जम्मू-कश्मीर में छठ की धूम, खरना पूजन के साथ निराहार व्रत शुरू; डूबते सूर्य को अर्घ्य आज
जम्मू-कश्मीर में छठ पूजा को लेकर उत्साह है। महिलाओं ने खरना पूजन के साथ व्रत की शुरुआत की। शुक्रवार की सुबह उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण के बाद ही समाप्त होगा। जगह-जगह शारदा सिन्हा के गीतों की गूंज सुनाई दी। सिडको मैदान में विशेष पंडाल लगाया गया है। पूरी रात पंडाल को रंग-बिरंगी रोशनी और झालरों से सजाने का काम जारी रहा।
जागरण संवाददाता, जम्मू। छठ पूजा की चार दिवसीय शृंखला में दूसरे दिन बुधवार को व्रती महिलाओं ने बड़े ही उत्साह और श्रद्धाभाव से खरना पूजन किया। भगवान सूर्य व छठ माता को खीर-रोटी और केले का भोग लगाया और फिर व्रतियों ने उसी प्रसाद को ग्रहण किया।
उसके बाद व्रती महिलाओं का निर्जला व्रत शुरू हो गया जो शुक्रवार की सुबह उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण के बाद ही समाप्त होगा। खरना पूजन के बाद बड़ी संख्या में लोग जगह-जगह प्रसाद ग्रहण करने के लिए पहुंचे। जिसके घर में छठ नहीं होता है, वे जरूर किसी न किसी के यहां जाकर प्रसाद लेते हैं।
यह प्रसाद दिव्य माना जाता है। दूसरी ओर गुरुवार की शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जगह-जगह छठ घाट को सजाने-संवारने का काम चलता रहा।
सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा को धूमधाम से मनाने के लिए जम्मू और आसपास के इलाकों में जोरशोर से तैयारी दिनभर चलती रही है। शाम को खरना पूजन के बाद जम्मू के डिगियाना, त्रिकुटानगर, गंग्याल आदि जगहों पर नहर किनारे और बाड़ी ब्राह्मणा सिडको मैदान में छठ घाट को तैयार करने का काम और तेज हो गया।
कहीं घाट का रंग-रोगन किया जा रहा था तो कहीं रंग-बिरंगी लाइट लगाई जा रही थी। बाड़ी ब्राह्मणा के सिडको मैदान में भव्य पंडाल लगाकर विशाल अस्थायी जलाशय में तिरपाल डाल कर पानी भरा गया। मैदान में एक दिन पहले ही झूले भी सज गए।
छठ पूजा के लोक गीत गूंजे
सिडको मैदान में छठ पूजा के लोक गीत गूंजने लगे। पूरी रात पंडाल को रंग-बिरंगी रोशनी और झालरों से सजाने का काम जारी रहा। डिगियाना में टेंट और सजावट की जिम्मेदारी संभाल रहे राजू ने कहा कि यहां छठ घाट पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रंगारंग कार्यक्रम भी होगा।
तो वहीं बाड़ी ब्राह्मणा छठ पूजा समिति के प्रधान संतोष ने कहा कि सिडको मैदान में पांच साल से जारी छठ महोत्सव में चार चांद लगाने के लिए इस बार दिल्ली से भोजपुरी गायिका को बुलाया गया है। भोजपुर लोकगीत से छठ महोत्सव का माहौल और भी अधिक उत्साहपूर्ण हो जाता है।
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