हरियाणा: 'पिता फौजी, खुद बनना चाहते थे पुलिस', नायब सैनी की मां बोलीं- विश्वास था बेटा दूसरी बार भी बनेगा सीएम
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सपना हमेशा से जनसेवा का रहा है। सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले उनके पिता तेलूराम के निधन के बाद नायब सैनी ने राजनीति में कदम रखा और अब प्रदेश के शीर्ष पद पर पहुंच गए हैं। दूसरी बार सीएम बनने के बाद नायब सैनी के परिवार और गांव में खुशी का माहौल है।
दीपक बहल, अंबाला। मुझे पूरा यकीन था बेटा प्रदेश की सेवा करेगा। ऐसा ही हुआ। बेटे ने जैसे ही पंचकूला में शपथ ली उनका विश्वास खरा उतरा। नायब के पिता तेलूराम अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने सेना में रहते हुए बॉर्डर पर देश की सेवा की थी अब बेटा प्रदेश की जनता की सेवा कर रहा है ।
नायब सिंह पहले फौज में जाकर देश की सेवा करना चाहता था । पिता तेलूराम ने चीन और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भाग लिया था। साल 2005 में बतौर हवलदार उनकी सेवानिवृत्ति पठानकोट से हुई थी। सेवानिवृत्ति के बाद साल 2005 में ही उनको दिल का दौरा पड़ा और उनका देहांत हो गया।
पिता की मौत के बाद नायब ने ठान लिया था कि देश सेवा करनी है, तो यह राजनीति में रहकर भी की जा सकती है। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और आगे बढ़ते गए। यह कहना है प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मां कुलवंत कौर का।
लोगों ने बांटी मिठाई
उधर, नायब के मुख्यमंत्री बनने पर परिवार के साथ-साथ पूरा मिर्जापुर गांव खुश दिखाई दिया। लोगों ने मिठाई बांटी। नायब सिंह सैनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे और वे नियमित रूप से सभी कार्यक्रमों शामिल होते रहे हैं।
1960 में मिर्जापुर आया था परिवार
नायब सिंह सैनी व उनका परिवार पहले जिला कुरुक्षेत्र के गांव मंडौली जट्टान में रहते थे। साल 1960 में वहां से परिवार अंबाला जिला के नारायणगढ़ हलके के मिर्जापुर गांव में आ गया। साल 2000 में उनकी शादी सुमन सैनी से हुई, जो राजनीतिक परिवार से हैं।साल 2019 में सुमन सैनी ने जिला परिषद चेयरमैन का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं। नायब सिंह सैनी का बेटा अनिकेत लॉ की पढ़ाई कर रहा है, जबकि बेटी वंशिका 12वीं कक्षा की छात्रा हैं।
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