सावधान! हाई ब्लड प्रेशर, निमोनिया और शुगर समेत 49 दवाओं की क्वालिटी खराब, हिमाचल में निर्मित 19 दवाएं भी शामिल
देशभर में निर्मित 49 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं जिनमें से 19 दवाओं का उत्पादन हिमाचल प्रदेश के उद्योगों में हुआ है। इन दवाओं में डिस्किप्शन अलग होना सही तरीके से विघटन न होना धूल के कण व घुलनशीलता में कमी जैसी कमियां पाई गई हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सभी राज्यों के दवा नियंत्रकों को सूची जारी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, सोलन। देशभर के उद्योगों में निर्मित उच्च रक्तचाप, जुकाम, रक्तस्राव, निमोनिया, शुगर, संक्रमण में प्रयोग होने वाली व दर्द निवारक सहित 49 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें 19 दवाओं का उत्पादन हिमाचल प्रदेश के उद्योगों में हुआ है।
10 राज्यों की दवाएं मानकों पर नहीं उतरीं खरी
हिमाचल के अलावा हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, सिक्किम व बंगाल के उद्योगों में बनी दवाएं भी मानकों पर खरी नहीं उतरीं। दवाओं में जो कमियां पाई गईं हैं, उनमें मुख्यतः डिस्किप्शन अलग होना, सही तरीके से विघटन न होना, धूल के कण व घुलनशीलता में कमी शामिल है।
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केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने गुरुवार को सितंबर का ड्रग अलर्ट जारी किया है। सीडीएससीओ ने सभी राज्यों के दवा नियंत्रकों को सूची जारी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
हिमाचल की इन दवाओं व इंजेक्शन की गुणवत्ता खराब
कालाअंब के पुष्कर फार्मा उद्योग में बना रक्तस्राव नियंत्रित करने वाला इंजेक्शन ओक्सिटोसिन, सोलन के मलकूमाजरा स्थित मार्टिन एंड ब्राउन बायोसाइंस में बना उच्च पोटाशियम के स्तर का कैल्शियम ग्लूकोनेट इंजेक्शन, पांवटा साहिब की जी लैबोरेट्री में बना निमोनिया का सेफट्रियासोन इंजेक्शन व जेंटामाइसिन सल्फेट,सिरमौर के प्रोटैक टेलीलिंक्स उद्योग में बने रक्त के थक्कों को कम करने वाले इंजेक्शन हैप्रिन सोडियम के दो सैंपल, सिरमौर की जी लैबोरेट्री में बनी शुगर में प्रयोग होने वाली ग्लिपिजाइड दवा, बद्दी के इनोवा कैपटैब में बनी दर्द निवारक निमुस्लाइड एंड पैरासिटामोल का गुणवत्ता खराब पाया गया है।
इसके अलावा, झाड़माजरी के सेलिब्रिटी बायोफार्मा में बनी निमोनिया की दवा सिप्रोनीर 500, बद्दी के अरिस्टो फार्मास्यूटिकल मे बनी संक्रमण की दवा मोनोसेफ -ओ 200 एमजी के दो सैंपल, सिरमौर के नितिन लाइफसाइंस में बना सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला फनेर्जन इंजेक्शन, सिरमौर के प्रिमस फार्मास्यूटिकल में बना एंटीबायोटिक का पी- गेंटा इंजेक्शन, कांगड़ा के नूरपुर स्थित क्वालिटी फार्मास्यूटिकल में बना कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने वाला सेलोफोस 1000 इंजेक्शन की भी गुणवत्ता में खराबी देखी गई है।
वहीं, सिरमौर के डिजिटल विजन में बनी धूमपान की लत कम करने वाली नोपियन 150 दवा, बद्दी के लोदीमाजरा स्थित सनफाइन हेल्थकेयर में बने कफ सिरप, सोलन के किशनपुरा स्थित एएनजी लाइफ साइंस में बने संक्रमण के उपचार का केफजोन-एस इंजेक्शन व कैसिडताज पी इंजेक्शन, सिरमौर के सिस्टोल रेमीडीज में बना नसों को नुकसान से बचाने वाला न्यूरोफेंस 2500 इंजेक्शन, सोलन के घट्टी स्थित जेएम लैबोरेट्री में बनी उच्च रक्तचाप की दवा टोरवर्स का सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरा।
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