'सीनियर अधिकारी फोन का जवाब नहीं देते...', जम्मू-कश्मीर में नौकरशाहों के सामने असहाय महसूस कर रहे विधायक
विधायकों ने विधानसभा में नौकरशाहों द्वारा उनके फोन और पत्रों का जवाब न देने की शिकायत की। माकपा विधायक तारीगामी, पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन लोन और भाजपा विधायक गुप्ता ने इस मुद्दे को उठाया। विधायकों ने अधिकारियों पर सदन की प्रतिष्ठा का ध्यान न रखने का आरोप लगाया। शिक्षामंत्री ने औपचारिक रूप से पत्र भेजने का सुझाव दिया।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा (फोटो- साहिल मीर)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। प्रदेश में विधायक अब नौकरशाहों के सामने असहाय महसूस कर रहे हैं। विधानसभा में शुक्रवार को लगभग सभी विधायकों ने शिकायत की कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी न तो उनके फोन का जवाब देते हैं और न ही उनके द्वारा भेजे गए पत्रों पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।
विधानसभा में माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी, पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन, भाजपा विधायक पवन गुप्ता समेत अन्य विधायकों ने इस मुद्दे पर स्पीकर का ध्यान आकर्षित किया। पवन गुप्ता ने कहा कि यदि कोई पत्र किसी अधिकारी के कार्यालय में भेजा जाए, तो वहां से रसीद मिलना तो दूर, कोई जवाब भी नहीं आता।
उन्होंने बताया कि जिला उपायुक्त ऊधमपुर को कम से कम 27 पत्र लिखे हैं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मुख्यमंत्री कार्यालय का हवाला देते हुए कहा कि वहां पत्र भेजने या फोन करने पर तुरंत जवाब मिलता है।
सज्जाद गनी लोन ने स्पीकर से कहा कि यह गंभीर मामला है, जो सदन की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। एक विधायक ने मंत्रियों पर भी फोन न उठाने और पत्रों का जवाब न देने का आरोप लगाया। इस पर शिक्षामंत्री सकीना इट्टू ने कहा कि हमें अपने पीएसओ के माध्यम से पत्र नहीं भेजने चाहिए, बल्कि स्वयं आकर या औपचारिक तरीके से पत्र भेजना चाहिए।

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