दर्दनाक हादसे की छुपी हुई कहानी विक्रांत मैसी की 'द साबरमती रिपोर्ट', फिल्म देखने से पहले पढ़ लें ये रिव्यू
The Sabarmati Report Review 12th फेल के बाद एक बार फिर से विक्रांत मैसी पावरफुल कंटेंट के साथ लौट आए हैं। पिछले काफी समय से चर्चा में रही उनकी फिल्म द साबरमती रिपोर्ट सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में विक्रांत मैसी के साथ-साथ रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना भी है। रिलीज से पहले बवाल मचा चुकी ये फिल्म क्या वाकई है पावरफुल यहां पढ़ें रिव्यू।
आशीष राजेंद्र, नई दिल्ली। मौजूदा समय में जहां एक तरफ हिंदी सिनेमा में भूल भुलैया 3 और स्त्री 2 जैसी हॉरर कॉमेडी फिल्म का बोलबाला देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ निर्माता एकता कपूर और निर्देशक धीरज शरण की द साबरमती रिपोर्ट भारत के ऐतिहासिक की ऐसी घटना की कहानी पर्दे पर लेकर आई है, जिसके बारे में बहुत कुछ लिखा, पढ़ा और सुना गया है।
2002 में गुजरात में हुए गोधरा ट्रेन हादसे से प्रेरित द साबरमती रिपोर्ट किस तरह की मूवी आइए इस रिव्यू में पढ़ते हैं। फिल्म के ट्रेलर में ये साफ हो गया था कि द साबरमती रिपोर्ट एक संवेदनशील मुद्दे को दर्शाती है। इसकी कहानी को सिल्वर स्क्रीन्स पर उतारने का मेकर्स ने साहस दिखाया है।
हालांकि, जो लोग ये सोच रहे हैं कि इस मूवी में गुजरात कांड पर अतीत में बनी फिल्मों की तरह पुराना प्लॉट देखने को मिलेगा तो शायद आप गलती कर रहे हैं। क्योंकि ट्रेलर में कहानी की गहराई को छिपाया गया है, असली ड्रामा मूवी देखने पर पता लगता है, जोकि एक ड्रामा थ्रिल के तौर पर कंम्प्लीट एंटरटेन पैकेज है।
क्या है द साबरमती रिपोर्ट की कहानी ?
फिल्म की कहानी की शुरुआत इसी ट्रेन हादसे का सच जानने की जद्दोजहद से होती है। जिसमें हिंदी भाषा के पत्रकार समर कुमार (विक्रांत मैसी) और अंग्रेजी जर्नलिस्ट मनिका राजपुरोहित के बीच सच और झूठ की कशमकश दिखायी जाती है । लेकिन स्टोरी में असली मोड़ तब आता है, जब महिला पत्रकार अमृता गिल (राशि खन्ना) की एंट्री होती है। जो समर की अधूरी कोशिश को नए पंख देने के लिए इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल करती हैं।
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क्या समर और अमृता इस में सफल होते हैं। उसके लिए आपको ये फिल्म देखने पड़ेगी। हालांकि, बीच-बीच में फिल्म थोड़ा ट्रैक से उतरते हुए नजर आती है, क्योंकि बीच में द साबरमती रिपोर्ट दो लीग के पत्रकारों के वर्चस्व की लड़ाई सी दिखती है, लेकिन ये आपको बिल्कुल भी बोर नहीं करेगा। इस घटना में पत्रकारों की क्या भूमिका रही, वो फिल्म का केंद्र बिंदु कहा सकता है। लेकिन ओवरऑल ये एक मेकर्स की एक शानदार पेशकश है।