कुपवाड़ा हिरासत में यातना मामले में आरोपित 8 पुलिसकर्मियों को नहीं मिली जमानत, डीएसपी रैंक का अधिकारी भी शामिल
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा हिरासत में यातना मामले में आरोपित 8 पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। श्रीनगर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इन ...और पढ़ें

पीड़ित पुलिस कांस्टेबल को अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले में जांच के बहाने हिरासत में लिया और यातनाएं दी।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में जिला प्रमुख व सत्र न्यायाधीश ने सोमवार को एक पुलिसकर्मी को अवैध रूप से हिरासत रखने और उसे यातनाएं देने के आरोपित आठ पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आरोपितों में एक डीएसपी रैंक का भी अधिकारी है।
आरोपितों ने एक खुर्शीद अहमद चौहान नामक एक पुलिसकर्मी को अवैध नशीले पदार्थाें की तस्करी से संबधित एक मामले में जांच के बहाने फरवरी 2023 में हिरासत में लिया और यातनाएं दी।
पीड़ित पुलिस कांस्टेबल ने इस मामले की शिकायत अपने विभाग में की औ उसके बाद जब बातनहीं बनी तो उसकी पत्नी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। सर्वाेच्च न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लिया और सीबीआई को पूरे मामले की जांच करने और अरोपित पुलिस अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने को कहा है।
सीबीआई ने आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया
सीबीआई ने गत अक्टूबर में अदालत में आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया और बताया कि पीड़ित कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहाना को 20 फरवरी से 26 फरवरी, 2023 के बीच इंटेरोगेशन सेंटर में गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया था। इस दौरान, कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की गई और उसे कबूलनामा करने के लिए मजबूर किया गया। जांच में आरोपों को साबित करने के लिए मेडिकल जांच, फोरेंसिक सबूत और जेआइसी परिसर के अंदर के सीसीटीवी फुटेज को आधार बनाया गया है।
सीसीटीवी फुटेज से हुई शारीरिक शोषण के दावों की पुष्टि
अदालत को बताया गया कि 26 फरवरी 2023 के सीसीटीवी फुटेज में कांस्टेबल को परिसर के अंदर लंगड़ाते हुए दिखाया गया है, जिससे हिरासत के दौरान उसके शारीरिक शोषण के दावों की पुष्टि होती है। जिन आरोपितों की ज़मानत याचिका खारिज की गई, उनमें डीएसपी ऐजाज़ अहमद नाइक, सब इंस्पेक्टर रेयाज अहमद मीर, एसपीओ जहांगीर अहमद, हेड कांस्टेबल मुहम्मद यूनिस खान और तनवीर अहमद मल्ला, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल शाकिर हुसैन खोजा और अल्ताफ हुसैन भट, और कांस्टेबल शाहनवाज़ अहमद दीदड शामिल हैं।
सीबीआई ने अपने आरोपपद्ध में आरोपित पुलिस अधिकारी व कर्मियों पर आपराधिक साजिश रचने, जानबूझकर चोट पहुंचाने और गंभीर चोट पहुँचाने, कबूलनामा करवाने के लिए बल का इस्तेमाल करने और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत गलत तरीके से कैद करने का आरोप लगाया है।
आरोपपत्र निर्धारित समयावधि के भीतर दायर किया गया
आरोपितों के वकील ने जमानत के लिए आग्रह करते हुए तर्क दिया कि हत्या की कोशिश और खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुँचाने से संबंधित आरोप अब मामले का हिस्सा नहीं हैं और तर्क दिया कि पिछली ज़मानत खारिज होने के बाद से हालात में काफी बदलाव आया है। यह भी तर्क दिया गया कि अभियोजन की मंजूरी न होने के कारण आरोपी ज़मानत के हकदार है।
अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आरोपपत्र निर्धारित समयावधि के भीतर दायर किया गया है जिससे डिफाल्ट जमानत देने की बात खारिज हो गई। जज ने आगे कहा कि पहली जमानत याचिका को अस्वीकार करने के बाद से अब तक हालात में भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।
अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए आरोपों की गंभीरता, वर्दी पहने लोगों द्वारा पब्लिक ट्रस्ट तोड़ने और आरोपितों को जमानत पर रिहा करने की स्थिि में उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना जताई ।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।