Haryana Weather: वर्षा ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, खेतों में बिछ गईं फसलें, कल भी होगी भारी बारिश
Haryana Weather हरियाणा में हुई तेज बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। धान की फसलें खेतों में बिछ गईं। मंडी में रखा धान भी भींग गया। कल भी भारी बारिश की संभावना है। अगर और बारिश हुई तो किसानों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। यमुनानगर में 85 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई थी। 20 प्रतिशत रकबा अगेती का है।
जागरण टीम, यमुनानगर/अंबाला। वीरवार को अंबाला और यमुनानगर में हुई जोरदार वर्षा ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। खेत से लेकर अनाज मंडियों तक धान भीगा। खरीद शुरू नहीं होने के मंडियों में खुले आसमान के नीचे धान पड़ा है। बारीक धान का उठान नहीं हुआ।
यमुनानगर में औसत 24.14 एमएम वर्षा हुई है। सबसे अधिक वर्षा जगाधरी में 58 एमएम हुई है। उधर, मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक शुक्रवार को भी वर्षा हो सकती है। किसानों का कहना है कि पहले पहले वर्षा न होने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है।
हथनीकुंड बैराज पर यमुना का जलबहाव 99800 क्यूसेक पर
अब लगातार हो रही वर्षा धान की फसल को बर्बाद करने का काम कर रही है। शहर में भी निचले क्षेत्र में जल जमाव हुआ। हथनीकुंड बैराज पर यमुना नदी का जलबहाव 99800 क्यूसेक पर पहुंच गया। वहीं, अंबाला में मारकंडा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा और तेज लहरों के साथ जलस्तर बढ़ता प्रतीत हो रहा था। सिंचाई विभाग के अनुसार सुबह करीब 10 बजे 7.8 फीट करीब 32 हजार क्यूसेक जलस्तर पहुंच गया।
खेतों में बिछ गई फसल, मंडी में धान भीगा
यमुनानगर में 85 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई थी। 20 प्रतिशत रकबा अगेती का है। जिसकी कटाई हो चुकी है। बाकी धान भी खेतों में पककर तैयार है। बीती रात तेज हवाओं के साथ हुई वर्षा के कारण तैयार खड़ी धान खेतों में बिछ गई।
इसकी कटाई करवाना भी किसानों के लिए मुश्किल रहेगा। क्योंकि लेबर की कमी है और गिरी हुई धान कंबाइन कटना मुश्किल हो जाती है। दूसरा, वर्षा के कारण जमाव का खतरा भी बना रहता है। कमालपुर टापू के किसान विकास राणा का कहना है कि तीन दिन पहले मंडी में धान लेकर आए थे।
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हथनीकुंड बैराज पर सीजन का सर्वाधिक बहाव
यमुना नदी और कैचमेंट एरिया में हुई तेज वर्षा के कारण एक बार फिर यमुना नदी उफान पर आ गई। हथनीकुंड बैराज पर सीजन का सर्वाधिक 99538 क्यूसेक बहाव दर्ज किया गया। इससे पहले अगस्त माह में 75 हजार क्यूसेक पानी आया था।
10 लाख क्यूसेक क्षमता वाले हथनीकुंड बैराज पर इस वर्षा के सीजन में जल बहाव एक लाख क्यूसेक को भी नहीं छू पाया। यमुना नदी के कैचमेंट एरिया में स्थित गंगूवाला में सर्वाधिक 320.02 एमएम बारिश दर्ज हुई। तेज वर्षा के कारण पांवटा साहिब के पुराने बाता पुल के ऊपर से पानी बहाने लगा।
पश्चिमी विक्षोभ ने छुड़ाए किसानों के पसीने
मौसम ने एक बार फिर से करवट ली है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण मानसून की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है। मौसम विभाग के मुताबिक मानसून टर्फ इस समय दिल्ली के दक्षिण में 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पाकिस्तान के उत्तरी सीमा और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती परिसंचरण मानसून टर्फ को उत्तर की ओर खींच रहे हैं।
यह टर्फ दिल्ली से हरियाणा होते हुए पंजाब की तलहटी तक फैली हुई है। टर्फ की निकटता और पश्चिमी प्रणाली के प्रभाव से 28 सितंबर तक हल्की वर्षा और बौछारों का दौर शुरू हो सकता है, यह बहुत अधिक शक्तिशाली नहीं होगा।
किसानों के पसीने छूटे हुए हैं, धान की फसल कुछ पक चुकी है तो कुछ पकने की कगार पर है। यदि वर्षा होती है तो काम तो बाधित होगा ही, साथ ही धान के उत्पादन व गुणवत्ता दोनों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।