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    Munger Election 2025: राजद में उम्मीद का उत्साह, भाजपा में भरोसे का संकट, क्या है वोटरों का मूड? पढ़ें जागरण Ground Report

    By Alok ShahiEdited By: Alok Shahi
    Updated: Sun, 02 Nov 2025 01:42 AM (IST)

    Munger Election 2025: मुंगेर में बड़ी मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन की तरह, यहां के मतदाताओं का मिजाज भी खास है। भाजपा ने उम्मीदवार बदला तो कार्यकर्ताओं में निराशा है, पर राजद उत्साहित है। भाजपा के अपने सीटिंग विधायक का टिकट काटने से एक वर्ग में नाराजगी है, वहीं युवाओं को तेजस्वी यादव से नौकरी की उम्मीद है। अब देखना है कि वोटों का गणित किसको जीत दिलाता है।

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    Munger Election 2025: मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।

    शंकर दयाल मिश्रा, मुंगेर। Munger Election 2025 पौराणिक परंपरा है कि मुंगेर में बड़ी मां दुर्गा की प्रतिमा अपनी पिंडी से 32 कहारों के कंधे पर विसर्जन को जाती हैं। मान्यता है, एक भी कंधा कम पड़ा तो अन्य कितने भी कंधे लगा दें... प्रतिमा अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी। यहां के मतदाताओं का मिजाज भी मां भवानी के इसी स्वभाव से मेल खाता प्रतीत होता है। भाजपा ने अपना भार उठाने वाले कंधे (उम्मीदवार) को बदल दिया तो कैडरों में भरोसे का संकट पैदा हो गया है। वे उदासीन हो गए हैं, पर वे डिगेंगे नहीं। दूसरी ओर, राजद उम्मीदों के उत्साह पर सवार है कि इस बार किला फतह कर लेंगे। मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।

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    मुंगेर का किला। इसके पास मुंगेर नाम से प्रमंडलीय मुख्यालय भी है और जिला मुख्यालय भी। अनुमंडल मुख्यालय भी है और प्रखंड मुख्यालय भी। मुंगेर नाम से लोकसभा क्षेत्र भी है और विधानसभा क्षेत्र भी। इस विधानसभा क्षेत्र में मुंगेर नगर निगम क्षेत्र भी है और मुंगेर सदर प्रखंड भी। इसमें बरियारपुर प्रखंड का क्षेत्र शामिल है। इस बार भाजपा ने अपने विधायक प्रणव यादव का टिकट काट दिया और पूर्व जिलाध्यक्ष कुमार प्रणय को मैदान में उतारा है। प्रणय वैश्य समाज से हैं। टिकट में बदलाव के शुरुआती तर्कों में प्रमुख था कि इन्हें लाने से वैश्य समाज भाजपा के पक्ष में एग्रेसिव पोल करेगा। लेकिन, यहां अभी उलटी स्थिति दिख रही है।

    मोंथा चक्रवात की झमाझम बारिश के कारण हमने अपने दफ्तर में ही प्रबुद्ध लोगों को आमंत्रित कर शहर का मिजाज जाना। दुर्गेश कुमार एग्रेसिव पोल के तर्क पर विफर जाते हैं- वैश्य समाज कब भाजपा का एग्रेसिव वोटर नहीं रहा? लेकिन इस बार पार्टी ने क्या किया? बाहरी उम्मीदवार थोप दिया! विधायक प्रणव रहते तो यादव समुदाय और स्थानीय प्रभाव के कारण जो वोट लाते वह भाजपा में 'प्लस' होता। पिछली बार इसी प्लस से कड़े मुकाबले में फंसी भाजपा जीत सकी थी।

    प्रणय तारापुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। पप्पू कुमार कहते हैं- अब तो मतदान के महज चार दिन बचे हैं और अभी तक भाजपा प्रत्याशी का शहर में प्रभाव दिखा नहीं...। यहां यह हाल है तो प्रखंड और ग्रामीण क्षेत्रों में...! कई गांवों खासकर दियारा से कार्यकर्ताओं का फोन आता है कि महागठबंधन के प्रत्याशी दो-तीन बार आ गए और हमारे वाले का पता ही नहीं। पप्पू के बोलने का भाव यह कि कार्यकर्ताओं को 'रिचार्ज' करने की आवश्यकता है अन्यथा...! यहां संजय बबलू, रविशंकर पांडेय आदि कहते हैं कि यह चुनाव निराश किए हुए है। हालांकि, सच यह भी है कि राजद उम्मीदवार अविनाश कुमार विद्यार्थी की टोली में अभी कोई उदास नहीं दिखता। उनकी पत्नी अर्चना रविदास के साथ के साथ तो महिलाओं की भीड़ और उत्साह की यहां चर्चा थी।

    इधर, बरियारपुर रेलवे पुल के किनारे के चाय दुकान पर मिले बरौना मंडल टोला का बिट्टू, सासन गांव के सचिन आदि युवा भविष्य की उम्मीद पर उत्साहित हैं। यहां चाय दुकानदार रोहित कुमार ने बताया कि वह ग्रेजुएट है और आइटीआइ भी किए है। उनकी राजनीतिक समझ इतनी तेज कि चाय गर्म करते-करते मोकामा की घटना से लेकर सरकार की योजनाओं, विपक्ष की घोषणाओं और शराबबंदी के सच तक की बात एक सांस में कर गया। फिर बोला- नौकरी मिली नहीं और इस इकलौते दुकान से परिवार चलाना मुश्किल है इसलिए गुजरात जाकर काम करना पड़ा। दुकान पिताजी चलाते हैं। छठ पूजा पर आए थे अब वोट देकर फिर कमाने के लिए गुजरात चले जाएंगे। वोट इस बार नौकरी के नाम। अन्य युवाओं से बात होती है। इस वर्ग में नौकरी के नाम पर तेजस्वी यादव के प्रति झुकाव दिखा।

    जागरण कार्यालय में आए बुलियन मर्चेंट के जिला सचिव ललन ठाकुर ने भी तेजस्वी के प्रति अपने झुकाव की बात कही। वे बेलगाम अफसरशाही, सरकारी कार्यालयों में पनपे भ्रष्टाचार से व्यवसाय में हो रही परेशानी से त्रस्त दिखे। बोले- यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही। अब वे सब तेजस्वी को भी सुनने लगे हैं। वे व्यवस्था और उसके प्रतिनिधियों को कोसते निकले, हालांकि उनके साथ के दूसरे व्यवसायी ने कहा- अभी ये गुस्से में हैं पर मतदान केंद्र पहुंचेंगे तो वोट तो भाजपा को ही देंगे। इधर, ग्रामीण इलाकों में पुरुषों में कैडर वाला विशेष भाव नहीं। बरियारपुर रोड पर सदर प्रखंड के श्याम कहते हैं- अंत समय के मैनेजमेंट से यहां का वोट इधर-उधर भी होता है। जबकि यहीं सब्जी बेच रहीं बबली देवी धीरे-धीरे खुलती हैं- दस हजार मिलल छै... मोदी जी देलकै... वोट त उनके देबै।

    कौन किसका कितना वोट काटेगा

    गंभीर चर्चाओं में लोग इस सवाल पर पहुंच जाते हैं कि कौन किसका कितना काटेगा और भाजपा के बेटिकट विधायक की भूमिका क्या रहेगी। चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों में जनसुराज से संजय कुमार सिंह जिला पार्षद हैं और एआइएमआइएम से मोनाजिर हसन यहां के दो बार के विधायक और मंत्री रहे हैं। इनका अपना प्रभाव है। माना जा रहा है कि एक एनडीए का उतना काटेगा जितना दूसरा महागठबंधन का। यानी मामला बराबर। जबकि, प्रणव टिकट कटने के बाद चुप थे पर मोकामा में जनसुराज प्रत्याशी के समर्थक दुलालचंद यादव की हत्या के बाद नीतीश सरकार पर हमलावर हो गए हैं। वोटिंग के महज चार दिन पहले प्रणव के बागी तेवर से भाजपा को क्या नुकसान पहुंचेगा इसका आकलन शुरू हो गया है।

    मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या

    • कुल-  338887
    • पुरुष- 179511
    • महिला- 159357
    • मंगलामुखी- 19 

    मुंगेर विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

    • यादव- 38 हजार
    • मुस्लिम- 40 हजार
    • भूमिहार- आठ हजार
    • ब्राह्मण- आठ हजार
    • लाला- छह हजार
    • धानुक-कोईरी-गंगोता-कुर्मी- 95 हजार 
    • तांती- छह हजार
    • वैश्य - 60 हजार
    • पासवान-14 हजार
    • राजपुत- 18 हजार 
    • कुम्हार, सहनी, बढ़ई, नाई, पासी व अन्य- 40 हजार

    बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : मुंगेर का चुनाव परिणाम

    • प्रणव कुमार- भाजपा- 75573
    • अविनाश कुमार विद्यार्थी- राजद- 74329
    • जीत का अंतर- 1244