Move to Jagran APP

अनोखा है हरि पर्वत किला… मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद तीनों हैं यहां, खूबसूरती देख हो जाएंगे दीवाने

देश की धरोहर में आज हम आपको एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा तीनों बने हैं। पौराणिक रूप से इस जगह का संबंध माता पार्वती से जुड़ा है। वहीं गुरुद्वारे में सिखों के छठे गुरु गुरु गोबिंद सिंह भी आए थे। इस जगह से डल झील और डल झील से यह किला बेहद शानदार दिखाई देता है।

By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Sat, 16 Nov 2024 06:22 PM (IST)
Hero Image
जम्मू में डल झील के पश्चिमी छोर पर बने इस किले में आने-जाने के लिए दो दरवाजे बने हुए हैं।
शशांक शेखर बाजपेई। अगर आप घूमने के लिए कश्मीर जा रहे हैं, तो यहां के हरि पर्वत किले को देखना न भूलें। इसे कूह-ए-मारन के नाम से भी जाना जाता है। श्रीनगर में डल झील के पश्चिम में बने इस किले की खूबसूरती देखकर आप हैरान हो जाएंगे। इस किले का इतिहास भी काफी रोचक है।

साल 1590 में मुगल बादशाह अकबर ने इस किले में एक लंबी दीवार बनवाई थी। यह उस स्थान पर एक नई राजधानी बनाने की उनकी योजना का एक हिस्सा था, जहां वर्तमान श्रीनगर शहर स्थित है। हालांकि, यह परियोजना कभी पूरी नहीं हुई।

इसके बाद वर्तमान किला 1808 में दुर्रानी साम्राज्य के दौरान अफगान शासन के कश्मीर गवर्नर अत्ता मोहम्मद खान ने बनवाया था। किले में आने-जाने के लिए दो दरवाजे बने हुए हैं। कहते हैं कि किसी समय में यहां कैदियों को रखा जाता था। पहाड़ पर बना यह किला अपनी वास्तुकला और रचनात्मकता से सभी को आकर्षित करता है।

काफी संख्या में पहुंचते हैं पर्यटक

कश्मीरी संस्कृति और इतिहास का अहम हिस्सा होने के साथ ही इस किले में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा तीनों बने हुए हैं। इसके एक तरफ मां दुर्गा के एक रूप शारिका देवी का मंदिर है, तो दूसरी तरफ सुल्तानुल आरिफ शेख मखदूम साहब की जियारत है। वहीं, पहाड़ के दूसरे सिरे पर छठी पादशाही का गुरुद्वारा भी बना हुआ है।

अब किले की देख-रेख जम्मू कश्मीर सरकार का पुरातत्व विभाग कर रहा है। लिहाजा, अब किले के अंदर आम लोगों को नहीं जाने दिया जाता है। मगर, किले के बाहर बनी इन तीनों पवित्र जगहों पर दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं के साथ ही यहां घूमने आने वाले पर्यटक काफी संख्या में पहुंचते हैं।

यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही आप किले के चारों ओर के खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। डल झील पर शिकारे पर बैठकर आप इस भव्य किले को निहार सकते हैं। या किले के पास जाकर आप नीचे शहर और झील का दिलकश नजारा देख सकते हैं।

यह है यहां की पौराणिक कहानी

ग्रेट कश्मीर डॉट कॉम ने साल 2006 में पद्मश्री पुरस्कार पाने वाले प्रोफेसर उपेंद्र कौल के हवाले से एक लेख प्रकाशित किया। इसमें उन्होंने बताया कि हरि पर्वत नाम प्राचीन किंवदंती से लिया गया है। एक समय था, जब घाटी राक्षसों से भरी हुई थी।

ऐसा ही एक राक्षस था- असुर जलोभवा। स्थानीय लोगों ने माता पार्वती से मदद के लिए प्रार्थना की। उसने मैना का रूप धारण करने के बाद असुर के सिर पर एक पत्थर गिरा दिया। यह पत्थर तब तक बड़ा होता गया, जब तक कि उसने राक्षस को कुचल नहीं दिया।

अब सिंदूर से लिपटा वह बड़ा पत्थर पार्वती का प्रतीक माना जाता है और शारिका के रूप में उसकी पूजा जाता है। उन्हें 18 भुजाओं वाली और श्री चक्र में बैठी हुई दर्शाया गया है। यह प्राचीन मंदिर कश्मीरी पंडितों का पूजनीय स्थान है। साल 1990 तक घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले माथे पर सिंदूर का टीका लगाए बड़ी संख्या में भक्त पहाड़ी पर चढ़ते-उतरते दिखते थे।

गुरु गोबिंद सिंह भी आए थे यहां

हरि पर्वत की तलहटी में ऐतिहासिक गुरुद्वारा बना है। गुरु नानक की शिक्षाओं का प्रचार करते हुए सिखों के 9वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह कुछ दिनों के लिए यहां ठहरे थे। इस जगह पर गुरु हरगोबिंद भी आए थे। यहां पास में एक कुआं भी है। कहते हैं कि इसे गुरु हरगोबिंद के निर्देश पर खोदा गया था।

यह भी पढ़ें- एक श्राप और कई वर्षों तक वीरान रहा राजस्थान का यह गांव, अब विदेश से भी देखने आते हैं पर्यटक

दक्षिणी हिस्से में बनी है दरगाह

हरि पर्वत के दक्षिणी हिस्से में सूफी संत हाजरा मखदूम की दरगाह है। वह 16वीं सदी में कश्मीर में रहने वाले रहस्यवादी सूफी संत थे। इतिहास के अनुसार, हमजा मखदूम ने शम्सी चक मठ में पढ़ाई की और बाद में इस्माइल कुबरावल के मदरसे में न्यायशास्त्र, दर्शन और रहस्यवाद की शिक्षा प्राप्त की।

यह भी पढ़ें- Lakhpat Fort Kutch: अपने समय का कॉस्मोपॉलिटन सिटी, हर शख्स था लखपति… फिर कैसे बर्बाद हुआ बंदरगाह वाला शहर लखपत

ऐसे पहुंचे हरि पर्वत किले

श्रीनगर रेलवे स्टेशन से हरि पर्वत किला करीब 17 किमी दूर है। यहां से टैक्सी लेकर आप किले तक पहुंच सकते हैं। वहीं, फ्लाइट से श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा जा सकता है। यहां से किले की दूरी करीब 16.7 किमी दूर है, जो टैक्सी से आराम से पूरी की जा सकती है।

डिस्क्लेमरः श्रीनगर डॉट एनआईसी डॉट इन और ग्रेट कश्मीर डॉट कॉम से जानकारी ली गई है।