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हिरासत में 40 संदिग्ध, छानबीन में जुटी NIA... गांदरबल आतंकी हमले के बाद हर पहलू की जांच में एजेंसियां

गांदरबल के गगनगीर में हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत हो गई और 5 घायल हो गए। जांच टीमों ने 40 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। एनआईए ने घटनास्थल की छानबीन की है। हमलावरों ने मजदूरों के मेस को निशाना बनाया। लश्कर से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने जिम्मेदारी ली है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 22 Oct 2024 08:19 PM (IST)
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गांदरबल आतंकी हमले में अब तक 40 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है

पीटीआई, श्रीनगर। बीते रविवार गांदरबल के गगनगीर में हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की जान गई थी, जबकि पांच लोग घायल हो गए थे। अब इस मामले में जांच टीमों ने 40 संदिग्धों को हिरासत में लिया है।

जानकारी के अनुसार, पुलिस अधिकारियों का मानना ​​है कि हमलावरों ने हमले की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई थी और आतंकी सहयोगी नेटवर्क के समर्थन के कारण वे अपने मंसूबों को अंजाम देने में सफल रहे।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हम उन्हें (आतंकवादियों को) जल्द पकड़ लेंगे। हमने पूछताछ के लिए कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है, लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

NIA ने घटनास्थल पर की छानबीन

सुरंग निर्माण स्थल पर हुए भीषण आतंकी हमले के एक दिन बाद सुरक्षा बलों ने सोमवार को पर्यटक स्थल सोनमर्ग से सटे इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एजेंटों ने महत्वपूर्ण साक्ष्यों के लिए घटनास्थल की छानबीन की है, जबकि सेना, सीआरपीएफ और पुलिस की टुकड़ियां निर्माण क्षेत्र के आसपास की पहाड़ियों में फैली हुई हैं ताकि कश्मीर घाटी में गैर-स्थानीय मजदूरों पर हुए सबसे घातक हमलों में शामिल अपराधियों और उनके साथियों का पता लगाया जा सके।

मजदूरों के मेस को बनाया निशाना

हमलावरों, जिन्हें पाकिस्तानी आतंकवादी माना जाता है, ने अपनी योजना को अंजाम देने से पहले साइट लेआउट का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया। उन्होंने अधिकारियों के क्वॉर्टर में जाने से पहले सबसे पहले मजदूरों के मेस को निशाना बनाया।

अधिकारियों को संदेह है कि हमलावरों को साइट के बारे में पहले से जानकारी थी, संभवतः वे पहले भी वहां काम कर चुके थे या उन्हें उस स्थान पर मौजूद स्थानीय लोगों से समर्थन प्राप्त था।

अधिकारियों ने कहा कि इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक छाया संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस बर्बर कृत्य की जिम्मेदारी ली है।

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तीन दशकों से अधिक समय से आतंकवाद से त्रस्त इस क्षेत्र में पहले कभी ऐसी हिंसक घटना नहीं हुई थी। यह हमला उस समय हुआ जब कर्मचारी सुरंग परियोजना पर काम करने के बाद देर शाम अपने शिविर में वापस लौटे थे।

मृतकों में ये लोग शामिल

मृतकों में डॉ. शाहनवाज डार, फहीम नासिर, कलीम, मोहम्मद हनीफ, शशि अबरोल, अनिल शुक्ला और गुरमीत सिंह शामिल हैं। एनआईए की जांच टीम ने हमलावरों की पहचान करने में मदद करने वाले महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाने के लिए घटनास्थल का दौरा किया।

विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों के नेताओं ने हमले की निंदा की, वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने निहित स्वार्थों को क्षेत्र की प्रगति और विकास में बाधा नहीं बनने देने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस क्रूर हमले का बदला लेने की कसम खाई और क्षेत्र में हिंसा भड़काने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।

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