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Haryana Politics: विपक्ष का नेता नहीं होने से मानवाधिकार आयोग की नियुक्तियों में फंसा पेच, HC की नाराजगी के बाद हुई बैठक

हरियाणा में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में देरी हो रही है क्योंकि राज्य में विपक्ष का नेता नहीं है। आयोग में लंबे समय से नियुक्तियां नहीं होने से हाई कोर्ट नाराज है। पहली सर्च कमेटी की बैठक में कुछ नामों पर चर्चा हुई लेकिन विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति के कारण कोई निर्णय नहीं हो सका।

By Anurag Aggarwa Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 24 Nov 2024 03:19 PM (IST)
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विपक्ष का नेता नहीं होने से मानवाधिकार आयोग की नियुक्तियों में फंसा पेच।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में मानवाधिकार आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति में विपक्ष का नेता नहीं होने से पेंच फंस गया है। आयोग में लंबे समय से नियुक्तियां नहीं होने से हाई कोर्ट नाराज है।

शनिवार को हरियाणा निवास में पहली बार सर्च कमेटी की बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी और विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण की मौजूदगी में कुछ नामों पर चर्चा हुई।

बैठक में कांग्रेस की ओर से कोई विधायक शामिल नहीं हुआ, जबकि सर्च कमेटी में विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं। चूंकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं कर पाई है, इसलिए विपक्ष के नेता का पद खाली है।

सर्च कमेटी की बैठक में विपक्ष के नेता का होना अनिवार्य

बैठक में आयोग के अध्यक्ष और अन्य दो सदस्यों के पद के लिए कुछ नामों पर मंथन किया गया, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। कारण यह कि सर्च कमेटी की बैठक में विपक्ष के नेता का होना अनिवार्य है।

ऐसे में कांग्रेस की ओर से विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद ही अगली बैठक होगी, जिसमें आयोग के सदस्यों और चेयरमैन के चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। आयोग में चेयरमैन और सदस्यों के पद करीब 14 माह से खाली हैं।

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याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये अपनी जेब से देने होंगे

बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने बताया कि मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया काफी समय से चली हुई है।

उसी को लेकर आज की बैठक रखी गई थी। विपक्ष की ओर से इस बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ, इसलिए आयोग में रिक्त पदों के लिए किसी का नाम फाइनल नहीं किया जा सका।

हरियाणा में मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन और सदस्य न होने के चलते कामकाज ठप पड़ने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट नाराजगी जाहिर कर चुका है।

यदि अगली सुनवाई तक पद नहीं भरे गए तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश होकर याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपये अपनी जेब से देने होंगे।

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