिनों बहुत गर्मी पड़ती है, ऐसे में रानी का आधिकारिक बर्थडे जून में मनाया जाता था।

ताज में जड़े थे 3000 हीरे

महारानी एलिजाबेथ को पहनाए गए ताज में में 3000 हीरे जड़े हैं, जिसमें 21 ग्राम का कोहिनूर हीरा भी लगा है। इसका वजन करीब 1 किलोग्राम है। वहीं, ताज के बीचों-बीच दुनिया का सबसे बड़ा हीरा भी लगा है, जिसकी कीमत तकरीबन 415 करोड़ रुपए से ज्यादा मानी जाती है। एक रोचक किस्सा यह भी है कि महारानी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में महिलाओं की सहायक प्रादेशिक सेवा में काम किया था। इस दौरान उन्होंने भारी वाहन चलाने और उनकी सर्विसिंग करना भी सीख लिया था।

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