Neeyat Review: कमजोर कहानी ने विद्या बालन की 'नीयत' पर फेरा पानी, असरहीन रही एक्ट्रेस की वापसी
Neeyat Movie Review विद्या बालन चार साल बाद बड़े पर्दे पर लौटी हैं। उनकी आखिरी फिल्म 2019 में आयी मिशन मंगल है जिसमें वो साइंटिस्ट बनी थीं। इसके बाद विद्या की जो फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुईं उनमें शकुंतला देवी शेरनी और जलसा शामिल हैं। इन सभी फिल्मों में विद्या के काम की तारीफ हुई। विद्या की ओटीटी पर आयी फिल्मों के मुकाबले नीयत कमजोर फिल्म है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। ‘वेटिंग’, ‘शकुंतला देवी’ फिल्म की निर्देशक अनु मेनन ने पहली बार मर्डर मिस्ट्री जॉनर में हाथ आजमाया है। अनु के साथ प्रिया वेंकटरमण, अद्वैत कला और गिरवानी ध्यानी ने कहानी का सहलेखन किया है।
यह कहानी एक रात की है। अनु ने स्कॉटलैंड में एक आलीशान बंगले में अपने 11 किरदारों के साथ इस फिल्म को शूट किया है। नीयत में पहला घंटा मर्डर के इंतजार में चला जाता है। मध्यांतर के बाद उम्मीद बंधती है कि हम एक स्टाइलिश मर्डर मिस्ट्री देखेंगे। उसमें हत्यारे की खोज को लेकर कौतूहल रहेगा। वहीं पर नीयत थोड़ा मात खाती है।
क्या है नीयत की कहानी?
अरबपति आशीष कपूर उर्फ एके (राम कपूर) अपने जन्मदिन पर स्कॉटलैंड में एक आलीशान बंगले में अपने दोस्त और करीबी लोगों को बुलाता है। इनमें उसके सबसे अच्छे दोस्त संजय सूरी (नीरज काबी) और उनकी पत्नी नूर सूरी (दीपानिता शर्मा), साला जिमी (राहुल बोस), टैरो कार्ड रीडर जारा (निकी वालिया), प्रेमिका लीसा (शहाना गोस्वामी), बेटा रयान (शशांक अरोड़ा) और भतीजी साशा (इशिका मेहरा) शामिल हैं।
उसके अलावा इवेंट मैनेजर तनवीर (दानेश रजवी), आशीष की सेक्रेटरी के (अमृता पुरी) और रयान की प्रेमिका गिगी (प्राजक्ता कोली) भी पार्टी में शामिल है। वहां मौजूद हर व्यक्ति के साथ एके की अपनी कहानी है। इस दौरान पता चलता है कि आशीष पर भारतीय बैंकों का बीस हजार करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।
एके की कंपनी के आठ कर्मचारियों ने आत्महत्या की होती है, क्योंकि पिछले 27 महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला होता है, जबकि एके खुद लंदन में एशोआराम की जिंदगी बिता रहा है। खैर तूफान आने की वजह से बाहर जाने वाला एक मात्र ब्रिज बंद कर दिया जाता है। डिनर के दौरान एके बताता है, वह भारत सरकार को समर्पण करने वाला है।
उसके प्रत्यर्पण के लिए सीबीआई अधिकारी मीरा राव (विद्या बालन) भी वहां पहुंची होती है। रयान के साथ आपसी कहासुनी के बाद आशीष बंगले के बाहर निकलता है। फिर कोहराम मचता है कि आशीष ने आत्महत्या कर ली है। मीरा मामले की जांच में जुटती है। वह पाती है कि आशीष ने आत्महत्या नहीं की, उसका मर्डर हुआ है? वहां मौजूद किस शख्स ने उसकी हत्या की है? हत्या के पीछे का रहस्य क्या है? मीरा कैसे अपराधी को पकड़ेगी? इन तमाम पहलुओं पर कहानी आगे बढ़ती है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और कलाकारों का अभिनय?
फिल्म का कमजोर पहलू इसकी कहानी ही है। शुरुआत में किरदारों को स्थापित करने में अनु मेनन ने काफी समय लिया है। हर मर्डर मिस्ट्री फिल्म की तरह यहां पर भी हर किरदार की ओर शक की सुई घूमती है। उसके राज खुलते हैं।
फिल्म शकुंतला देवी में विद्या बालन को निर्देशित कर चुकी अनु इस मर्डर मिस्ट्री के लिए आवश्यक रोमांचक तत्वों को हाइलाइट करने में विफल रहती हैं। यह उनकी पिछली सभी फिल्मों की तुलना में सबसे कमजोर निर्देशित फिल्म है। तूफान के आने की जानकारी मौसम विभाग तीन दिन पहले ही दे देता है।
स्कॉटलैंड में स्थापित कहानी में किरदारों को आखिरी समय पर उसके बारे में पता चलना अचंभित करता है। मीरा के किरदार की जांच प्रकिया को देखकर लगता है, सबकुछ आसानी से उपलब्ध करा दिया गया है। मीरा का किरदार भी रहस्यमयी है। हालांकि, उसमें भी कुछ खामियां है।
मर्डर मिस्ट्री की वजह से उस पर ज्यादा बात करना उचित नहीं है। प्राजक्ता कोली का किरदार एक ही महिला की आत्महत्या की बात करता है, जबकि सात और लोगों ने आत्महत्या की होती है। यह हजम नहीं होता। फिल्म के संवाद कौसर मुनीर ने लिखे हैं। वह भी बहुत प्रभावी नहीं बन पाए हैं।
फिल्म का बैकग्राउंड संगीत उसे रोमांचक बनाने में कुछ खास योगदान नहीं दे पाता है। बहरहाल, फिल्म की सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है। वास्तविक स्थानों पर फिल्माए गए दृश्यों में ताजगी है। वहां की प्राकृतिक सुंदरता आंखों को सुकून देती हैं।
करीब चार साल के अंतराल के बाद विद्या बालन अभिनीत फिल्म नीयत सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। महामारी की वजह से विद्या की पिछली फिल्में जलसा, शेरनी और शकुंतला देवी डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थीं। विज्ञान की जानकारियों से लैस सीबीआई अधिकारी की भूमिका में विद्या ने दमदार परफार्मेंस दी है।
उनके किरदार में कुछ चौंकाने वाले पहलू हैं, लेकिन उनका चित्रण चौंकाता नहीं है। उनका किरदार पूरी फिल्म में एक ही कास्ट्यूम (गर्म कपड़े) में दिखायी देता है, जबकि दीपानिता और शहाना गोस्वामी ने गर्म कपड़े नहीं पहने। आम हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों की तरह उन्हें ठंड भी नहीं लग रही।
अरबपति व्यावसायी, निराश पिता और मतलबी इंसान के तौर पर राम कपूर अपने किरदार में जंचे हैं। राहुल बोस के किरदार में कोई नवीनता नहीं हैं। नशेड़ी और गुस्सैल बेटे के रूप में शशांक अरोड़ा चंद दृश्यों में अपनी छाप छोड़ते हैं। नीरज काबी और निकी वालिया का काम भी उल्लेखनीय है। बहरहाल, अगर स्क्रीनप्ले चुस्त होता और उसमें कुछ चौंकाने वाले तथ्य डाले जाते तो यह कहानी शानदार होती है।
कलाकार: विद्या बालन, राम कपूर, राहुल बोस, नीरज काबी, अमृता पुरी, शाहाना गोस्वामी, निकी वालिया, दीपानिता शर्मा, शशांक अरोड़ा, प्राजक्ता कोली, दानेश रजवी, इशिका मेहरा आदि।
निर्देशक: अनु मेनन
अवधि: 132 मिनट
स्टार: ढाई