पौने तीन करोड़ की आबादी वाले हरियाणा में 1.98 करोड़ लोग गरीब, BJP-Congress में बढ़ा टकराव; CBI जांच की मांग
हरियाणा में गरीबों की बढ़ती संख्या ने बवाल मचा दिया है। विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार राज्य में दो साल के भीतर करीब 75 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले लोगों की श्रेणी में पहुंच चुके हैं। कांग्रेस ने बीपीएल श्रेणी के लोगों की बढ़ती संख्या पर सीबीआई जांच की मांग की है। दूसरी ओर भाजपा कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर रही है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। प्रदेश में दो साल के भीतर राज्य में गरीबों की संख्या बढ़ने पर बवाल मचा हुआ है। विधानसभा में पेश आंकड़ों के हिसाब से राज्य में दो साल के भीतर करीब 75 लाख लोग बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीतने वाले लोगों) की श्रेणी में पहुंच चुके हैं।
कांग्रेस के दावों के अनुसार राज्य की करीब 70 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गई है। ऐसे में प्रति व्यक्ति आय किस तरह से बढ़ रही है। कांग्रेस ने बीपीएल श्रेणी के लोगों की बढ़ती संख्या पर सीबीआई जांच की मांग की है।
भाजपा इसे अपनी उपलब्धि मानकर चल रही है। वह न केवल सीबीआई जांच को तैयार है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को चिन्हित होने के बाद कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर रही है।
BPL श्रेणी के लोगों को मिलते हैं कई लाभ
बीपीएल श्रेणी के लोगों को सरकार की ओर से कई तरह के लाभ मिलते हैं। प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज, हर माह 40 रुपये में दो लीटर सरसों का तेल और साढ़े 13 रुपये में एक किलो चीनी देने का प्रविधान बीपीएल श्रेणी के लोगों को है।
इसके अलावा, परिवार पहचान पत्र में बीपीएल श्रेणी के लोगों को दो दर्जन से ज्यादा योजनाओं का लाभ मिलता है। दिसंबर 2022 में लगभग 1.24 करोड़ लोग (कुल आबादी का 44 प्रतिशत) को इस श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया था।
पिछले दो वर्षों में उनकी संख्या में लगभग 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई, जिसके आधार पर राज्य के बीपीएल लोगों का आंकड़ा एक करोड़ 98 लाख तक पहुंच चुका है। राज्य की आबादी करीब पौने तीन करोड़ है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पीपीपी में स्वघोषित आय की जांच की तैयारी
प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर ने परिवार पहचान पत्र को क्रिड से जोड़ा गया है, जिसमें आय के सेल्फ डिक्लरेशन (स्वयं घोषित) का प्रविधान है। कई लोग ऐसे हो सकते हैं, जिन्होंने अपनी आय 1.80 लाख रुपये वार्षिक से कम दिखा दी। इसमें विभागीय अधिकारियों का कोई रोल नहीं है।अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर स्व घोषित आय की जांच का प्रविधान किया जाएगा, ताकि वास्तविक लाभार्थी ही योजना के दायरे में रह सकें। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह कहते हुए जवाब दिया कि विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक लोगों को बीपीएल घोषित करने की राजनीतिक चाल चली गई है। जबकि, धनेश अदलखा का कहना है कि सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल रहा है तो इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में दावा किया कि राज्य में सिर्फ चार प्रतिशत बेरोजगारी है, जो कि सामान्य से भी कम है।यह भी पढ़ें- हरियाणा में परिवारवाद पर बवाल, बीजेपी ने कांग्रेस को 'बापू-बेटा' कहकर किया टारगेट; हुड्डा ने भी दिया करारा जवाब