Delhi Blast: अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की हुई पैमाइश, प्रदेश सरकार के आदेश के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू
दिल्ली ब्लास्ट के बाद, प्रदेश सरकार के आदेश पर अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की पैमाइश शुरू हो गई है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यूनिवर्सिटी की जमीन पर कोई अवैध निर्माण तो नहीं है। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए यूनिवर्सिटी के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। दिल्ली में लाल किले के पास हुए आतंकी हमले के बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी पर सभी एजेंसियों की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की शुक्रवार को जिला नगर योजनाकार इन्फोर्समेंट की टीम ने पैमाइश शुरू कर दी। करीब एक घंटे तक टीम ने पैमाइश के साथ प्रबंधन से रिकाॅर्ड भी तलब किया।
यूनिवर्सिटी की जमीन पर मस्जिद का निर्माण
बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी के जमीन की पैमाइश करने को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है। टीम की ओर से यूनिवर्सिटी प्रबंधन से भी सारा रिकाॅर्ड मांगा गया है। अब टीम पूरी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेजेगी। सरकार के निर्देशानुसार, कार्रवाई की जाएगी। यूनिवर्सिटी की जमीन पर मस्जिद का निर्माण भी किया गया है।
यूनिवर्सिटी से अभी तक चार गिरफ्तार
बता दें कि यूनिवर्सिटी से अभी तक चार लोगों को एनआईए और जम्मू कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तार किया गया है। इसमें डाॅ. मुजम्मिल, डाॅ. उमर नबी बट, डाॅ. शाइन और एचआर का काम देख रहे जमील को गिरफ्तार किया गया है। यूनिवर्सिटी का ही प्रोफेसर डाॅ. निसार फिलहाल फरार है। उसकी तलाश की जा रही है।
1997 में बतौर इंजीनियरिंग काॅलेज हुआ शुरू
1997 में अल फलाह की शुरुआत इंजीनियरिंग काॅलेज के रूप में हुई थी। यूनिवर्सिटी दिल्ली के ओखला में रजिस्टर्ड अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती है। 2014 में यूजीसी से मान्यता मिलने के बाद यह काॅलेज यूनिवर्सिटी बन गया।
इस ट्रस्ट के प्रमुख जवाहर अहमद सिद्दीकी यूनिवर्सिटी में चांसलर भी हैं। यूनिवर्सिटी में मेडिकल का पहला बैच 2019 में शुरू हुआ था।
यूनिवर्सिटी ने पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय ग्रामीणों से जमीन खरीदकर अपने परिसर का विस्तार 30 एकड़ से बढ़ाकर 74 एकड़ से अधिक कर लिया है।
जब जमीन की पैमाइश को लेकर डीटीपीई यजन चौधरी से बात की गई तो वे बचते हुए नजर आए। उन्होंने जमीन की पैमाइश के बारे में बताने से मना कर दिया।
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