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शानन प्रोजेक्ट: मालिकाना हक की लड़ाई के बीच कायाकल्प की तैयारी, पंजाब खर्च करेगा 200 करोड़, हिमाचल से बढ़ा विवाद

शानन प्रोजेक्ट के कायाकल्प को लेकर पंजाब सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। 90 साल पुरानी मशीनरी और उपकरणों को बदला जाएगा। आवासीय सुविधाओं का सुधार होगा। हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच मालिकाना हक का विवाद जारी है। केंद्र सरकार ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है।

By Hansraj Saini Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 23 Nov 2024 03:12 PM (IST)
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शानन प्रोजेक्ट पर बढ़ा विवाद, पंजाब 200 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
जागरण संवाददाता, मंडी। मालिकाना हक की लड़ाई के बीच शानन प्रोजेक्ट का कायाकल्प करने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रोजेक्ट लंबे समय से हिमाचल प्रदेश व पंजाब के बीच विवाद का केंद्र बना हुआ है। पंजाब सरकार ने ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के उपकरणों व बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।

प्रोजेक्ट की मशीनरी, उपकरण व आवासीय सुविधाओं के अवशिष्ट जीवन का आकलन शुरू कर दिया गया है। ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी जिले के जोगेंद्रनगर में स्थापित 110 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट का मालिकाना हक 1966 के पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के बाद विवादित हो गया था।

हिमाचल की भूमि पर प्रोजेक्ट

प्रोजेक्ट हिमाचल की भूमि पर बना है। इसका प्रबंधन व संचालन पंजाब सरकार के पास है। प्रोजेक्ट की मशीनरी व उपकरण करीब 90 वर्ष पुराने हो चुके हैं। लंबे समय से इस परियोजना में कोई बड़ा आधुनिकीकरण नहीं हुआ है, जिससे इसकी कार्यक्षमता व उत्पादन क्षमता पर असर पड़ा है। वर्तमान में प्रोजेक्ट की मशीनों व आवासीय ढांचे के अवशिष्ट जीवन का आकलन किया जा रहा है, ताकि इसके आधुनिकीकरण के लिए एक स्पष्ट योजना बनाई जा सके।

'राज्य के नियंत्रण में दिया जाना चाहिए'

पुरानी मशीनों को बदलकर आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाएगा। प्रोजेक्ट से जुड़े कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश लंबे समय से इस प्रोजेक्ट पर अपना अधिकार जताता आ रहा है। हिमाचल का कहना है कि 2024 में शानन प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज खत्म होने के बाद इसे राज्य के नियंत्रण में दिया जाना चाहिए।

दूसरी ओर, पंजाब इसे अपने अधिकार में रखना चाहता है। इस विवाद के कारण प्रोजेक्ट के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। विवाद बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने दाेनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। पंजाब सरकार ने मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पंजाब से हिमाचल काे छोटा भाई समय प्रोजेक्ट सौंपने का कई बार आग्रह कर चुके हैं।

गत दिनों उन्होंने प्रोजेक्ट का निरीक्षण भी किया था। इसके कुछ दिन बाद ही पंजाब सरकार ने मशीनरी, उपकरण व आवासीय सुविधाओं के अवशिष्ट जीवन का आकलन शुरू करवा विवाद को और हवा देने का काम किया है,यानी पंजाब अपने इस कमाऊ प्रोजेक्ट को किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं है।

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